कन्याकुमारी तक महिलाओं का एक ही संघर्ष

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन के 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन में सैंकड़ों महिलाएं हुईं शामिल पटना : औरत मां हो, बेटी हो, पत्नी हो, संघर्ष ही उसका जीवन है. कश्मीर की बात करे या कन्याकुमारी की. भले जगह अलग है. लेकिन, कहानी सभी की एक जैसी है. कभी अपनों की लड़ाई, तो कभी समाज की विसंगतियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2016 8:04 AM
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन के 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन में सैंकड़ों महिलाएं हुईं शामिल
पटना : औरत मां हो, बेटी हो, पत्नी हो, संघर्ष ही उसका जीवन है. कश्मीर की बात करे या कन्याकुमारी की. भले जगह अलग है. लेकिन, कहानी सभी की एक जैसी है. कभी अपनों की लड़ाई, तो कभी समाज की विसंगतियों को दूर करने में आैरत अपना पूरा जीवन लगा देती है. लेकिन, अगर संघर्ष शुरू किया, तो उसे लक्ष्य तक पहुंचा कर ही दम लेती है. ऐसे ही कुछ नजारा राजधानी के भारतीय नृत्य कला मंदिर में रविवार काे दिखी. इन चेहरों की संघर्ष की कहानी अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के दो दिवसीय 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन में दिखा. जहां कश्मीर से आयी नताशा राथर सेना की ओर से गैंगरेप से पीड़ित कश्मीरी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रही है.
वहीं, गुजरात से आयी निर्झरा सिन्हा 2002 के गोधरा कांड के पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में लगी हुई हैं. कार्यक्रम का संचालन ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने किया, तो वहीं अतिथियों का स्वागत पटना विवि की सेवानिवृत्त प्रोफेसर भारती एस कुमार ने किया. मौके पर बिहार ऐपवा की मीना तिवारी, अनिता सिन्हा के अलावा दूसरे राज्यों से पांच सौ से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुई. कार्यक्रम में झंडोत्तोलन ऐपवा की महिला नेता मीना देवी ने किया. अधिकार के लिए खुद ही खड़ा होना होगा : मंगलोरु से आयी विद्या दिनकर ने कहा कि महिलाओं पर आएं दिन पहनावे या उनकी कई आजादी पर पाबंदी लगायी जाती हैं, जोमहिलाएं पाबंदी के खिलाफ जाती हैं, उन्हें धमकी दी जाती हैं. महिलाओं को अपना संघर्ष खुद करना होगा. क्योंकि, आजादी से रहने का अधिकार जितना पुरुष को है उतना ही औरत को. इस कारण हम महिलाओं को खुद अपनी लड़ाई लड़नी होगी. पितृसत्तात्मक समाज के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करना होगा. क्योंकि, हर राज्य में महिलाएं समाज के ऐसे ही रूप से पीड़ित है.
ये भी हुईं शामिल : संजीला घिसिंग, नेता, दार्जिलिंग, डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी वीमेंस फेडरेशन, रवि राव, ऐपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मैसूर, फरहत बानो, ऐपवा की नेता, राजस्थान, सुधा चौधरी, ऐपवा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजस्थान, कुंती देवी, ऐपवा की वरिष्ठ नेता, बिहार.
ऑनर किलिंग के लिए बने कानून : मेरा बेटा नीतीश कटारा ऑनर किलिंग का शिकार हुआ. लेकिन, एक बार तो कोर्ट भी इसे मानने को तैयार नहीं हुआ कि ऑनर किलिंग में किसी लड़के की हत्या हो सकती है. लेकिन, मैंने अपना संघर्ष नहीं छोड़ा. मैंने कोर्ट में अपनी बातें को रखा. अंत में सुप्रीम कोर्ट को यह मानना पड़ा. लेकिन, इसके लिए नीलम कटारा को 14 सालों तक संघर्ष करना पड़ा. उत्तर प्रदेश की नीलम कटारा के बेटे नीतीश कटारा ऑनर किलिंग में मारे गये थे.
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जैसे देश में ऑनर किलिंग के लिए 25 साल की सजा का प्रावधान है. लेकिन, हमारे देश में ऑनर किलिंग को लेकर कोई कानून नहीं है. कोर्ट के उपर निर्भर है कि वो किस केस को ऑनर किलिंग का नाम देते है.

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