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निश्चय यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री, करेंगे जनता से सीधी बात

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा बुधवार से आरंभ हो रही है. पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज से शुरू हो रही पहले चरण की यात्रा के दौरान सीएम तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं खासकर सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा करेंगे. साथ ही जिलों में मौजूद जिला निबंधन और काउंसेलिंग सेंटर का भी मुआयना […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा बुधवार से आरंभ हो रही है. पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज से शुरू हो रही पहले चरण की यात्रा के दौरान सीएम तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं खासकर सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा करेंगे. साथ ही जिलों में मौजूद जिला निबंधन और काउंसेलिंग सेंटर का भी मुआयना करेंगे. यात्रा के दौरान जिले के प्रभारी मंत्री और अन्य संबंधित मंत्री भी उपस्थित होंगे. पहले दिन सीएम बेतिया स्थित डीआरसीसी में बेरोजगारी भत्ता स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड और कुशल युवा कार्यक्रम के तहत जितने भी आवेदन लिये जा रहे हैं, उनकी गहन समीक्षा करेंगे. किस योजना में आवेदनों की क्या स्थिति है और युवाओं को ऑनलाइन आवेदन करने में क्या समस्या आ रही है, इसकी हर तरह से समीक्षा करेंगे.
निश्चय यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री दिन के साढ़े 10 बजे से रात्रि के सात बजे तक योजनाओं की समीक्षा करेंगे और आम आदमी से लेकर अधिकारियों से फीडबैक लेंगे. जिला प्रशासन द्वारा तय दो से चार स्थलों का प्रतिदिन निरीक्षण होगा. इसके बाद दोपहर ढाई से शाम चार बजे तक चेतना सभा होगी.
इसमें जीविका समूह की महिलाएं और शराबबंदी अभियान से जुड़े लोग भाग लेंगे. इसके बाद शाम पांच से सात बजे तक जिला मुख्यालय कक्ष में जिला स्तरीय समीक्षा होगी. मुख्यमंत्री इसमें जिले में चल रही सभी योजनाओं केकी अब तक की प्रगति कीसमीक्षा करेंगे. मुख्यमंत्री के साथ यात्रा के दौरान तीन दर्जन विभागों के मंत्री व प्रधान सचिव को भी साथ रहने का निर्देश दिया गया है.
भाजपा का सवाल : पुरानी घोषणाओं को पूरा करें नीतीश
बिहार भाजपा के सबसे बड़े नेता सुशील मोदी ने काह कि यात्रा करना तो ठीक है, मुख्यमंत्री ने अपनी नौ यात्राओं में किये पुरानी घोषणाओं को पूरा करने के बजाय सात निश्चय का नया शिगूफा छोड़ा है. भाजपा शांतिपूर्ण तरीके से जिलों में वायदा पूरा करो नाम से धरना देगी. नीतीश ने बगहा की थारू जनजाति के विकास को लेकर कई घोषणाएं की थीं, लेकिन, उसे पूरा नहीं किया गया. हरना टांड़ प्रखंड में आइटीआइ की स्थापना हो या प्रत्येक थारू परिवार को सोलर लाइट देने की योजना, किसी को पूरा नहीं किया गया. विभिन्न यात्रों के दौरान की गयी पूर्व की घोषाणाओं की समीक्षा उन्हें करनी चाहिए थी. भाजपा उन्हें वायदों का याद दिलायेगी.
डिप्टी सीएम का जवाब
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष को बोलने की आदत है, वह यूं ही बोल रहे हैं. हमारा काम है जनता की सेवा. जनता का मैंडेंट इसी के लिए मिला है. निश्चय यात्रा इसी के लिए है.
नीतीश की अब तक की यात्राएं
यात्रा- कब से शुरू – सरकार या पार्टी
न्याय यात्रा 12 जुलाई 2005 – पार्टी
विकास यात्रा 09 जनवरी 2009 सरकार
धन्यवाद यात्रा 17 जून 2009 पार्टी
प्रवास यात्रा 25 दिसंबर 2009 सरकार
विश्वास यात्रा 28 अप्रैल 2010 सरकार
सेवा यात्रा 09 नवंबर 2011 सरकार
अधिकार यात्रा 19 सितंबर 2012 पार्टी
संकल्प यात्रा 05 मार्च 2014 पार्टी
संपर्क यात्रा 13 नवंबर 2014पार्टी
मकसद, न्याय यात्रा : फरवरी, 2005 के विधानसभा चुनाव में एनडीए सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरा था, लेकिन, किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. तत्कालीन यूपीए की सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. इसके विरोध में नीतीश कुमार न्याय यात्रा पर निकले. पश्चिम चंपारण के बगहा से उन्होंने न्याय यात्रा की शुरुआत की और पूरे राज्य में गये तथा लोगों से न्याय की मांग की.
