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पटना में इंजीनियर के घर विजिलेंस का छापा, काली कमाई देखकर फटी रह जायेंगी आंखें
पटना : ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश मांझी के आवास से तीन लाख रुपये के नये नोट बरामद किये गये हैं. ये सभी नोट दो हजार रुपये के हैं. आय से अधिक संपत्ति मामले में बुधवार को यहां हनुमान नगर व सारण के एकमा स्थित उनके आवास और सीवान में सरकारी कार्यालय […]
पटना : ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश मांझी के आवास से तीन लाख रुपये के नये नोट बरामद किये गये हैं. ये सभी नोट दो हजार रुपये के हैं. आय से अधिक संपत्ति मामले में बुधवार को यहां हनुमान नगर व सारण के एकमा स्थित उनके आवास और सीवान में सरकारी कार्यालय पर निगरानी की अलग-अलग टीमों ने छापेमारी की. ओम प्रकाश मांझी अभी सीवान में पदस्थापित हैं. अब तक की जांच में उनके पास से आय से अधिक एक करोड़ 16 लाख 98 हजार की संपत्ति का पता चला है. 12 स्थानों पर फ्लैट व प्लॉट के कागजात के अलावा 13 लाख रुपये के सोने-चांदी के गहने भी बरामद हुए हैं. निगरानी ने भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया है.
सूत्रों के अनुसार ओम प्रकाश मांझी ने अपने और परिजनों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा कर ली है. पटना के हनुमान नगर के एमआइजी में उनके दो फ्लैट (208 व 2) हैं. इसके अलावा पाटलीपुत्र कॉलोनी और नोएडा में अपने नाम पर फ्लैट, तो फुलवारीशरीफ में पत्नी के नाम पर सात प्लॉट के अलावा सारण जिले के एकमा प्रखंड में दो प्लॉट खरीद रखे हैं. उनके एवं उनके परिजनों के नाम पर विभिन्न बैंकों में पासबुक हैं. दो स्कॉर्पियो और एक मार्शल के भी कागजात मिले हैं. जांच पूरी होने के बाद अधिक संपत्ति का खुलासा हो सकता है.
इन स्थानों पर जमीन के मिले कागजात
– नोएडा के सेक्टर-105 में फ्लैट नं- 80सी, रकवा- 1640 वर्गफुट
– पाटलिपुत्र में लोटस अपार्टमेंट में फ्लैट नं- 602
– एकमा में 8.17 और 6.04 डिसमिल के प्लॉट
– पत्नी के नाम पर हनुमान नगर में एमआइजी में हाउस नंबर-2
– पत्नी के नाम पर फुलवारीशरीफ के बेतौड़ा में तीन कट्ठा, 10 कट्ठा और छह कट्ठा के प्लॉट
– पत्नी के नाम पर ही बेऊर थाने के चिलबिल्ली में छह कट्ठा का प्लॉट
– पत्नी के नाम पर पटना के पुर्णेंदु नगर के वार्ड नं- 6 में 2585 वर्गफीट जमीन
– पत्नी के नाम पर मुजफ्फरपुर के मुशहरी के रसूलपुर सैदपुर वाजिद में 5.80 और 6.80 डिसमिल जमीन
नोट : इन सभी प्लॉट की कागज पर कीमत एक करोड़ 98 लाख 41 हजार रुपये है, लेकिन बाजार कीमत कई गुना ज्यादा है.
एससी-एसटी कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही निगरानी ने विभाग के तत्कालीन सचिव एसएम राजू के खिलाफ समन जारी किया है. समन जारी करके उनसे पूछताछ करने की तैयारी निगरानी ने कर ली है. एक बार समन जारी होने के बाद किसी ने उसे रिसीव नहीं किया.
