अब भी कानूनी पचरे में फंसा है सरकार का 1300 करोड़

पटना : सरकार द्वारा किसानों से धान की खरीद और मिलरों को इसकी कुटाई में गड़बड़ी के कारण सरकार का 1302.13 करोड़ रुपये कानूनी पचरे में पड़ा हुआ है. राज्य सरकार सुप्रीम काेर्ट तक वसूली के लिए मिलरों से मुकदमा लड़ रही है. 2011 से 2014 तक राज्य सरकार ने पैक्स और व्यापार मंडल के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2016 7:17 AM
पटना : सरकार द्वारा किसानों से धान की खरीद और मिलरों को इसकी कुटाई में गड़बड़ी के कारण सरकार का 1302.13 करोड़ रुपये कानूनी पचरे में पड़ा हुआ है. राज्य सरकार सुप्रीम काेर्ट तक वसूली के लिए मिलरों से मुकदमा लड़ रही है. 2011 से 2014 तक राज्य सरकार ने पैक्स और व्यापार मंडल के माध्यम से धान खरीदा था. सरकार यह धान राज्य के मिलरों को कुटाई करने और सीएमआर के रूप में चावल देने का प्रावधान किया था. राज्य खाद्य निगम का आरोप है कि मिलरों ने सरकार से धान ताे लिया, पर उसके बदले चावल नहीं लौटाया. निगम के अधिकारी ने बताया कि राज्य के 2002 मिलरों को 1576.58 करोड़ रुपये कीमत की चावल के लिए धान दिया था. काफी जद्दाेजहद के बाद अब तक मात्र 467 मिलरों ने ही 274.45 करोड़ रुपये कीमत का चावल निगम को लौटाया
1421 मिलरों पर सीएमआर नहीं देने के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया. अधिकारी ने बताया कि आज भी सबसे अधिक कैमूर और रोहतास में मिलरों ने सरकार को चावल नहीं लौटाया है. इसमें कैमूर के मिलरों पर 254.10 करोड़ की बकाये में सिर्फ 33.48 करोड़ की वसूली हो सका, वहीं रोहतास में 119 करोड़ की बकाये में सिर्फ 22 करोड़ की वसूली हो सकी है.
402 कर्मियों की मिलीभगत से हुई गड़बड़ी
निगम के अधिकारी ने बताया कि निगम के 402 कर्मियों की मिलीभगत से इतनी बड़ी राशि के चावल की गड़बड़ी हुई. निगम ने ऐसेे कर्मियों पर कार्रवाई के साथ-साथ वसूली शुरू किया. अब तक इन कर्मियों से मात्र 14.92 करोड़ रुपये की वसूली की जा सकी है. अब भी इन कर्मियों से 97.68 करोड़ रुपये की वसूली करना बाकी है. ऐसे कर्मियों से 112.56 करोड़ रुपये वसूल करना है.
मुख्य सचिव कर रहे हैं मॉनीटरिंग
निगम के अधिकारी ने बताया कि मिलरों पर बकाये की राशि अधिक होने के कारण पूरे मामले की मॉनीटरिंग मुख्य सचिव कर रहे हैं. कई मिलरों ने सरकार द्वारा वसूली के विरोध में हाइकोर्ट से स्टे लेने के कारण सरकार को वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से वसूली की अनुमति मिलने के बाद अब मिलर बकाये का भुगतान करने लगे हैं.
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि सरकार का एक-एक पैसे वसूल किया जायेगा. बकायेदार मिलरों से वसूली के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गयी है. कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद मिलर बकाये का भुगतान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इसकी नियमित समीक्षा कर रही है. इस मामले में शामिल दोषी कर्मियों पर पर कार्रवाई के साथ बकाये की वसूली सख्ती से की जा रही है.

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