10 के सिक्के को खोटा समझ भगवान को कर रहे दान

रविशंकर उपाध्याय : पटना दस के सिक्कों के नकली होने के बारे में उड़ी अफवाह का असर एक नये रूप में देखने को मिल रहा है. अब इसे लोगों की मानसिकता कहें या दान धर्म के प्रति अचानक आयी जागरूकता, लेकिन राजधानी के मंदिरों में एक पखवारे में दस के सिक्कों की बाढ़ सी आ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2016 7:31 AM
रविशंकर उपाध्याय : पटना
दस के सिक्कों के नकली होने के बारे में उड़ी अफवाह का असर एक नये रूप में देखने को मिल रहा है. अब इसे लोगों की मानसिकता कहें या दान धर्म के प्रति अचानक आयी जागरूकता, लेकिन राजधानी के मंदिरों में एक पखवारे में दस के सिक्कों की बाढ़ सी आ गयी है. मंदिरों में तीन से पांच गुना तक ज्यादा दस के सिक्के भक्तगण चढ़ा रहे हैं. मंगलवार को जब महावीर मंदिर में दान के चढ़ावे का हिसाब हुआ, तो यह देख गणनाकर्मियों को भी आश्चर्य हुआ कि आखिर अचानक दस के सिक्के क्यों ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. जब सभी दान पेटियों में दस के सिक्कों की संख्या ज्यादा हुई, तो यह समझने में लोगों को देर नहीं लगी कि अाखिर क्यों दान देने वालों का फोकस दस के सिक्कों पर है.
यही हाल बेली रोड स्थित राजवंशी नगर हनुमान मंदिर का भी था.
कई इलाकों में अफवाह : 10 रुपये के सिक्कों को बंद होने की अफवाह के कारण राजधानी के कई इलाकों में दुकानदारों द्वारा 10 रुपये के सिक्के नहीं लेने की खबरें आयी थीं. 10 रुपये के सिक्के नहीं चलने की अफवाह जबरदस्त तरीके से फैली है. अफवाह किसने फैलायी ये तो नहीं पता, लेकिन दुकानदारों का कहना है कि उनके पास 10 रुपये के ढेरों सिक्के जमा हो गये हैं. न तो लोग और न ही बैंक ही 10 रुपये के इन सिक्कों को ले रहे हैं. यह भी कहा गया कि बाजार में 10 रुपये के नकली सिक्के आ गये हैं जिसका नतीजा ये हुआ है कि जिनके पास 10 रुपये के सिक्के ज्यादा हैं वह परेशान हैं. आरबीआइ ने इस विवाद पर कहा है कि 10 रुपये का सिक्का पूरी तरह वैध है. यह बंद नहीं हुआ है और न ही इसे बंद करने का आरबीआइ का कोई इरादा है. 10 रुपये का सिक्का बंद होने की बात निराधार और गलत है.
पटना जंकशन के समीप स्थित महावीर मंदिर में औसतन 5500 से 6000 दस रुपये वाले सिक्के दान में आते थे. इस बार आश्चर्यजनक रूप से इनकी संख्या तीन गुना बढ़कर 17230 सिक्के तक पहुंच गयी. बेली रोड के राजवंशी नगर महावीर मंदिर में भी सप्ताह भर में 2000 के आसपास दस के सिक्के चढ़ावे में आते थे, लेकिन इसकी संख्या लगभग 9000 के आसपास रही. ये आंकड़े बता रहे हैं कि कैसे आम जनमानस को भ्रमित करना आसान होता है. कुछ लोग इन सिक्कों को खोटा समझ कर भगवान के चरणों में चढ़ावा चढ़ाने लगे हैं.

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