सफलता शराबबंदी की कहानी छपरा से : ऊषा के चेहरे पर फिर से लौटी मुस्कान

हले ऊषा पीर-फकीर से लेकर मंदिर व देवता-पितर के चौखट पर मनौती मांगने जाती थी कि उसके पति शराब पीना छोड़ दें लेकिन सफलता नहीं मिली. पति के शराब पीने की लत ने 40 वर्षीय ऊषा की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया था. अपनी पेंटिंग के लिए मशहूर 45 वर्षीय रामप्रसाद जितना भी कमाता, उसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2016 7:32 AM
हले ऊषा पीर-फकीर से लेकर मंदिर व देवता-पितर के चौखट पर मनौती मांगने जाती थी कि उसके पति शराब पीना छोड़ दें लेकिन सफलता नहीं मिली. पति के शराब पीने की लत ने 40 वर्षीय ऊषा की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया था. अपनी पेंटिंग के लिए मशहूर 45 वर्षीय रामप्रसाद जितना भी कमाता, उसे शराब में उड़ा देता था. शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता जब ऊषा अपने पति को बाजार या अन्य जगहों से नशे में धुत अवस्था में उठाकर नहीं लाती हो.
स्थिति ऐसी हो गयी कि रामप्रसाद के दिन की शुरुआत शराब से होने लगी. क्षेत्र में उसकी छवि पियक्कड़ की बन गयी एवं धीरे-धीरे रामप्रसाद को मिलने वाले काम में कमी आने लगी. एक समय ऐसा आया जब वह बेरोजगार बन गया. आमदनी न होने के बावजूद पेंटर रामप्रसाद कर्ज लेकर पीता रहा. उसकी तबीयत में निरंतर गिरावट आती गयी.
ऐसा लगा कि जिंदगी नहीं बचेगी. ऐसी स्थिति में ऊषा को कई तकलीफों का एक साथ सामना करना पड़ा. एक तरफ घर चलाने व बच्चों की परवरिश करने की जिम्मेवारी थी, तो दूसरी तरफ बीमार पति के इलाज का जिम्मा भी उठाना था. उसने परिवार चलाने के लिए घर-घर जाकर काम करना शुरू कर दिया व अपने दोनों बेटों को भी काम पर लगा दिया. परिवार के तीनों सदस्यों के कमाने से जो आमदनी होती, उसका एक बड़ा हिस्सा पेंटर की बीमारी पर खर्च होता गया. लगभग चार साल बाद प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा ने निराश हो चुकी ऊषा को नया जीवन दिया.
पति ने शराब को तौबा करते हुए पेंटिंग के अपने पुराने काम को करना शुरू कर दिया. इससे वह बीमारी से भी जल्द ही उबर गया. कुछ महीनों में वह अपने हुनर से पुराने लय में लौट आया, जिससे उसकी आमदनी भी पूर्व की तरह हो गयी. परिवार मुश्किलों से उबर गया और परिवार में खुशियां लौट आयीं.

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