पुलिसकर्मियों का स्पेशल ट्रेनिंग फंड केंद्र ने बंद किया

पटना : राज्य में पुलिस कर्मियों के लिए केंद्र सरकार की सहायता से चलने वाली विद्रोहरोधी और आतंकवादरोधी स्कूलों के लिए अब केंद्रीय सहायता बंद कर दी गयी है. केंद्र की तरफ से मिलने वाली सहायता बंद होने के बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर से ऐसे तीन स्कूलों का संचालन करने का निर्णय लिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2016 6:55 AM
पटना : राज्य में पुलिस कर्मियों के लिए केंद्र सरकार की सहायता से चलने वाली विद्रोहरोधी और आतंकवादरोधी स्कूलों के लिए अब केंद्रीय सहायता बंद कर दी गयी है. केंद्र की तरफ से मिलने वाली सहायता बंद होने के बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर से ऐसे तीन स्कूलों का संचालन करने का निर्णय लिया है. पांच वर्ष तक स्कूल संचालित करने के लिए एक करोड़ 24 लाख 80 हजार रुपये प्रति वर्ष की दर से कुल छह करोड़ 24 लाख रुपये जारी कर दिया है. गृह विभाग ने इसके लिए आवंटन जारी करने से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है.
आतंकवाद, घुसपैठ जैसी अन्य किसी विषम परिस्थिति से मुकाबला करने के लिए राज्य में चुनिंदा पुलिस कर्मियों को आंतकवाद और विद्रोहरोधी ट्रेनिंग दी जाती है. इस ट्रेनिंग के लिए राज्य में तीन स्कूल बनाये गये हैं, जिसमें बोधगया स्थित बीएमपी-3, डिहरी स्थित बीएमपी-2 और डुमरांव में मौजूद बीएमपी-4 शामिल हैं. इन तीनों सीआइएटी (कॉम्बैट, इंसर्जेंसी एंड एंटी-टेररिस्ट ट्रेनिंग) स्कूलों में बिहार पुलिस के चुनिंदा जवानों को आधुनिक हथियारों, विशेष युद्ध कौशल और जंगल में आतंकियों या नक्सलियों से मुकाबला करने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. ताकि ये किसी भी
विषम परिस्थिति का मुकाबला कहीं भी कर सकें. एक स्कूल को संचालित करने में औसतन प्रति महीने एक लाख रुपये का खर्च आता है. इसका वजन अब राज्य सरकार खुद अपने स्तर से करेगी. अपने बलबूते पर राज्य सरकार राशि खर्च करके पुलिस जवानों को ट्रेनिंग देगी.

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