ऐपवा ने बनायी नौ सदस्यों की अध्यक्ष कमेटी

महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने की पहल दो दिवसीय ऐपवा का 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन समाप्त पटना : महिलाओं के संघर्ष की कहानी, महिलाओं के साथ भेदभाव की कहानी, महिलाओं पर सामाजिक पाबंदी की कहानी, ऐपवा के 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों और जिलों से आयी महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनायी. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2016 7:04 AM
महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने की पहल
दो दिवसीय ऐपवा का 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन समाप्त
पटना : महिलाओं के संघर्ष की कहानी, महिलाओं के साथ भेदभाव की कहानी, महिलाओं पर सामाजिक पाबंदी की कहानी, ऐपवा के 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों और जिलों से आयी महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनायी.
इसके बाद ऐपवा की राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन महासचिव मीना तिवारी ने कामकाज का रिपोर्ट पेश किया. रिपोर्ट में पितृसत्ता का विरोध करने, लोकतंत्र और महिला आजादी का संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया गया. भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित सम्मेलन के अंतिम दिन 10 सूत्री संकल्प को पास किया गया. इसके अलावा नौ सदस्यों का अध्यक्ष मंडल गठित किया गया. नौ सदस्य अध्यक्ष मंडल में कविता कृष्णन, आंध्र प्रदेश की सी अरुणा, कर्नाटक की रवि राव और गांधीमखी, बिहार से सोहिला गुप्ता, बंगाल से गौरी डे, झारखंड से गीता मंडल, उत्तर प्रदेश से कृष्णा अधिकारी और असम से मीनाली शामिल है.
सम्मेलन के दूसरे दिन अलग-अलग जगहों से आयीं 46 महिला प्रतिनिधि ने अपनी बातें रखीं. महिलाओं पर अत्याचार से लेकर जान से मारने की धमकी तक की कहानी थी. ऐपवा की उपाध्यक्ष प्रतिमा इंजपी के अनुसार असम के कार्वी आंग्लांग में जान से मार डालने की धमकी इसलिए दिया गया कि वो औरतों की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाया. वहीं उदयपुर विवि के दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष सुधा चौधरी के खिलाफ झूठा मुकदमा दायर किया गया. सम्मेलन के दौरान देशभर में महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचार की अलग-अलग घटनाओं को उठाया गया.
पास हुए दस सूत्री संकल्प
सम्मेलन के दूसरे दिन ऐपवा की तमाम महिला सदस्यों ने दस सूत्री संकल्प को सर्व-सम्मति से पारित किया. इसमें महिलाअों की आजादी, दलित महिलाओं पर हो रहे हिंसा के लिए आवाज उठाना, महिलाअों की निजी जिंदगी को सुरक्षित करना, महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाना, महिलाओं पर दकियानूसी अत्याचार का विराेध, दहेज लेने और देने के खिलाफ आवाज उठाना, शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना, कश्मीरी महिलाओं की सुरक्षा का सुनिश्चित करना आदि शामिल है.

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