परिणाम: न्याय यात्रा का परिणाम यह रहा कि जनता ने उन्हें नवंबर, 2005 के विधानसभा चुनाव में भारी जनादेश देकर प्रदेश की बागडोर सौंप दी.
मकसद, धन्यवाद यात्रा : 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले विकास यात्रा हुई थी. मई में लोकसभा के चुनाव पूरे हो गये. इस समय नीतीश कुमार जदयू और भाजपा के अकेले स्टार प्रचारक थे. लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा को भारी सफलता मिली. हालांकि केंद्र में यूपीए की सरकार बनी लेकिन, बिहार में उसे करारी शिकस्त मिली और यूपीए :1 की सबसे मतबूत साथी राजद महज चार सीटों पर सिमट कर रह गया.
परिणाम : जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहा और अगले साल नवंबर, 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू के 117 विधायक चुनाव जीत कर आये. भाजपा के भी 95 विधायक जीत गये. जबकि, राजद 22 सीटों पर सिमट कर रह गया.
मकसद, प्रवास यात्रा : प्रवास यात्रा के दौरान नीतीश कुमार ने जिलों में प्रवास कर वहां की समस्याओं को जानने की कोशिश की, उसका हल निकाला. अधिकारियों की मौजूदगी में सभी विकास योजनाओं की समीक्षा हुई.
परिणाम : आम लोगों में सरकार और शासन तंत्र के प्रति विश्वास बढ़ा. इसका एक असर अगले साल 2010 में हुए विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला.
मकसद, विश्वास यात्रा : जनता का सरकार पर विश्वास बढ़ाना विश्वास यात्रा का मूल मकसद था.
परिणाम : सरकारी कामकाज को लेकर जो भी लोगों के मन में शिकायत थी, यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री के निरीक्षण, समीक्षा से एक हद तक दूर हुई. इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव हुए और नीतीश कुमार को जनता का अपार समर्थन मिला.
मकसद सेवा यात्रा: यह मुख्यमंत्री की सरकारी यात्रा थी. उन्होंने कहा था कि जनता ने उन्हें सेवा का मौका दिया है. इसके लिए जिलों में जाकर लोगों की समस्याओं को जानने की कोशिश.
परिणाम : सेवा यात्रा कई चरणों में चला. मुख्यमंत्री जहां भी गये, जिले में रात्रि विश्राम किया और अगले दिन जनता दरबार आयोजित कर लोगों से उनकी बातें सुनीं.
मकसद, अधिकार यात्रा : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए जिलों में अधिकार यात्रा आरंभ. पटना में मुख्य रैली हुई. इसके बाद जिलों में रैली की गयी.
परिणाम : आम जनमानस में बिहारी राष्ट्रवाद और विशेष राज्य का दर्जा को लेकर माहौल बना.
मकसद, संपर्क यात्रा: यह राजनीतिक यात्रा थी. लोकसभा चुनाव के बाद आम लोगों से संपर्क करना.
परिणाम: विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखा जा सकता है.
सात निश्चय और शराबबंदी पर जनता का मन-मिजाज भांपने निकले मुख्यमंत्री
मिथिलेश
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता का मन- मिजाज भांपने एक बार फिर राज्य की यात्रा पर निकले हैं. इस बार फोकस सरकार के सात निश्चय, शराबबंदी और लोक शिकायत निवारण कानून है. सात निश्चय की कई योजनाएं लागू हो गयी हैं, मुख्यमंत्री उन योजनाओं के बारे में आम आदमी से सीधा संवाद करेंगे. निश्चय यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री जिलों में शराबबंदी के असर का भी आकलन करने वाले हैं. जनता दरबार खत्म होने और उसकी जगह लोक शिकायत निवारण कानून लागू होने के बाद ही उन्होंने शासन तंत्र का जनता के साथ कनेक्शन कैसा चल रहा इसकी जमीनी हकीकत जानने यात्रा पर निकलने की घोषणा की थी. बुधवार से चंपारण के बगहा इलाके से आरंभ हो रही निश्चय यात्रा उनकी दसवीं यात्रा है. फरवरी, 2005 के विधानसभा चुनाव बाद नीतीश कुमार 12 जुलाई, 2005 को न्याय यात्रा पर निकले थे. इसके बाद विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, विश्वास यात्रा, सेवा यात्रा, अधिकार यात्रा, संकल्प यात्रा और संपर्क यात्रा में उन्होंने दूर -दराज के इलाकों में जाकर शासन-प्रशासन के बारे में लोगों से रू-ब-रू हुए. अपनी यात्राओं में नीतीश कुमार ने जनता से सीधा संवाद किया.
