बिहार सरकार की बड़ी असफलता, 10 लाख गरीबों को नहीं खोज सकी

पटना : खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले कम से कम दस लाख लोगों की खोज राज्य सरकार ने पूरी नहीं की है. गरीबों को खोजने की प्रक्रिया पिछले तीन साल से जारी है. केंद्र सरकार के फॉर्मूला के तहत बिहार की कुल ग्रामीण आबादी की 83.12 प्रतिशत शहरी आबादी की 74.53 प्रतिशत लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2016 7:13 AM
पटना : खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले कम से कम दस लाख लोगों की खोज राज्य सरकार ने पूरी नहीं की है. गरीबों को खोजने की प्रक्रिया पिछले तीन साल से जारी है. केंद्र सरकार के फॉर्मूला के तहत बिहार की कुल ग्रामीण आबादी की 83.12 प्रतिशत शहरी आबादी की 74.53 प्रतिशत लोगों को गरीबों की श्रेणी में रखा गया. इसमें 45 साल से अधिक उम्र की 167064 विधवा और एससी-एसटी श्रेणी के 1280998 लोगों को खाद्य सुरक्षा के दायरे आना है.
यह संख्या 8.72 करोड़ होता है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक केंद्र अब तक 8.62 करोड़ लोगों के नाम की सूची केंद्र सरकार को सौंपी. खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वालों को केंद्र सरकार की मदद से दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो की दर से प्रति माह पांच किलो अनाज देती है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि एक ओर जहां लगभग दस लाख गरीबों के नाम सूची में शामिल नहीं है, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में गैर जरूरतमंद लोग सूची में शामिल हो गये हैं. विभागीय मंत्री मदनसहनी ने कहा कि फिलहाल खाद्य सुरक्षा की सूची में शामिल गलत लोगों के नाम को चिह्वित करने का काम किया जा रहा है.अधिकांश जिलों में ऐसे नामों की पहचान कर ली गयी है. पहले चरण में जिनके नाम हटाये जायेंगे, उनसे स्पष्टीकरण पूछा जायेगा. इस मौका के बाद उनके नाम को सूची से हटा दिया जायेगा. इसके साथ ही सही लोगों के नाम को शामिल करने की कार्रवाई पूरी की जायेगी. सहनी ने बताया कि मार्च से पहले खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले लोगों के नाम की खोज पूरी कर ली जायेगी.

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