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सफलता शराबबंदी की कहानी पटना से : अब शराब पर नहीं खर्च होते पैसे
कहते हैं कि अगर हम चाह ले तो कुछ भी करना असंभव नहीं होता है. कुछ ऐसा ही पटना कंकड़बाग के रहने वाले आयूष सिंह के साथ हुआ. पटना के फेमस डॉक्टर के बेटे आयूष को 12वीं में ही शराब की बुरी लत लग गयी. बिना शराब के आयूष नहीं रह पाता था. दोस्तों का […]
कहते हैं कि अगर हम चाह ले तो कुछ भी करना असंभव नहीं होता है. कुछ ऐसा ही पटना कंकड़बाग के रहने वाले आयूष सिंह के साथ हुआ. पटना के फेमस डॉक्टर के बेटे आयूष को 12वीं में ही शराब की बुरी लत लग गयी. बिना शराब के आयूष नहीं रह पाता था. दोस्तों का ऐसा संगत था कि हर पार्टी में शराब ही शराब होते थे. इन पार्टियों में आयूष से ही सारे पैसे खर्च करवाये जाते थे. जो भी पॉकेट खर्च मिलता था, सारा का सारा शराब पर खर्च कर देता था. शराब के नशे के कारण कोई भी उससे बात नहीं करता था.
इससे अकेलापन होने लगा. एक दिन मां ने समझाया और पैसे को बचत करने की सलाह दी. मां के सलाह पर आयूष ने पैसे की बचत किया, लेकिन शराब पर फिर भी खर्च करता रहा. कुछ ही महीनों में आयूष के बाद काफी पैसे जमा हो गये. इससे आयूष को पैसे बचत करने की अादत लग गयी. आयूष ने बताया कि कुछ ही महीनों में मेरे पास काफी पैसे जमा हो गये.
इससे मेरा हौसला और बढ़ा. दूसरी ओर संयोग से इसी समय बिहार में अप्रैल, 2016 में शराबबंदी हो गयी. फिर शराब मिलना बंद हो गया. इससे मेरे सारे पॉकेट खर्च बच जाते थे. मैंने छह महीने में ही जमीन लेकर मकान बना लिया. मै अपने पॉकेट खर्च का इस्तेमाल कई चीजों में करता हूं. मैंने लाखों रुपये शराब पर खर्च कर दिये हैं.
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