पटना : पूरे देश में नोटबंदी का असर हुआ. नोटबंदी के असर से बिहार भी अछूता नहीं रहा. नोटबंदी के बाद सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने में लगी है. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने 15 दिसंबर को डिजिटल पेमेंट करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए दो योजनाओं की चर्चा की थी. अमिताभ ने दोनों योजनाओं को आम लोगों के लिये तोहफा बताया था. उन्होंने बताया था कि 14 अप्रैल को डिजिटल पेमेंट को लेकर मेगा अवार्ड की घोषणा होगी. नीति आयोग जिन दो योजनाएं लेकर आ रहा है, उनमें पहली लकी ग्राहक योजना और दूसरी डिजिधन ग्राहक योजना है. दोनों योजना का मकसद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है. इसके तहत 100 दिनों में डिजिटल पेमेंट करने वालों 1000 लोगों को पुरस्कृत किया जायेगा है. डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने वाले व्यापारी भी पुरस्कृत होंगे. सरकार की इस प्रोत्साहन योजना के बाद भी लोगों को डिजिटल भुगतान नहीं भा रहे हैं.
जानकारी का अभाव
बिहार के पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और गया को छोड़ दें तो छोटे बाजारों में अभी भी डिजिटल पेमेंट लोगों के लिये मुश्किल का सबब है. लोग जानते नहीं हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों से सटे बाजारों में लोगों को लेनदेन में परेशानी हो रही है. राजधानी पटना में गुपचुप और सब्जीवालों के साथ किराना दुकानदारों ने भी डिजिटल पेमेंट लेना शुरू कर दिया है. हर जगह पेटीएम के बार कोड लगे दिखते हैं लेकिन ऐसा गांव के बाजारों में बिल्कुल नहीं है. गांव के बाजारों में सुविधा भी नहीं है और जानकारी का आभाव साफ दिखता है.
तकनीकी खामियां
बिहार के कई ग्रामीण बाजारों में आज भी इंटरनेट और सर्वर की पहुंच ऐसी नहीं है कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा सके. ग्रामीण इलाकों से सटे बैंकों में लगातार लिंक फेल होने की शिकायत होती है. बैंकों में लंबी लाइन लगी रहती है. वैसे में आम लोगों के लिये डिजिटल पेमेंट महज सरदर्द है. सर्वर डाउन होने से पेमेंट नहीं हो सकता. कई दुकानदारों के पास आज भी स्वाइप मशीन नहीं है. पटना या जिला मुख्यालयों में ज्यादातर दुकानदार पहले से ही स्वाइप मशीन रखे हुए हैं लेकिन अभी भी कई दुकानदार तकनीकी जानकारी के अभाव की वजह से मशीन रखना जरूरी नहीं समझते. हां, यह जरूर है कि दुकानदार बताते हैं कि नोटबंदी के बाद वैसे पेमेंट करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.