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नोटबंदी : तीन दिनों के लिए थोड़ी राहत

नयी दिल्ली/पटना : 500 और 1,000 के नोट बंद होने के तीसरे दिन शुक्रवार को पटना समेत देश भर के बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगीं और अफरा-तफरी की स्थिति रही. लोग बैंकों और एटीएम के बाहर नकदी लेने के लिए कई घंटे लाइन में खड़े रहे. ज्यादातर जगहों पर एटीएम के काम नहीं करने […]

नयी दिल्ली/पटना : 500 और 1,000 के नोट बंद होने के तीसरे दिन शुक्रवार को पटना समेत देश भर के बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगीं और अफरा-तफरी की स्थिति रही. लोग बैंकों और एटीएम के बाहर नकदी लेने के लिए कई घंटे लाइन में खड़े रहे. ज्यादातर जगहों पर एटीएम के काम नहीं करने से लोग परेशान और नाराज दिखे. कुछ एटीएम जो खुले थे, उनमें पैसा कुछ ही घंटों में समाप्त हो गया. अधिकतर एटीएम अभी भी खाली हैं, क्योंकि उनमें कैश नहीं डाला गया है. बैंक अधिकारियों ने कहा कि सभी एटीएम शनिवार से काम करना शुरू कर देंगे. एटीएम से पुराने नोट हटा दिये गये हैं और उनमें 500 और 2,000 के नये नोट डाले जायेंगे.
हालांकि एसबीआइ ने कहा है कि एटीएम सेवाओं को पूरी तरह सामान्य होने में कम से कम 10 दिन लगेंगे. देश में करीब दो लाख एटीएम हैं. इनमें 2,000 रुपये के नोट के लिए नये सिरे से व्यवस्था करनी होगी. इस बीच केंद्र सरकार ने 1000 व 500 रुपये के पुराने यानी चलन से बाहर किये गये नोटों के जरिये विभिन्न बिजली, पानी व रसोई गैस के बिल जमा कराने तथा कर व शुल्क भरने की अवधि शुक्रवार को 72 घंटे बढ़ा दी.
अब 14 नवंबर की मध्यरात्रि तक इन नोटों के जरिये बिलों का भुगतान आदि किया जा सकेगा. 14 नवंबर की रात तक एनएच पर टॉल टैक्स नहीं देना होगा. इसके साथ ही अस्पतालों व पेट्रोल पंपों में भुगतान, रेलवे व एयर टिकट के लिए पुराने नोट मान्य होंगे.
आज रात नौ बजे तक खुले रहेंगे बैंक : इधर, ग्राहकों की भारी भीड़ को देखते हुए बैंक इस शनिवार और रविवार को भी खुले रहेंगे और बैंककर्मी अगले दो दिनों तक रात नौ बजे तक काम करेंगे. बैंक कर्मियों को अगले एक महीने के लिए अतिरिक्त अवकाश नहीं लेने की भी सलाह दी गयी है. गुरुपर्व को लेकर सोमवार को कई बैंक बंद रहेंगे.
इस छुट्टी को कैंसिल करने के लिए आरबीआइ की ओर से कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है. आरबीआइ की वेबसाइट के मुताबिक, चंडीगढ़, देहरादून, गुवाहाटी, जयपुर, कानपुर, कोलकता, लखनऊ, मुंबई, नयी दिल्ली, रायपुर और रांची समेत कुछ अन्य शहरों में सोमवार को बैंक बंद रहेंगे.
15 सौ करोड़ की करेंसी बदली गयी : एसबीआइ : एसबीआइ ने कहा है कि अब तक 53 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराये गये हैं और 1500 करोड़ रुपये की करेंसी बदली गयी है. उधर, वित्त मंत्रालय ने भरोसा दिया है कि लोगो की मेहनत की कमाई एकदम सुरक्षित है. 500 और 1000 के पुराने नोटों के रूप में ढाई लाख रुपये तक की राशि बैंक खाते में जमा करने की जानकारी कर विभाग को नहीं दी जायेगी.
