महागंठबंधन की सरकार के रिपोर्ट कार्ड पर मोदी ने नीतीश पर साधा निशाना, कहा- सरकार की नहीं कोई खास उपलब्धि
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने महागंठबंधन की सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर जारी होने वाले रिपोर्ट कार्ड को टाल देने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के एक साल के कार्यकाल में कोई खास […]
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने महागंठबंधन की सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर जारी होने वाले रिपोर्ट कार्ड को टाल देने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के एक साल के कार्यकाल में कोई खास उपलब्धि नहीं हुई. इस वजह से महागंठबंधन सरकार ने रेल हादसे के बहाने रिपोर्ट कार्ड को जारी करने से टाल दिया. फिर दूसरे दिन चुपके से जारी कर जनता को झांसा देने की कोशिश की. विपक्ष की ओर से उठाये गये उन तमाम सवालों का जवाब देना सरकार ने मुनासिब नहीं समझा जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं.
रिपोर्ट कार्ड में सरकार को बताना चाहिए था कि सत्ताधारी दल के उन दर्जन भर विधायकों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई जिनके काले कारनामों से पूरे देश में बिहार को शर्मसार होना पड़ा है. राज्य में कोहराम मचाने वाले अपराधियों पर नकेल कसने में सरकार क्यों विफल रही. मोदी ने कहा कि कानून के राज का दावा करने वाली सरकार बताये कि जेल-बेल और बचाने-फंसाने का खेल क्यों जारी रहा. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल का दावा करने वाली सरकार को बताना चाहिए पिछले एक साल में ‘बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम-2009’ के तहत कितने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनकी संपत्ति जब्त कर उनमें स्कूल खोला गया. रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गये कितने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई हुई तथा आय से अधिक संपत्ति के कितने मामले दर्ज किये गये.
तामझाम से लागू किये गये कृषि रोड मैप का क्या हुआ. 18 विभागों को मिला कर गठित कृषि कैबिनेट क्यों भंग कर दी गयी. स्वास्थ्य व शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गठित मानव विकास मिशन का क्या हुआ. जब नयी औद्योगिक नीति के अंतर्गत उद्योगों व निवेशकों को दी जाने वाली सारी रियायतों व अनुदानों को खत्म कर दिया गया है तो फिर औद्योगिक प्रोत्साहन व निवेश को बढ़ावा कैसे दिया जायेगा. मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री चापाकल, नगर विकास और ग्रामोदय योजनाओं को क्यों बंद कर दिया गया. बैंकों की शिक्षा ऋण योजना को ‘ स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ का नया नाम देकर क्या छात्रों को झांसा देने की कोशिश नहीं की गयी है. क्या छात्रों को वाई-फाइ शैक्षिक कैंपस का तब तक कोई लाभ मिल पायेगा, जब तक कि उनके पास लैपटॉप नहीं होगा. क्या इस रिपोर्ट कार्ड को चुपके से जारी कर सरकार ने यह स्वीकार नहीं कर लिया है कि सभी मोरचों पर वह बुरी तरह से विफल है.
रिपोर्ट कार्ड झूठे वादों का दस्तावेज : मंगल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा है कि महागंठबंधन सरकार का एक साल का ‘रिपोर्ट कार्ड झूठ का पुलिंदा है. 2010 में एनडीए के शासन के लिए 2010 से 2015 तक के लिए तय ‘सुशासन के कार्यक्रम’ की कार्बन कॉपी है. रिपोर्ट कार्ड झूठी बातों और झूठे वादों का दस्तावेज है. इधर, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय मयुख ने रिपोर्ट कार्ड को जनता को भ्रमित करने वाला बताया है. पांडेय ने कहा कि 140 पेज के रिपोर्ट कार्ड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागंठबंधन सरकार की एक वर्ष की कारगुजारियों की चर्चा करना तनिक भी मुनासिब नहीं समझा. केंद्र सरकार की विविध योजनाओं का ‘सात निश्चय’ नामकरण कर नीतीश कुमार थोथी दलील दे रहे हैं .
उन्हें बताना चाहिए कि उनकी सरकार की एक साल की उपलब्धियां क्या है. जिस तरीके से सात निश्चय का प्रचार मुख्यमंत्री कर रहे हैं उसमें अपराध, भ्रष्टाचार नियंत्रण, कृषि और उद्योग का कोई उल्लेख नहीं है. नीतीश कुमार का रिपोर्ट कार्ड और सात निश्चय योजना को लोक लुभावन नारों के दायरे में रखकर जनता को झांसा देने की कोशिश है. चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू प्रसाद और उनके घोटालों की जननी कांग्रेस का जबसे साथ हुआ है, बिहार में न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ठप है बल्कि मुख्यमंत्री ने तो भ्रष्टाचार पर बोलना भी बंद कर दिया है.
