अब गूंगे बोल सकेंगे और बहरे सुन सकेंगे

आइजीआइएमएस : अस्पताल में फरवरी तक मिलने लगेगी नयी सुविधा, मरीजों को मिलेगी काफी राहत आनंद तिवारी पटना : अगर आप का बच्चा किसी कारण से बोल या सुन नहीं पाता है, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. दोनों ही स्थिति में बच्चों का इलाज पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2016 6:32 AM
आइजीआइएमएस : अस्पताल में फरवरी तक मिलने लगेगी नयी सुविधा, मरीजों को मिलेगी काफी राहत
आनंद तिवारी
पटना : अगर आप का बच्चा किसी कारण से बोल या सुन नहीं पाता है, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. दोनों ही स्थिति में बच्चों का इलाज पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में किया जायेगा. अस्पताल प्रशासन कॉकलियर इंप्लांट की सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है. दो महीने बाद यानी फरवरी तक यह सुविधा अस्पताल में मिलने लगेगी. अस्पताल प्रशासन ने कॉकलियर इंप्लांट लगाने को लेकर जोर-शोर से कवायद शुरू कर दी है.
अस्पताल को मिले पांच करोड़ रुपये : प्रदेश सरकार ने इस सुविधा के लिए आइजीआइएमएस प्रशासन को पांच करोड़ रुपये दिये हैं. इस राशि से इएनटी विभाग में मॉड्यूलर ओटी की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा संबंधित उपकरण मंगाये जा चुके हैं.
इसके अलावा इएनटी विभाग में कान, नाक और गले से संबंधित दूसरी जटिल बीमारियों का इलाज भी होगा. कॉकलियर इंप्लांट में मरीज को लगनेवाली मशीन की कीमत पांच से छह लाख रुपये है. इसके माध्यम से बच्चे सुनने लगेंगे. हालांकि, इतना खर्च कर गूंगे-बहरे बच्चों का इलाज कराना यहां के गरीबों के लिए संभव नहीं होगा. इसलिए अस्पताल प्रशासन सरकार से मदद लेगा और गरीब मरीजों को अनुदान लेकर मरीजों को मशीन लगायी जायेगी. इसको लेकर भी कवायद चल रही है.
अनुदान के बाद 35 हजार में होगा इलाज
गरीबों के बच्चों का इलाज अस्पताल प्रशासन अनुदान की मदद से करेगा. कॉकलियर इंप्लांट पर मदद को लेकर सरकार ने भी सहमति जता दी है. सरकार की ओर से अनुदान राशि अगर मिलती है, तो अस्पताल में मरीज को 35 से 40 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे. इएनटी विभाग के हेड डॉ राकेश कुमार सिंह के अनुसार कॉकलियर इंप्लांट की शुरुआत हो चुकी है.
लेकिन, बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के मकसद से इसे विकसित किया गया है. विभाग में आधुनिक तकनीक वाली मशीन मंगायी गयी है.
इन बच्चों को होगा फायदा : कॉकलियर इंप्लांट के तहत मशीन लगाने की राशि मिलती है, तो इस योजना का लाभ नवजात से लेकर सात साल तक के मूक-बधिर बच्चों को मिल पायेगा. पटना एम्स अस्पताल में इसकी शुरुआत हो चुकी है. अब तक 110 से अधिक बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट हो चुका है. अभी भी 20-25 बच्चे वेटिंग में हैं. आइजीआइएमएस अस्पताल में ही इन्हें स्पीच थेरेपी भी दी जायेगी.
क्या है कॉकलियर इंप्लांट
कॉकलियर इंप्लांट के तहत बच्चों की सर्जरी कर एक मशीन लगायी जाती है. इंप्लांट के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सुनने व बोलने के सेंस को डेवलप करती है. कानों में सेंसर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने से सुनने में अक्षम रोगियों की सर्जरी कर इसे लगाया जाता है. यह डिवाइस माइक्रोफोन, स्पीच प्रोसेसर, ट्रांसमीटर, रिसीवर और इलेक्ट्रोड से बना होता है.
माइक्रोफोन वातावरण से आवाज को स्पीच प्रोसेसर तक और साउंड को फिल्टर कर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के जरिये ट्रांसमीटर तक भेजता है. इस तकनीक का प्रयोग सुनने या बोलने में हो रही परेशानी के बाद डॉक्टर बच्चों को लगाते हैं.

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