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नोटबंदी के कारण बैंक में कुव्यवस्था से पीड़ित ग्राहकों को मुआवजा मिले : सिद्दीकी

पटना : बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने आज कहा कि 500 एवं 1000 रुपये के नोटबंदी के कारण बैकों में ग्राहकों की अप्रत्याशित भीड़ के कारण फैली अव्यवस्था के फलस्वरुप यदि किसी ग्राहक की मृत्यु होती है तो इसके लिए बैंक प्रबंधन को जवाबदेह मानते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा का प्रावधान […]

पटना : बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने आज कहा कि 500 एवं 1000 रुपये के नोटबंदी के कारण बैकों में ग्राहकों की अप्रत्याशित भीड़ के कारण फैली अव्यवस्था के फलस्वरुप यदि किसी ग्राहक की मृत्यु होती है तो इसके लिए बैंक प्रबंधन को जवाबदेह मानते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा का प्रावधान किया जाना चाहिए.

पटना स्थित होटल चाणक्य में आयोजित 58वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश के अनुरुप आबादी के अनुपात में यदि बैंक प्रबंधन द्वारा शाखा खोलने के नियमों का पालन किया गया होता तो आज आम जनता को नोटबंदी के इस दौर में इतनी परेशानी नहीं उठानी पडती.

उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंकों की सक्रियता बढी है और बैंक प्रबंधन द्वारा अपेक्षित कोशिशें की जा रही है लेकिन मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है, जिस पर बैंक प्रबंधन को ध्यान देना ही होगा अन्यथा स्थिति बद से बदतर भी हो सकती है.

सिद्दिकी ने 58वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक के नौ सूत्रीय एजेंडे की समीक्षा करते हुए बैंकों की कार्यशैली और उपलब्धि पर गहरा एतराज जताते हुए कहा कि नोटबंदी के कारण बैंकों की जमा राशि में उम्मीद से ज्यादा बढोत्तरी हुई है लेकिन बैंक प्रबंधन द्वारा उसी अनुपात में रिण सुविधा एवं अन्य बैंकिंग योजनाओं का कार्यान्वयन करना एक महत्वपूर्ण जवाबदेही है और कुशल प्रबंधन के लिए आवश्यक भी है.

58वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंक की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट कोर्ड के अनुसार राज्य साख योजना 41.50 प्रतिशत, वित्तीय समावेशन 4.76 प्रतिशत, शिक्षा रिण 5.42 प्रतिशत, साख जमा अनुपात 43.95 प्रतिशत, कृषि संबंधित 19.54 प्रतिशत, अन्य कृषि योजना 40.16 प्रतिशत, उद्योग संबंधित 26.45 प्रतिशत, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना 41.43 प्रतिशत, स्टैंड अप इंडिया 5.38 प्रतिशत का आंकड़ा पेश किया गया.

सिद्दिकी ने कहा कि जिन योजनाओं का नामकरण प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम पर होता है वे सीधे तौर पर समाज के सबसे निचले तबके और मूलभूत ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों से जुड़े होते हैं. स्पष्ट तौर पर इन योजनाओं का बैंकों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाना चाहिए.

बैठक में उपस्थित ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की सहभागिता बढाये जाने पर जोर देते हुए कहा कि बैंकों के लिए यह आवश्यक भी है और राज्य सरकार का ऐसा निर्देश भी है. मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने दलित आदिवासी एवं अत्यंत पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता के आधार पर लाभ पहुंचाने की अपील की ताकि राज्य समावेशी विकास की ओर बढ़ सके.

बैठक में वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल, सचिव :व्यय: राहुल सिंह, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक आर वर्मा, भारतीय स्टेट बैंक के ईजत सूद तथा नाबार्ड की ओर से पी दास ने भाग लिया.

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