बिहार में प्रथम छह महीने में 16.23 प्रतिशत कम वाणिज्य कर संग्रह हुआ : भाजपा
पटना : भाजपा नेआज आरोप लगाया कि बिहार में आम उपभोग की सभी चीजों पर अप्रत्याशित कर वृद्धि के बावजूद राज्य सरकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल के प्रथम छह महीने में काफी कम कर संग्रह कर पायी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप […]
पटना : भाजपा नेआज आरोप लगाया कि बिहार में आम उपभोग की सभी चीजों पर अप्रत्याशित कर वृद्धि के बावजूद राज्य सरकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल के प्रथम छह महीने में काफी कम कर संग्रह कर पायी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि बिहार में आम उपभोग की सभी चीजों पर अप्रत्याशित कर वृद्धि के बावजूद राज्य सरकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल के प्रथम छह महीने में काफी कम कर संग्रह कर पायी है.
भाजपा नेता ने कहा कि वाणिज्य कर में पिछले साल की तुलना में इस साल की पहली छमाही में 9.75 प्रतिशत की कमी आयी है. पिछले साल 7474 करोड के संग्रह की तुलना में इस साल मात्र 6745 करोड़ यानी 729 करोड़ कम संग्रह हो पाया है. सुशील मोदी ने कहा कि प्रथम छह महीने में उत्पाद व मद्य निषेध विभाग के लक्ष्य 2100 करोड़ के विरुद्ध मात्र 46 करोड़ ही संग्रह हो पाया है. इस प्रकार कर राजस्व में प्रथम छह महीने में पिछले साल जहां 11,419 करोड़ का संग्रह हुआ था. वहीं इस साल मात्र 9565 करोड़ यानी 16.23 प्रतिशत कम संग्रह हुआ है.
उन्होंने कहा कि आम उपभोग की सभी चीजों पर अप्रत्याशित कर वृद्धि के बावजूद सरकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल के प्रथम छह महीने में काफी कम कर संग्रह कर पायी है. बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा था कि राजस्व संग्रह में कोई कमी नहीं आयेगी क्योंकि शराब पर खर्च होने वाले 10 हजार करोड़ की बचत को लोग अन्य उपयोग के सामानों पर व्यय करेंगे और इससे सरकार को पर्याप्त राजस्व मिलेगा मगर मुख्यमंत्री के सारे दावे धरे के धरे रह गये हैं.
भाजपा नेता ने कहा कि कपड़ा, मिठाई आदि पर पांच प्रतिशत के साथ ही सभी वस्तुओं पर दो प्रतिशत टैक्स वृद्धि के अलावा पेट्रोल-डीजल पर सरचार्ज और दर्जनों वस्तुओं पर प्रवेश कर लगाने के बावजूद आखिर सरकार कर राजस्व संग्रह में फिसड्डी क्यों रह गयी.
सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री के राजस्व नुकसान नहीं होने के दावे का क्या हुआ. गुजरे छह महीने में राजस्व संग्रह में फिसड्डी रहने वाली सरकार क्या अब अगले छह महीने नोटबंदी का बहाना नहीं बनायेगी. उन्होंने कहा कि गैर कर राजस्व के अन्तर्गत भी पहली छमाही में खनन व भूतत्व विभाग के राजस्व में 10.77 तो कृषि विभाग में 11.63 तथा पर्यावरण विभाग के राजस्व संग्रह में 19.77 प्रतिशत की कमी आयी है. कर व गैर राजस्व के संग्रह में कुल 14.46 प्रतिशत की गिरावट है. क्या यह सरकार की लचर वित्तीय प्रबंधन का नमूना नहीं है.