नीतीश ने नोटबंदी का समर्थन किया, महागठबंधन में किसी प्रकार की दरार को किया खारिज
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी को लेकर महागठबंधन में किसी प्रकार की दरार को खारिज किया और कहा कि नोटबंदी का यह कदम कोई साधारण कदम नहीं, बहुत ‘साहसिक कदम’ है. लेकिन इसे लागू करने के लिए तैयारी और की गयी होती तो किसी को कठिनाई नहीं होती. बिहार विधानसभा स्थित […]
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी को लेकर महागठबंधन में किसी प्रकार की दरार को खारिज किया और कहा कि नोटबंदी का यह कदम कोई साधारण कदम नहीं, बहुत ‘साहसिक कदम’ है. लेकिन इसे लागू करने के लिए तैयारी और की गयी होती तो किसी को कठिनाई नहीं होती.
बिहार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में पत्रकारों से बातचीत के दौरान नीतीश ने नोटबंदी का एकबार फिर समर्थन करते हुए इसको लेकर महागठबंधन में किसी प्रकार की दरार को खारिज किया और कहा कि नोटबंदी का यह कदम कोई साधारण कदम नहीं, बहुत ‘साहसिक कदम’ है पर इसे लागू करने के लिए तैयारी और की गयी होती तो किसी को कठिनाई नहीं होती.
उन्होंने यह भी फिर दोहराया कि केवल नोटबंदी से नहीं बल्कि बेनामी संपत्ति पर जबतक प्रहार नहीं किया जाएगा. कालेधन के खिलाफ की गयी कार्रवाई का उतना परिणाम नहीं आएगा जितना आवश्यक है. नोटबंदी को लेकर बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल दलों जदयू, राजद और कांग्रेस में अलग-अलग राय होने के कारण दरार उत्पन्न के बारे में नीतीश ने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसको लेकर कोई भ्रांति नहीं यह महागठबंधन इस प्रदेश के मुद्दों लेकर है, उसपर कोई मतभेद नहीं लेकिन कोई राष्ट्रीय मुद्दा आने पर अलग राय रखने क्या मतभेद की संज्ञा की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जदयू, राजद और कांग्रेस का जो महागठबंधन बना. सरकार चल रही है. बिलकुल कामन एजेंडा पर काम चल रहा है. आपसी समझदारी है. किसी प्रकार की कोई भ्रांति नहीं है. नीतीश ने महागठबंधन में मतभेद अथवा दरार की अटकलों को लोगों का ख्याली पुलाव की संज्ञा देते हुए कहा कि इसका मतलब यह कतई नहीं होता कि बिहार में तीन दलों का गठबंंधन है तो दुनिया के सारे मुद्दे पर लोग एक राय होंगे. यह असंभव है.
नीतीश कुमार ने बिहार में और इस प्रदेश के मुद्दों पर महागठबंधन के बीच किसी प्रकार मतभिन्नता नहीं होने की बात करते हुए कहा कि मतभेद की बात तब होगी जब हम शराबबंदी और सात निश्चय पर अलग-अलग रुख अपनाने लगें. उन्होंने कहा कि बिहार के मामले में महागठबंधन में कोई चूक नहीं मिलेगी पर यहां के बाहर के विषयों को लेकर किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सब अपनी-अपनी राय कायम कर सकते हैं. कोई राष्ट्रीय विषय आने पर अलग राय रखना क्या मतभेद कहलाएगा.
नीतीश ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी पी जोशी के बयान का हवाला देते हुए जोशी जी ठीक ही कहा कि बिहार में उनका कांग्रेस के साथ गठबंधन है. बिहार के बाहर तो कोई गठबंधन नहीं है. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अशोक चौधरी की उपस्थिति में उन्होंने नोटबंदी के विरोध में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पटना में विरोध मार्च के दौरान उनके बयान का हवाला सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने बिल्कुल ठीक ही कहा कि वे अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय पर बिहार में गठबंधन में है अगर कल कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व तय कर लेगा तो ये अलग नहीं होंगे. कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व के महागठबंधन से अलग होने का तय कर लेने पर इनकी हिम्मत है. अकेले ये क्या हैं. पार्टी निर्णय लेगी तो ये क्या करेंगे.