इसलिए वह लौट आया. कारण पता चला कि वह कई दिनों से छुट्टी पर चल रहे हैं और इस महीने की 27 या 28 तारीख को लौटेंगे. इस बीच अगर दो बार समन जारी होने के बाद लौट जाता है, तो उनके खिलाफ निगरानी ब्यूरो की तरफ से गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा सकता है. हालांकि, इस मामले में ब्यूरो ने करीब 15 दिन पहले ही एफआइआर दर्ज की थी और उसके बाद से गुप्त तरीके से इसकी जांच कर रहा था.
शुरुआती जांच में एसएम राजू के नाम आने की महज आशंका जतायी जा रही थी, लेकिन गड़बड़ी सामने आने के बाद एफआइआर में उनका नाम शामिल किया गया. निगरानी ब्यूरो का कहना है कि तत्कालीन सचिव को पूरी तरह से दोषी ठहराने से संबंधित तमाम पहलुओं पर जांच चल रही है. आइएएस अधिकारी राजू के अलावा इस एफआइआर में तत्कालीन विशेष सचिव सुरेश पासवान और सहायक निदेशक इंद्रजीत मुखर्जी के अलावा 13 अन्य बिचौलियों की भूमिका अदा करनेवालों को भी मुख्य अभियुक्त बनाया गया है.
जिन बिचौलियों ने विभागीय अधिकारियों की मदद से पूरा गेम प्लान किया है. इसमें अधिकतर अभियुक्त पटना में कंसल्टेंसी का संचालन करते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत के दो कॉलेजों के अधिकारी भी इस सूची में शामिल हैं.
आइएएस राजू पर यह आरोप
एससी-एसटी कल्याण विभाग में सचिव के पद पर रहने के दौरान एसएम राजू ने छात्रवृत्ति वितरण की पूरी व्यवस्था को केंद्रीकृत कर दिया. इससे पहले यह सभी जिलों के स्तर पर छात्रवृत्ति का वितरण किया जाता था. सभी जिला कल्याण पदाधिकारी के पास छात्र आवेदन करते थे और आवेदन की जांच करके छात्रवृत्ति जारी कर दी जाती थी. इसमें काफी तरह की शिकायतें मिलने लगी थीं. लेकिन, केंद्रीकृत व्यवस्था होने से सभी जिलों से आवेदन मुख्यालय स्तर पर आते थे. यहां से जांच करके छात्रवृत्ति जारी कर दी जाती थी. यहां से भी छात्रवृत्ति जारी करने में बड़े स्तर पर धांधली सामने आयी.
पूरी गड़बड़ी का यहा है मामला
एससी-एसटी कल्याण विभाग में वर्ष 2013-14 के दौरान एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को तकनीकी कॉलेजों में पढ़ने के लिए सरकार की तरफ जो छात्रवृत्ति दी गयी थी. जांच में दो तरह की गड़बड़ियां करके छात्रवृत्ति के सभी पैसे बिचौलियों और विभागीय अधिकारियों ने मिल कर हड़पने का मामला सामने आया है.
पहली गड़बड़ी के तहत कागज पर चल रहे कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में छात्रों का नामांकन और वहां का सर्टिफिकेट दिखा कर स्कॉलरशिप के रुपये निकाल लिये गये. इस तरह के फर्जी संस्थानों में सबसे ज्यादा यूपी, उत्तराखंड और तमिलनाडु के पते मिले हैं. जबकि, दूसरी तरह की गड़बड़ी में यह बात सामने आयी कि ऐसे छात्रों के नाम पर भी छात्रवृत्ति उठा ली गयी है, जिन्होंने नामांकन लेने के तुरंत बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी.
ऐसे छात्रों को संबंधित कॉलेज से पासऑउट दिखा कर छात्रवृत्ति फर्जी तरीके से उठा ली गयी है. निगरानी ने अभी सिर्फ वर्ष 2013-14 के ही छात्रवृत्ति वितरण की जांच की है. अन्य वर्षों की जांच करने पर गड़बड़ी का दायरा काफी बढ़ सकता है. इस वर्ष ऐसे करीब 200 छात्रों के नाम पर गड़बड़ी की गयी है.
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