कानपुर : इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में घायल ब्लड कैंसर से पीड़ित व्यक्ति अब अपना इलाज कानपुर के मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में कराना चाहता है, जबकि अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि जब घायल व्यक्ति के ब्लड कैंसर का इलाज पहले से ही अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान एम्स दिल्ली में हो रहा है तो उसे अपना इलाज एम्स में ही कराना चाहिये, लेकिन घायल और उनके परिजन यहीं इलाज कराने पर अड़े हैं.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ नवनीत कुमार ने कहा कि अगर मरीज एम्स नहीं जाना चाहते हैं तो हम उनका इलाज यहीं करेंगे, लेकिन उनहें ब्लड कैंसर के इलाज के लिये एम्स जाना पड़ेगा क्योंकि हमारे यहां मेडिकल आंकोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं हैं. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रमुख डॉ एके गुप्ता ने आज भाषा से बताया कि पटना के रहने वाले प्रमोद कुमार :49: वहीं नौकरी करते हैं. इंदौर पटना एक्सप्रेस से अपने परिवार के साथ पटना लौट रहे प्रमोद और उनका परिवार भी इस दुर्घटना में घायल हो गया. प्रमोद के कूल्हे और कंधे में फ्रैक्चर है.
गुप्ता ने बताया कि बाद में प्रमोद ने बताया कि उन्हें पिछले करीब 10 साल से ब्लड कैंसर है, जिसका इलाज वह दिल्ली के एम्स में करा रहे हैं. डॉक्टरों ने उनसे कहा कि चूंकि वह ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं और उनका इलाज एम्स में चल रहा है इसलिये वह अपने कंधे और कूल्हे का ऑपरेशन भी वहीं करायें. उन्हें एम्स भेजने के लिसे मेडिकल कॉलेज एंबुलेंस आदि की व्यवस्था कराने को तैयार है.
डॉ गुप्ता ने बताया कि प्रमोद अपना ऑपरेशन और ब्लड कैंसर का उपचार यहीं मेडिकल कॉलेज में कराना चाहते हैं. प्रमोद की पत्नी और बेटा भी इस ट्रेन दुर्घटना में घायल हुये थे उनका इलाज भी यहीं चल रहा है. प्रिसिंपल डॉ नवनीत ने बताया कि हम प्रमोद के आपरेशन की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उन्हें अपने कैंसर के इलाज के लिये एम्स जाना होगा क्योंकि हमारे पास इस इलाज की सुविधा नहीं है. उन्होंने बताया कि अभी भी उनके मेडिकल कॉलेज में दुर्घटना में घायल कई मरीज भर्ती हैं जिनका इलाज यहां बिल्कुल मुफ्त किया जा रहा है और उन्हें खाने पीने, दवा आदि की सुविधायें भी प्रदान की जा रही हैं.