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राजद विधायक करते रहते हैं हंगामा और टुकुर-टुकुर देखते रह जाते हैं सीएम : मोदी
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विधान परिषद में राजद के विधायक वेल में जाकर लगातार हंगामा करते रहे और मुख्यमंत्री उनको टुकुर–टुकुर देखते रहे. हंगामा करने वालों को मुख्यमंत्री का समर्थन और संरक्षण प्राप्त है. पहले राबड़ी देवी ने अभद्र […]
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विधान परिषद में राजद के विधायक वेल में जाकर लगातार हंगामा करते रहे और मुख्यमंत्री उनको टुकुर–टुकुर देखते रहे. हंगामा करने वालों को मुख्यमंत्री का समर्थन और संरक्षण प्राप्त है. पहले राबड़ी देवी ने अभद्र टिप्पणी कर मुख्यमंत्री को अपमानित किया और अब सदन को बाधित कर मुख्यमंत्री को चुनौती दे रही हैं.
मोदी ने कहा कि राबड़ी देवी बताएं कि चारा घोटाले में सजायाफ्ता व्यक्ति को भ्रष्ट नहीं तो ईमानदार कहा जायेगा. नीतीश कुमार बताएं कि जिस सोनिया गांधी के 10 वर्षों के राज में लाखों-करोड़ के घोटाले और भ्रष्टाचार हुए, क्या ऐसी सरकार और उसके नेता को ईमानदार कहा जाये. मुख्यमंत्री बताएं कि विपक्ष की महिला विधायक के साथ दुर्व्यवहार करने वाले विधायकों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
जब सत्ताधारी दल के विधायक ही सदन को बाधित करने और सदन की मर्यादा को तार-तार करने में लगे हों तो फिर ऐसी स्थिति में विपक्ष क्या करे. मुख्यमंत्री सत्ताधारी दल के विधायकों को अनुशासित करें और सदन की मर्यादा को अक्षुण बनाने रखने में अपनी भूमिका का निर्वाह करें. महागंठबंधन के घटक दलों के दबाव और विवशता से बाहर निकलें ताकि संसदीय परंपरा को कलंकित होने से बचाया जा सके.
सत्तापक्ष के नेताओं को अपशब्द कहना सही नहीं : संजय सिंह
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि बिहार विधान परिषद में विपक्ष द्वारा सत्तापक्ष के नेताओं को अपशब्द कहना कहीं से सही नहीं है. महागंठबंधन के नेता लालू प्रसाद व सोनिया गांधी पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी, लेकिन भाजपा के वरीय नेता सदन में बैठे रहे और अपने सदस्यों को नहीं रोका.
क्या ये संसदीय परंपरा की मर्यादा है? उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता धक्का-मुक्की कर रहे थे और उसमें आरजेडी विधायक प्रेमा चौधरी को चोट आयी. यह उन्हें नहीं दिखा. भाजपा ने अबतक नहीं बताया कि 31 जिलों में कार्यालय के जमीन के लिए पैसा कहां से आया? जो जमीन खरीदी गयी, उसका भुगतान चेक से हुआ या कैश से?
जिलों में कार्यालय के नाम पर भाजपा निवेश कर रही है. नोटबंदी से पहले जिलों में पार्टी दफ्तरों के लिए जिस तरह से जमीन खरीदी गयी, इससे यह बात सच हो गयी कि भाजपा के बड़े नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं तक को नोटबंदी की खबर थी. भाजपा का देश में हजार से अधिक संगठनात्मक जिले हैं.
सभी जगह कार्यालय बनाना है. सरकार पहले भी जमीन खरीदने का फैसला ले सकती थी, लेकिन नोटबंदी से पहले लेना यह शक पैदा करता है. अगर सुशील मोदी में इतनी हिम्मत है तो वो जमीन के इस खरीद का जेपीसी से जांच कराने की सिफारिश करें और भाजपा 20 हजार से ज्यादा दान देनेवालों के नाम को सार्वजनिक करे. संजय सिंह ने कहा कि भाजपा हर जिला इकाई को जमीन और भवन के लिए एक-एक करोड़ दे रही है. प्रदेश कार्यालय के लिए 15 करोड़ दिये गये हैं.
भाजपा की सालाना आय 970.43 करोड़ हैं. जमीन खरीदने और कार्यालय बनाने में 1914 करोड़ खर्च होंगे. इतनी राशि कहां से आयेगी? भाजपा आर्थिक फर्जीवाड़ा कर रही हैं. प्रधानमंत्री ने गोपनीयता का हवाला देकर नोटबंदी के बारे में किसी को नहीं बताया, लेकिन अमित शाह से ये गुप्त जानकारी जरूर साझा की थी. काले धन को जेवरात और संपत्ति के रूप में छुपा लिया गया है. इन सबमें भाजपा का भी हाथ है और इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को पहले से ही थी.
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