पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छठ पर्व के कारण उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पांच नवंबर को आयोजित होने वाले समाजवादी पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में भाग नहीं ले सकेंगे. उक्त समारोह में भाग लेने के संबंध में सवाल करने पर नीतीश ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के इस समारोह में शामिल होने का न्योता शिवपाल यादव की तरफ से आया है. उनका पत्र भी आया है.’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘छठ का समय हैऔर पांच नवंबर खरना है. मेरे घर में छठ पर्व होता है, ऐसे में मेरे लिए उस दिन पटना से बाहर जाना संभव नहीं है.’ आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के संबंध में नीतीश ने कहा कि अभी तो समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही हैं. समाजवादी पार्टी का विवाद मुलायम सिंह यादव सुुलझा लेंगे, वह एक वरिष्ठ नेता हैं.
आसन्न उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्ष शक्तियों और समाजवादियों के व्यापक गठबंधन हेतु सपा द्वारा अपने 25वें स्थापना दिवस कार्यक्रम के जरिए प्रमुख नेताओं को एक मंच पर लाने के प्रयासों के बीच, नयी दिल्ली में जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव से बातचीत के बाद लौटे नीतीश ने कहा, ‘‘इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुयी है. हम एकता के पक्षधर रहे हैं.’
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन के बारे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश ने कहा, ‘‘वहां महागठबंधन उसे कहा जाएगा जब सपा और बसपा दोनों उसमें शामिल होंगे. बिहार का जो महागठबंधन है उसमें जदयू और राजद दोनों हैं. दोनों पहले आमने-सामने थे और अब एक हो गये हैं, तब यह महागठबंधन कहलाया. उत्तर प्रदेश में जो होगा वह गठबंधन कहलाएगा.’
गत वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जनता परिवार के छह दलों के विलय की अपनी कोशिश नाकाम होने के संबंध में नीतीश ने कहा, ‘‘छह पार्टियों के विलय की प्रक्रिया बहुत आगे बढ़ गयी थी. हमने विलय का प्रयास किया, सबने मिलकर मुलायम सिंह यादव को नेता चुना, लेकिन तब बात नहीं बनी.’ सपा के पीछे हट जाने के कारण यह विलय नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि भाजपा के विरुद्ध मोर्चा बनाने की पहल जदयू के तरफ से हमेशा होती रही है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, एक राज्य विशेष का मामला है. जदयू वहां चुनाव लड़ेगा, लेकिन भागीदारी कैसी होगी अभी यह तय नहीं है.
नीतीश कुमार ने कहा कि अगर बातचीत होगी तो पहल कांग्रेस पार्टी को करनी होगी. उसे तय करना होगा कि अन्य दलों के सहयोग की आवश्यक्ता है या नहीं क्योंकि वह सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी है. कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से कोई चर्चा हमलोगों के साथ अबतक नहीं हुई है.
राष्ट्रीय लोक दल से बातचीत के सवाल पर नीतीश ने कहा, ‘‘उनसे फरवरी में बातचीत हुयी थी लेकिन वह आगे नहीं बढ़ी. पुन: बातचीत हुयी है लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.’ दूसरी ओर बिहार के सत्तारुढ गठबंधन में शामिल राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सपा के इस कार्यक्रम में भाग लेने की पुष्टि कर दी है. लेकिन नीतीश की अनुपस्थिति से महागठबंधन बनाने के सपा के प्रयासोंं के लिए बडा झटका होगा.
सपा के अंदरुनी विवाद पर नीतीश ने कहा, ‘‘यह पारिवारिक विवाद है. हम इसमें नहीं पडना चाहते, और नाहीं कोई टिका-टिप्पणी करना चाहते हैं. रैली में भाग लेने के लिए हमारी पार्टी की तरफ से कोई जायेगा कि नहीं इसपर विचार किया जायेगा.’
नीतीश जिनकी पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस का महागठबंधन बनाकर इस महागठबंधन को भारी विजय दिलाने से उनकी राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता बढी है, से तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल से संबंध पर पूछे गये एक सवाल के बारे में उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ वे हमेशा सम्पर्क में रहते हैं. उडीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से हमारे संबंध काफी अच्छे हैं.