जनता के प्रति नैतिक जिम्मेवारी भूल गयी है भाजपा : जदयू
पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रवक्ताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू के विधान पार्षद सह प्रवक्ता नीरज कुमार, राजीव रंजन प्रसाद, नवल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल हादसे में 141 लोगों की मौत हो गयी. लोग अपने परिजनों की खोज-खबर को लेकर परेशान थे, वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के ही आगरा में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे.
एक तरफ बिहार सरकार ने जारी होने वाली रिपोर्ट कार्ड को स्थगित कर दिया, वहीं प्रधानमंत्री आगरा गये, लेकिन कानपुर जाकर पीड़ितों का हाल नहीं जाने. रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी घटना के 15 घंटे बाद कानपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि भाजपा जनता के प्रति नैतिक जिम्मेवारी भूल गयी है. पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री अपने आप को प्रधान सेवक कहते हैं, लेकिन अगर देश का प्रधान सेवक इतना संवेदनहीन हो जाये तो यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है.
उन्होंने कहा कि रेल हादसे में सौ से अधिक लोगों की मौत गयी, लेकिन रेल मंत्री सुरेश प्रभु प्रधानमंत्री की चिरौरी में आगरा में रहे. वे हादसे के 15 घंटे बाद कानपुर पहुंचे. जबकि सबसे पहले पहुंचने की नैतिक जिम्मेदारी उनकी थी. पीएम भी दो घंटे तक रेलवे की गैलरी देखते रहे, लेकिन वे कानपुर नहीं गये. कानपुर में लोगों की लाश पड़ी थी और यूपी भाजपा नेता प्रधानमंत्री के लिए तालियां बजवा रहे थे.
वहीं, जो पीड़ित परिवार पटना लौट रहे थे तो न तो भाजपा न ही आरएसएस के लोग उनकी मदद को नजर आये. बिहार भाजपा के नेता प्रोटोकॉल विशेषज्ञ बनते हैं, लेकिन वे भी चुप्पी साधे हुए हैं. भाजपा की कार्यशैली सामने आ गयी है और वे जनता के प्रति नैतिक जिम्मेदारी भूल रहे हैं.
भाजपा नेताओं की मर गयी संवेदना : संजय
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि राजनीति में संवेदना एक बड़ी चीज होती है, लेकिन भाजपा नेताओं की संवेदना मर गयी है. पटना-इंदौर एक्सप्रेस रेल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगरा में सभा को संबोधित किया और खूब राजनीति भी की. ये देश का दुर्भाग्य है कि देश में एक बड़ा हादसा हुआ और उस देश के प्रधानमंत्री बगल में रहते हुए भी घटना स्थल तक नहीं पहुंचते हैं.
वहीं, नीतीश कुमार हैं जिनके अंदर देश के लोगों के प्रति संवेदना है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट कार्ड को स्थगित कर दिया. राजनीति में तो हर रोज बयानबाजी होती है, लेकिन अपने अंदर कुछ संवेदना भी रखनी चाहिए . लगता है वो संवेदना सुशील मोदी के अंदर मर चुकी है.
इस दुख की घड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुख व्यक्त करते हुए रिपोर्ट कार्ड पेश करने का कार्यक्रम को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के काम से सुशील मोदी कांपने लगे हैं. वो अब सोचने लगे हैं कि वो आगे की राजनीति कैसे करेंगे? नीतीश कुमार के काम करने का तरीका ही कुछ ऐसा है. बिहार में नीतीश कुमार ने जैसे ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वैसे ही वो अपने सात निश्चयों को पूरा करने में लग गये.
विधानसभा चुनाव में उन्होंने बिहार के युवाओं के लिए जो निश्चय किया था कि उनका भविष्य उज्ज्वल हो उसकी तैयारी में लग गये, उन्होंने कहा नीतीश निश्चय यह सुनिश्चत करेगा कि राज्य में ही युवाओं को शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर मिले. महिला सशक्तिकरण को और आगे बढ़ाया जाये और हर एक नागरिक तक जीवनयापन की मूलभूत सुविधाएं पहुंचे. रोजगार और शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रेरित आर्थिक हल, युवाओं को बल राज्य के करोड़ों युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए उनके भविष्य को सुरक्षित करने में सहायक होगा.