जनता के फीडबैक से कई बड़ी और महत्वपूर्ण योजनाओं की नींव पड़ी. विकास यात्रा के दौरान स्वीस काटेज में उन्होंने रातें गुजारीं. बगहा अनुमंडल के पतिलार जैसे गांव में रात्रि के नौ बजे तक उनकी सभा हुई. सुबह जब गांव के एक किसान के घर में उन्होंने दस्तक दी और घर में रहने वाली स्कूल जाने वाली बच्ची से उसे साइकिल मिलने की बात पूछी तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि कोई मुख्यमंत्री उसके गांव आया है.
पहली बार जब वह बिहार की यात्रा पर निकले थे, तो उसका नाम न्याय यात्रा दिया गया था. यह वह दौर था जब फरवरी, 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल पाया था. केंद्र ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ नीतीश कुमार ने जनता के बीच जाने का फैसला किया था.
न्याय यात्रा बरसात के दिनों में आरंभ हुई थी. बखि्तयारपुर से भागलपुर जाने वाली नेशनल हाइवे संख्या 31 पर कदम- कदम पर बड़े गढ़े आज भी मन -मस्तिष्क पर उसी तरह छाया है.
सड़क के दोनों ओर जलजमाव और हर दस कदम पर एक बड़ी गाड़ी गढ़े में पलटी हुई. महेशखुंट से सहरसा जाने वाली सड़क की हालत तो और भी खस्ता थी. ऊपर से बरसात का मौसम.सड़क मार्ग से वह पूरे बिहार मेें गये. सहरसा से सुपौल, फिर पूर्णिया, अररिया और किशनगंज. उन दिनों सड़क पर गढ़ा था या गढ़े में सड़क यह तय कर पाना मुश्किल था. उन सड़कों पर चल नीतीश कुमार ने राज्यवासियों के दिलों पर दस्तक दी थी.
न्याय यात्रा सितंबर में खत्म हो गयी. इसके बाद नवंबर में विधानसभा के चुनाव हुए. नीतीश को राज्य की जनता ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भारी जनादेश दिया. सरकार बनी, बिहार पटरी पर आना शुरू हो गया. इसके बाद सरकार के कामकाज का आकलन करने, जनता से सीधा संपर्क स्थापित करने के उद्देश्य से नीतीश कुमार ने अब तक नौ यात्राएं कीं. इन यात्राओं के दौरान जिला से पंचायत तक जाकर आम आदमी की समस्याओं का जायजा लिया और उसके हल निकाले.
‘सात निश्चय’ से बदलेगी बिहार की तसवीर
सरकार के सात निश्चय पूरी तरह बिहार की तसवीर को बदल देगा. इसमें बिहार के लोगों को स्वावलंबी बनाने खास कर युवाओं को फोकस में रख योजनाएं तैयार की गयी हैं.
ऊंची पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने का सवाल हो या बेरोजगार युवकों को दो साल तक एक हजार रुपये का स्वयं सहायता भत्ता दिये जाने का, सरकार ने पूरी मुस्तैदी के साथ योजनाओं को लागू किया है. बैंकों से करार किया गया है. सामाजिक योजनाओं में सभी घरों में नल का पानी, पक्की गली, प्रत्येक परिवार में बिजली कनेक्शन देने की योजना जमीन पर उतारी जा रही है.
कौशल विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है. यहां के युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिले, इसके लिए उन्हें अंगरेजी बोलने और अन्य तरह के प्रशिक्षण मिले इसके लिए प्रखंड स्तर पर केंद्र खोले जा रहे हैं. इससे इंटरपेन्योरशिप का विकास होगा और माइक्रो फिनांस की ओर बिहार अपना कदम बढ़ा सकेगा.
इन पर रहेगी नजर
सात निश्चय से संबंधित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा

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