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बिहार के 20 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतन का इंतजार, समिति गठित करने में देरी कर रही है सरकार : मोदी
पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य के करीब 20 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का इंतजार है. राज्य सरकार जानबूझ कर वेतन समिति के गठन में देर कर रही है. मुख्यमंत्री के पास चार महीने से समिति गठित करने […]
पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य के करीब 20 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का इंतजार है. राज्य सरकार जानबूझ कर वेतन समिति के गठन में देर कर रही है. मुख्यमंत्री के पास चार महीने से समिति गठित करने से संबंधित फाइल पड़ा हुआ है.मोदी ने कहा है कि दरअसल शराबबंदी के बाद लचर आर्थिक स्थिति के कारण राज्य सरकार कर्मचारियों को वर्तमान दर से भी नियमित वेतन भुगतान नहीं कर रही है.
पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि सरकार एक तरह से हाथ खड़ा कर रही है, ऐसे में अब कर्मचारियों को तय करना है कि वे नया वेतनमान कैसे लेंगे? केंद्र सरकार द्वारा सातवां वेतनमान लागू किया जा चुका है. आमतौर पर परिपाटी रही है कि केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मियों के वेतन वृद्धि या वेतनमान लागू किये जाने के बाद राज्य सरकार भी उसी तर्ज पर अपने कर्मियों के वेतन में वृद्धि या नया वेतनमान देती है.
लेकिन राज्य सरकार अभी तक वेतन समिति का गठन भी नहीं कर सकी है. उन्होंने कहा है कि राज्य में 3.5 लाख राज्यकर्मियों के अलावा 4.25 लाख पेंशनर, 4 लाख नियोजित शिक्षक और विश्वविद्यालय तथा नगर निकाय के कर्मचारियों सहित लगभग 20 लाख कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलना है. वेतन पर 2016-17 में 18,328 करोड़ और पेंशन पर 16,285 करोड़ खर्च होने का अनुमान है.
अगर सातवां वेतनमान लागू होता है तो कर्मियों के वेतन में करीब 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी. मोदी ने कहा है कि शराबबंदी के बाद राजस्व संग्रह कम हुई है. मुख्यमंत्री भले मिठाई और दूध की बिक्री बढ़ने का शिगूफा उछाल रहे हैं, मगर राज्य की वित्तीय स्थिति चरमरा गयी है.
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