नीतीश कुमार ने कहा कि इसमें कौन सी ऐसी बात थी जिससे यह समझा जाए कि महागठबंधन में दरार उत्पन्न हो गयी. उन्हाेंने अपने कक्ष में मौजूद मीडियाकर्मियों से कहा कि आपमें से कोई लिख देंगे कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद जी से आसन्न उत्तर प्रदेश बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मतभेद है तो राजद और जदयू अलग अलग दल हैं. राजद वहां चुनाव नहीं लड़ने और जदयू चुनाव लड़ने का निर्णय लेगा तो इसमें क्या मतभेद है. यह तो कोई बिहार का विषय तो है नहीं.
सीएम ने कहा कि वे गंभीरतापूर्वक यह समझते हैं कि कालाधन पर रोक की दिशा में विमुद्रीकरण एक सकारात्मक कदम है पर उतना ही शिद्दत से यह महसूस करते हैं कि इसे लागू करने के पूर्व आवश्यक तैयारी नहीं की गयी थी. यह पूछे जाने पर कि जदयू आगामी 28 नवंबर को नोटबंदी के विरोध में ‘भारत बंद’ में शामिल होगी, उन्होंने कहा कि उनसे इस बारे में किसी ने कोई बात नहीं की इसलिए इस पर वे कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.
यह पूछे जाने कि नोटबंदी के विरोध में हड़ताल को लेकर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उन्हें क्या फोन किया है, नीतीश ने इससे इंकार करते हुए उन्होंने उस समय उन्हें फोन किया था जब इसको लेकर उनकी राष्ट्रपति से मिलने की योजना थी.
नीतीश ने कहा कि ममता दीदी से बातचीत के दौरान उन्होंने उनसे यही कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी ने नोटबंदी का स्वयं ही समर्थन किया है. राष्ट्रपति को केंद्र सरकार के किसी निर्णय पर क्या कोई बयान देने की जरुरत है. जब अच्छा महसूस किया, तभी तो उन्होंने बयान दिया होगा। वे कांग्रेस की सरकार में अनेक बार वित्त मंत्री रहे हैं और इतने अनुभवी नेता हैं. उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के पूर्व आवश्यक कदम नहीं उठाये जाने से लोगों को जो कठिनाई उठानी पड़ रही है वह बात सही है पर उनकी समझ से नोटबंदी गलत नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि ममता ने यह कहा है कि आपका नोटबंदी के समर्थन रुख ‘राजनीतिक मजबूरी’ के कारण लिया, नीतीश ने इसे खारिज करते हुए कहा ‘मेरी क्या मजबूरी हो सकती है, जिन्होंने भी ऐसा कहा है वे बताएं कि हमारी क्या मजबूरी हो सकती है.’
नीतीश ने उदाहरण दिया कि जब वे राजग में थे तब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे प्रणब जी का उन्होंने समर्थन किया था. उस समय उनकी क्या मजबूरी थी. उन्होंने कहा, ‘अपनी राय रखना किसी की मजबूरी नहीं होती. अलग अलग लोगाें की अपनी-अपनी राय होती है. उसे रखने से हमें रोक दीजिएगा, जो बात मुझे ठीक लगती है उसे मैं पुरजोर तरीके से रखता हूं. ‘
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा, ‘बिहार में हमारा गठबंधन है और यहां के मुद्दे को लेकर जरा सी भी हमसे चूक हो. यहां के मामले में जरा भी चूक नहीं मिलेगी पर यहां के बाहर के विषयों पर अपनी राय रखने पर कोई किसी पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता. गठबंधन का मतलब यह नहीं है कि किसी की अपनी पहचान खत्म हो जाना है. गठबंधन होने का मतलब यह नहीं है कि किसी का सारा तरीका बदल जाएगा. सब अपनी-अपनी राय रख सकते हैं. किसी को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. ‘ उन्होंने कहा कि राजद का भी शुरुआत में लगातार चार-पांच दिन तक नोटबंदी के पक्ष में बयान आता रहा.
नीतीश ने कहा कि इसे अपनी-अपनी राय बताते हुए कहा कि वे ‘प्लस’ के साथ ‘माइनस’ भी देख रहे हैं. किसी को ‘माइनस’ ज्यादा दिख रहा है तो किसी को ‘टोटल माइनस’ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा कल संसद में दिए गए भाषण को देखा जाए तो उन्होंने कहीं भी विमुद्रीकरण की भावना की निंदा नहीं की बल्कि उसके लिए किए प्रबंध में कमी को उजागर किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर रुख भी एक हो जाते हैं. सब लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया. हम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में नहीं जानते पर बाकी दलों ने नोटबंदी के बारे में अलग अलग सुझाव दिये. हर की अपनी राय है पर किसी ने क्या विमुद्रीकरण के खिलाफ बोला है.