एटीएम से क्यों नहीं निकले 2000 के नोट? एटीएम को रीफिल करना अभी मुश्किल है. एक एटीएम में 80-90 लाख रुपये के लिए केवल 3-4 बक्से होते हैं. अब तक ये बक्से 100, 500 और 1000 रुपये के नोट देने के हिसाब से कन्फिगर किये गये थे. अब इन्हें 50, 100, 500 और 2000 रुपये के नोट के हिसाब से तैयार करना है. इसमें करीब सात-आठ दिन लगेंगे.
सरकार सख्त : 42 करोड़ का सोना मिला : उत्पाद शुल्क विभाग ने 25 शहरों में 600 से अधिक जौहरियों से सोने व जवाहरात की बिक्री और स्टॉक का ब्योरा मांगा है. अब तक 42 करोड़ के सोने के हिसाब नहीं मिले हैं.
जाली नोट जब्त : भुवनेश्वर के समीप खुर्दा में 2.5 लाख रुपये के जाली नोट जमा करने की कोशिश कर रहे युवक को पुलिस ने धर दबोचा.
50 लाख जब्त : दिल्ली एयरपोर्ट पर हैदराबाद से आये एक व्यक्ति के पास से 50 लाख रुपये कैश जब्त किये गये हैं.
पड़ोस पर असर : – पाकिस्तानी सांसद ने 1000 और 5000 रुपये के नोट अमान्य करने की मांग करते हुए सीनेट में एक प्रस्ताव पेश किया है. – नेपाल ने भारत के 500 और 1000 के 3.5 करोड़ रुपये जारी करने से रोक दिया है. इससे वहां के बाजारों में सन्नाटा है.
बिहार में दूसरे दिन करीब 400 करोड़ रुपये जमा : बिहार में दूसरे दिन भी बैंकों में कैश जमा करने और 500-1000 के पुराने नोटों को बदलने की होड़ मची रही. बैंक देर शाम तक खुल रहने के कारण बैंकों में कितने रुपये जमा हुए, इसका सटीक आंकड़ा नहीं मिल सका.
देर रात तक इसका हिसाब-किताब चलता रहा. लेकिन बैंक खातों में कैश जमा करनेवालों की संख्या पहले दिन की तुलना में ज्यादा रही. एक अनुमान के मुताबिक, दूसरे दिन करीब 400 करोड़ रुपये लोगों ने अपने बैंक खातों में जमा किये. इसका सटीक आकलन चल रहा है. हालांकि, पुराने के बदले नयी करेंसी एक्सचेंज करने का संकट शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बरकरार रहा. अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों के कई बैंकों में दूसरे दिन भी सिर्फ कैश जमा करने का ही काम हो सका. करेंसी एक्सचेंज नहीं हो सका.
दूसरे दिन आरबीआइ में 60 लाख नोट बदले गये : पटना में रिजर्व बैंक में दूसरे दिन 1500 से ज्यादा लोगों ने पुराने नोटों को नये नोट में बदला. पहले दिन यह संख्या 1300 थी. एक व्यक्ति को अधिकतम चार हजार रुपये देने की सीमा तय है. इस आधार पर 60 लाख रुपये के 500 और 1000 के पुराने नोट बदले गये. इस आधार पर राज्य की सभी 6692 बैंक शाखाओं में करीब 200 करोड़ रुपये के नोटों का एक्सचेंज हुआ. हालांकि अभी तक इसका सटीक आंकड़ा एकत्र नहीं हो पाया है. यह संख्या पहले दिन से 50 करोड़ ही ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्रों में पैसे बदलने की प्रक्रिया नहीं शुरू होने के कारण इसके आंकड़े में बहुत बढ़ोतरी नहीं हो पायी है.
500 व 1000 के नोट पर पाबंदी के बाद शुक्रवार को जब एटीएम खुलीं, तो देश भर में अफरा-तफरी मच गयी. अधिकतर एटीएम में कैश नहीं था और जहां कैश था भी, तो एकाध घंटे में खाली हो गया. बैंकों में नोट बदलनेवाले अलग परेशान हैं. हालांकि सरकार ने थोड़ी राहत देते हुए 14 नवंबर तक आवश्यक सेवाओं के लिए पुराने नोटों को मान्य कर दिया है.
