पटना: बिजली उपभोक्ताओं ने बिहार विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तावित बिजली वृद्धि दर का विरोध किया है. एक अप्रैल से बिजली दर और न्यूनतम मासिक शुल्क (एमएमसी) में वृद्धि प्रस्तावित है.
राज्य के शहरी और ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं ने एक सुर में इस वृद्धि को गैर जरूरी बताया. उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली कंपनियां बिजली बिल की वसूली में, तो आक्रामकता दिखा रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को सुविधा देने में उनकी दिलचस्पी नहीं है.
मासिक शुल्क में न्यूनतम वृद्धि पर आपत्ति
बिजली उपभोक्ताओं का सबसे अधिक विरोध न्यूनतम मासिक शुल्क में चार गुना तक वृद्धि को लेकर था. शहरी बिजली उपभोक्ता संघ के डोमन सिंह ने आयोग के अध्यक्ष यूएन पंजियार और सदस्य एससी झा के समक्ष कहा कि कंपनियों की लापरवाही और अकर्मण्यता का ठीकरा गरीब बिजली उपभोक्ताओं के सिर फोड़ा जा रहा है. पटना के संजय गांधी नगर के निवासी एस पाठक ने आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के समक्ष शिकायत की कि बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के हजारों घरों में टोका लगा कर लोग बिजली की चोरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत बिजली कंपनी के अधिकारियों से लेकर अगमकुआं थाने तक की गयी, लेकिन लगता है कि इस गोरखधंधे में सभी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इलाके में जो मकान एक मंजिला थे अब वे बहुमंजिला हो चुके हैं, लेकिन बिजली लोड अभी तक नहीं बढ़ाया गया.
गरीब उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर
प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा ने बिजली कंपनी द्वारा शहरी व ग्रामीण इलाकों में एक यूनिट से लेकर 300 यूनिट तक के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर में प्रस्तावित वृद्धि का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस वृद्धि का सर्वाधिक असर गरीब उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. आयोग की जन सुनवाई में बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स तथा कल्याणपुर सीमेंट के प्रतिनिधि भी थे. आयोग सुनवाई गुरुवार को भी करेगा.
बिजली कंपनियों का प्रस्ताव
कुटीर ज्योति बीपीएल उपभोक्ताओं को एक अप्रैल से न्यूनतम मासिक शुल्क 55 रुपये की जगह देना होगा 200 रुपये.
मीटर रहित बिजली का इस्तेमाल करनेवालों को 160 रुपये के मासिक शुल्क की जगह देने होंगे 350 रुपये.
नये प्रस्ताव में उपभोक्ताओं से फ्लैट दर 6.50 रुपये प्रति यूनिट से बिल वसूली का प्रस्ताव है.
‘आप’ कार्यकर्ताओं ने भी दर्ज करायी शिकायत
बिहार विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में ‘आप’ के आधा दर्जन कार्यकर्ता भी मौजूद थे, लेकिन वे शिकायत लेकर नहीं बल्कि सुझाव लेकर आये थे. ‘आप’ कार्यकर्ताओं ने आयोग के समक्ष बिजली चोरी का मुद्दा उठाया और आयोग के अध्यक्ष यूएन पंजियार और सदस्य एससी झा को उन इलाकों की जानकारी दी, जहां टोका फंसा कर बिजली का इस्तेमाल हो रहा है. कार्यकर्ताओं ने आयोग को बिजली बिल की क्वालिटी बेहतर करने का सुझाव दिया. उनका कहना था कि बिल का कागज इतना छोटा होता है कि उसे संभाल कर रखना मुश्किल है. बिल की प्रिंटिंग और कागज भी घटिया है.