सफलता शराबबंदी की कहानी मधुबनी से : शराब दुकान बंद हुई तो करने लगे खुद का व्यवसाय
कभी सोते जागते शराब की बिक्री, ग्राहकों के आक्रोश और मालिक के झिकझिक सुनने के आदी हो चुके चंद्रशेखर आज खुश है. उसे आज न तो पुलिस के आने पर उसकी जी हुजूरी करनी पड़ती है, न डर है. उसे अब शराब पीकर हो हल्ला करने वाले ग्राहकों से भी होने वाली परेशानी से निजात […]
कभी सोते जागते शराब की बिक्री, ग्राहकों के आक्रोश और मालिक के झिकझिक सुनने के आदी हो चुके चंद्रशेखर आज खुश है. उसे आज न तो पुलिस के आने पर उसकी जी हुजूरी करनी पड़ती है, न डर है. उसे अब शराब पीकर हो हल्ला करने वाले ग्राहकों से भी होने वाली परेशानी से निजात मिल गयी है. कल तक दूसरों की नौकरी करने वाला चंद्रशेखर आज खुद मालिक बन गया है. सुबह से शाम तक ग्राहकों के बीच रहता है और इज्जत की कमाई कर रहा है.
आरके कॉलेज गेट के समीप शराब के काउंटर पर सेल्स मैन की नौकरी करनेवाले चंद्रशेखर ने जेनरल स्टोर्स व किराने की खुद की अपनी दुकान खोल ली है. दुकान से होनेवाले आमदनी से वह परिवार का भरण पोषण भी शान के साथ कर रहा है. चंद्रशेखर के जीवन में यह सुखद पल शराब बंद होने के बाद आया है. आरके कॉलेज गेट के समीप लॉट नंबर 1. इस दुकान पर शाम होते होते अधिक ही भीड़ जमा हो जाती थी.
इस काउंटर पर समीप के ही चंद्रशेखर बतौर सेल्स मैन का काम करता था. शराब की दुकान थी तो हर दिन कुछ न कुछ परेशानी चंद्रशेखर के सामने आती. पर, परिवार के भरण पोषण का सवाल था. जिस कारण वह इन परेशानियों से समझौता करते हुए मन मसोस कर रहा करता. पत्नी, बेटी ने चंद्रशेखर को जेनरल स्टोर्स को खोलने में न सिर्फ मानसिक रूप से सहयोग किया, बल्कि दुकान चलाने में ये लोग भी सहयोग कर रहे हैं.
चंद्रशेखर बताते हैं कि आज उन्हें अपने दुकान पर बैठने में अच्छा लगता है. कल तक सगे संबंधियों में यह कहते झिझक होती थी कि शराब के दुकान पर सेल्स मैन का काम करते हैं पर अब वे खुद सभी संबंधी को बता रहे हैं कि उनका अपना व्यवसाय शुरू हो गया है.