केरल व मुंबई में दो की मौत: मुंबई के मुलुंड के नवघर इलाके में नोट बदलने के िलए लंबी कतार में खडे 73 साल के विश्वनाथ वर्तक बेहोश हो गये. मौके पर मौत. केरल के थालास्सेरी के एक बैंक में रुपये जमा कराने आये उन्नी दूसरी मंजिल से गिरे, मौत.
महाराष्ट्र में मंदिरों की दानपेटियां सील : महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के आठ जिलों के मंदिरों की दानपेटियां 30 नवंबर तक सील. उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर की दानपेटी से 1.85 लाख रुपये मिले.
गंगा में बह रहे नोट : यूपी के मिर्जापुर में गंगा में 500 व 1000 के बड़ी संख्या में नोट तैरते दिखे. कुछ लोग नदी में कूदे भी, पर सभी नोट फटे हुए िमले.
पटना से हेलीकॉप्टर से झारखंड भेजे गये नोट
रांची/पटना : झारखंड में मांग को पूरा करने के लिए शुक्रवार को हेलीकॉप्टर से नोट भेजे गये. झारखंड सरकार के दो हेलीकॉप्टर शुक्रवार शाम पटना आरबीआइ से रुपये लेकर लौटे. झारखंड में स्थित विभिन्न बैंकों की शाखाओं में नोटों की कमी से लोगों को हो रही परेशानी की जानकारी मिलने के बाद विकास आयुक्त अमित खरे ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से विचार-विमर्श के बाद हेलीकॉप्टर से नोट मंगाने का फैसला किया.
मुख्यमंत्री की सहमति के बाद विकास आयुक्त ने आरबीआइ के शीर्ष अधिकारियों से बात की और हेलीकॉप्टर से नोट लाने की अनुमति मांगी. आरबीआइ की अनुमति मिलने के बाद झारखंड से दो हेलीकाॅप्टर दिन के करीब दो बजे पटना भेजे गये. रुपये लेकर शाम को रांची पहुंचे. फिलहाल पटना आरबीआइ में झारखंड के लिए 1200 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं.
नौ को भेजे गये थे 1100 करोड़ : नौ नवंबर को आरबीआइ के माध्यम से 1100 करोड़ रुपये झारखंड भेजे गये थे. इसे 10 नवंबर को पुराने नोटों के बदले लोगों को दिया गया.
नोटबंदी काल में भी गांव में ठाठ
गिरींद्र नाथ झा
मुल्क में इन दिनों दो ही मुद्दा है, पहला पांच सौ -हजार का छुट्टा और दूसरा पांच सौ-हजार के नोट को बैंक में जमा करना. इन दोनों मुद्दों पर ही हर जगह बातें हो रही हैं. ऐसे में शहर की आपाधापी से दूर नोटबंदी की बात करते गांव के लोगबाग पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
किसान और किसानी समाज इस ‘नोटबंदी काल’ को किस तरह से भोग रहा है, इस पर भी बात होनी चाहिए. धान को जूट के बोरे में समेटते हुए जगदीश ने बताया कि इस बार धान को दो-तीन महीने तक गोदाम में जमा रखना होगा, क्योंकि महाजन के पास वैसे नोट नहीं है, जिसे हम रख सकते हैं. जगदीश के चेहरे को देखने के बाद यह लिखने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि शहर की तुलना में गांव – घर इस मुद्दे पर ज्यादा उतावला नहीं है. इसकी वजह है कि यहां लोगों को इंतजार करना आता है. उधर, विनोद की बहन की शादी है अगले हफ्ते ही. विनोद की परेशानी है कि उसे सब्जी वाले से लेकर टेंट वाले तक को पैसा देना है, लेकिन उसकी परेशानी का हल राजेश काका ने निकाल दिया. उन्होंने टेंट वाले को बुलाया और कहा कि जब नकदी की समस्या का हल हो जायेगा, तब आपको पैसे मिलेंगे. टेंट वाले ने सहमति दे दी. बात यह है कि हम सब बहुत जल्दी उतावले हो जाते हैं, जबकि समस्या का हल वक्त गुजरने के बाद खुद हो जाता है. गांव घर की दुनिया अभी भी सामाजिक सहयोग पर आश्रित है.
