केंद्र सरकार से आठ माह बाद मिली राशि
कागज पर ही रह गया जैविक खेती का कॉरीडोर बनना पटना : राज्य में जैविक खेती के कॉरीडोर बनाना कागज पर सही सिमट कर रह गया. इस योजना में राज्य के पांच जिले समस्तीपुर, खगड़िया, वैशाली, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के दियारे में बिना रासायनिक खाद के सब्जी का उत्पादन करने की योजना बनी थी. पिछले […]
कागज पर ही रह गया जैविक खेती का कॉरीडोर बनना
पटना : राज्य में जैविक खेती के कॉरीडोर बनाना कागज पर सही सिमट कर रह गया. इस योजना में राज्य के पांच जिले समस्तीपुर, खगड़िया, वैशाली, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के दियारे में बिना रासायनिक खाद के सब्जी का उत्पादन करने की योजना बनी थी. पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग की समीक्षा में जैविक खेती की कॉरीडोर बनाने का सुझाव दिया था.
कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि कॉरीडोर बनने से किसानों की जैविक सब्जी के व्यापारी को इसकी खरीद में सुविधा होती. साथ विभाग ने तय किया था कि जैविक खेती की सर्टिफिकेशन भी किया जाना था. सर्टिफिकेशन यानी प्रमाणन से बाहर के लोगों को बिहार में जैविक खेती पर भरोसा होता और भविष्य में जैविक खेती का विस्तार होता.
अधिकारी ने बताया कि जैविक खेती के कॉरीडोर के लिए पहले चरण में समस्तीपुर, खगड़िया, वैशाली, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के दियारे को शामिल किया गया था, लेकिन समय पर इस मद में मिलने वाली राशि नहीं मिलने के कारण इसे लागू करने में देरी हुई है. अधिकारी ने बताया कि केंद्र और राज्य की इस योजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य को मिलने वाली पैसे की अनुपात को घटाने के कारण राज्य सरकार को दोबारा इस मद के लिए राशि स्वीकृत करना पड़ा. लगभग 20 करोड़ की इस योजना में पैसे की स्वीकृति लेने में ही आठ माह का समय बीत गया. विभाग द्वारा इस योजना को लागू करने के लिए लगातार प्रयास के बाद अब राशि स्वीकृत होने की स्थिति में है.
उम्मीद है दिसंबर के अंत तक राशि मिल जायेगी. इसके साथ ही इन पांचों जिलों के दियारे के किसानों के बीच प्रचार-प्रसार कर इस योजना को लागू किया जायेगा. पांच जिलों में जैविक खेती के कॉरीडोर के प्रभारी और कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राम प्रकाश सहनी ने कहा कि विभाग इस योजना को लागू करने की तैयारी कर रही है. इस योजना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जल्द ही इसे सफलता पूर्वक लागू किया जायेगा.