बचायी जायेंगी शहर की ऐतिहासिक धरोहरें

पटना : राजधानी पटना के ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की कवायद नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा किया जायेगा. यहां के ऐतिहासिक धरोहरों में पटना साहिब गुरुद्वारा, पटना म्यूजियम, अगमकुआं, गोलघर, दरभंगा हाउस, खुदाबख्श लाइब्रेरी, पटन देवी, कुम्हरार, छोटी पटनदेवी और मनेर दरगाह को संरक्षित किया जायेगा. इसके लिए विभाग द्वारा नगर कला एवं विरासत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2016 6:24 AM
पटना : राजधानी पटना के ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की कवायद नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा किया जायेगा. यहां के ऐतिहासिक धरोहरों में पटना साहिब गुरुद्वारा, पटना म्यूजियम, अगमकुआं, गोलघर, दरभंगा हाउस, खुदाबख्श लाइब्रेरी, पटन देवी, कुम्हरार, छोटी पटनदेवी और मनेर दरगाह को संरक्षित किया जायेगा. इसके लिए विभाग द्वारा नगर कला एवं विरासत आयोग का गठन करेगी. नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने बताया कि मास्टर प्लान में ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों को बचाने के लिए प्रावधान किया गया है.
उन्होंने बताया कि मंगलवार को नगर कला एवं विरासत आयोग के गठन को लेकर समीक्षा की जायेगी. इसे जल्द अमली जामा पहनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि पटना विकास प्राधिकार द्वारा आवश्यकता पड़ने पर ऐतिहासिक धरोहर वाले स्थलों के पास निर्मित होने वाले भवनों पर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद ही निर्माण की अनुमति दी जायेगी. आयोग ऐसे स्थलों के रंग, संकेत और वास्तु विषयक विशिष्टताएं सहित अति आवश्यक शर्तें और निबंधन का प्रावधान भी कर सकेगा. नगर कला और विरासत आयोग की अनुशंसा पर सार्वजनिक सूचना जारी कर विभिन्न क्षेत्रों में वास्तु विषयक मानक निर्धारित करेगा.
ऐसी होगी व्यवस्था
किसी भी घोषित स्मारक की बाहरी चाहरदीवारी से 100 मीटर की त्रिज्या में या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा बिहार राज्य कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा किसी पुरातत्वीय स्थल से समय-समय पर निश्चित की गयी अधिक दूरी तक किसी भवन का निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी जायेगी. ऐसे स्मारकों से 100 मीटर से अधिक और 300 मीटर तक की त्रिज्या में पहली मंजिल से ऊपर तथा सात मीटर से ऊपर के निर्माण की अनुमति नहीं होगी. किसी भवन का निर्माण और पुनर्निर्माण कुल मिलाकर सात मीटर से अधिक ऊंचाई का नहीं होगा.
उन्होंने बताया कि कोई भवन या परिसर जो प्राचीन स्मारक परिरक्षण अधिनियम 1904 या प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अधीन आता हो, ऐतिहासिक या पुरातत्वीय रुची का हो और किसी विकास के कारण उसके गिरने या परिवर्तित हो जाने का खतरा हो या उसके स्वरूप पर प्रभाव पड़ने की संभावना हो तो उस भवन या परिसर के नजदीक भूमि पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जायेगी. यह मामला कला आयोग के पास जायेगा और उसका निर्णय अंतिम होगा.

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