सुलेखा काकी का अपना ‘भविष्य बैंक’ है, मतलब गुल्लक. उन्होंने कहा कि इससे महीने भर का राशन का खर्च निकल जायेगा. काकी ने कहा कि हम सब पांच सौ या हजार का नोट कहां देखे हैं बाबू, सौ रुपये अभी भी हमलोगों के लिए बहुत है. वृद्धावस्था पेंशन काफी है. सुलेखा काकी की बातों को सुनकर लगा कि संतोष की सीमा का क्या महत्व है. गांव की अर्थव्यवस्था में अभी भी लेन-देन केवल नगदी नहीं है. यहां वस्तु-आधारित व्यवस्था आज भी है.
गांव के बुजुर्ग रामधन बाबा कहते हैं कि पैसा -पैसा का हल्ला नहीं करना चाहिए. देर-सवेर सब सामान्य हो जायेगा. गांव में बढ़ई, धोबी, नाई, लुहार, पंडित, किसान सब हैं. सब इस समय एक दूसरे के काम आयेंगे. बाद में हिसाब -किताब बराबर हो जायेगा.
महादलित टोले का पलटन कहता है कि परेशानी तो हुई है खास कर मक्का और आलू का बीज खरीदने में, लेकिन हमने तो पैसा अभी दिया नहीं है. हर साल तो उपज के बाद ही देते हैं. जहां तक बड़े नोट का सवाल है, तो वह हमारे नसीब में बहुत कम ही आया है. गांव के परचून दुकान वाले नसीर चाचा ने कहा है कि वे इन दिनों उधार ही दे रहे हैं. हालांकि ग्रामीण इलाके में पोस्ट ऑफिस और बैंक नहीं रहने की वजह से छोटे व्यापारियों को परेशानी हो रही है.
नोटबंदी का असर देखने गांव के हाट- बाजार की तरफ जाना हुआ. हालांकि लोगबाग नोटबंदी की बात कर रहे थे, लेकिन शहर की तरह परेशान लोग नहीं दिखे. धान देकर मछली खरीदते राजू भाई मिल गये. उन्होंने कहा, ‘धान है लेकिन सौ रुपया नहीं है. मन मछली पर डोल गया, इसलिए दस किलो धान देकर एक किलो मछली खरीद लिया.’ राजू भाई की बातों को सुन कर लगा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का रंग कितना सुंदर है. पैसे की हायतौबा से कोसों दूर है हमारा अंचल. धान देकर राशन के सामान उठा रहे लोगों को हमें देखना चाहिए. प्लास्टिक मनी-कार्ड सिस्टम से खरीदारी करनेवाले लोगों को कभी इस तरह के हाट-बाजारों को देखना चाहिए. पैसा से अधिक आज भी यहां अन्न महत्वपूर्ण है. नोटबंदी के इस काल में जब जीवन की आपाधापी बढ़ गयी है, उस वक्त इस तरह के अनुभव भी लेना जरूरी है.
हाट-बाजार और गांव घर की बातें सुनने के बाद हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तरफ गये. यहां आकर लगा कि नोटबंदी का असर है. निजी पैथोलॉजी सेंटर पर जांच के लिए रोगियों को समस्या हो रही है. यहीं आकर गांव वालों का उधारी का व्याकरण फेल हो जाता है. पैसा ही सब कुछ है, यहां आने पर महसूस होता है.
नोटबंदी के इस दौर में गांव की जिंदगी इसी तरह से चल रही है. शहर की तुलना में आपाधापी कम है, परेशान चेहरे इक्का-दुक्का हैं. बाद बांकी जीवन तो वैसा ही है, धान के बाद आलू -मक्का के लिए खेत सज रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि आनेवाला समय ग्रामीण समाज को अन्न से भर देगा, उत्सव का माहौल बना रहेगा.

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