बिहार सरकार का बड़ा फैसला, बरौनी थर्मल पावर को इस कंपनी को सौंपने की तैयारी

पटना : बिहार सरकार कांटी और बरौनी बिजलीघरों को संचालन के लिए एनटीपीसी को सौंप सकती है. ऊर्जा विभाग इस पर विचार कर रहा है. कांटी ताप बिजलीघर के संबंध में तो ऊर्जा विभाग ने बिहार पावर जेनरेशन कंपनी से मंतव्य मांगा है. कांटी के बाद अब बरौनी बिजलीघर के बारे में भी जल्द ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2016 7:17 AM
पटना : बिहार सरकार कांटी और बरौनी बिजलीघरों को संचालन के लिए एनटीपीसी को सौंप सकती है. ऊर्जा विभाग इस पर विचार कर रहा है. कांटी ताप बिजलीघर के संबंध में तो ऊर्जा विभाग ने बिहार पावर जेनरेशन कंपनी से मंतव्य मांगा है. कांटी के बाद अब बरौनी बिजलीघर के बारे में भी जल्द ही निर्णय होगा.इसके बाद इसे मंजूरी को लिए कैबिनेट में ले जाया जायेगा. एनटीपीसी ऊर्जा सेक्टर का बड़ा खिलाड़ी है. विभाग और बिजली कंपनी का मानना है कि उसे ताप बिजलीघर चलाने का अधिक अनुभव है. अभी कांटी बिजलीघर में एनटीपीसी की 65 फीसदी और 35 फीसदी पावर जेनरेशन कंपनी की भागीदारी है.
कांटी बिजलीघर में अभी 110 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां चालू हैं, जबकि 195 मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण चल रहा है. बरौनी में 250 मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण चल रहा है, जबकि 110 मेगावाट की दो इकाइयों का भेल जीर्णोद्धार कर रहा है.
जुलाई, 2014 में ही जीर्णोद्धार का काम पूरा हो जाना था, लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो पाया है. लागत भी बढ़ती जा रही है. 8462 करोड़ की लागत से दोनों इकाइयों का जीर्णोद्धार व निर्माण होना है. दोनों बिजलीघरों का संचालन अच्छी तरह ने नहीं हो रहा है. कोयला संकट के कारण कांटी में उत्पादन बाधित होता रहता है. महीने में 15 दिन कोयला संकट के कारण यहां उत्पादन बंद रहता है. जानकार कहते हैं कि 110 मेगावाट की यूनिट को चलाना खर्चीला है.
बिजली वितरण कंपनी खुद यहां से महंगी बिजली खरीदती है, जबकि बाजार में सस्ती बिजली उपलब्ध है. कांटी से 220 मेगावाट की जगह औसतन 90 से 100 मेगावाट बिजली मिलती है. कभी-कभार 180 मेगावाट तक बिजली मिलती है. बरौनी में कभी उत्पादन होता है और कभी नहीं. राज्य में बिजली की मांग और खपत दोनों में इजाफा हो रहा है. साल के अंत तक बिजली की मांग 4500 मेगावाट तक हो जायेगी. राज्य में बिजली की खपत 168 यूनिट से बढ़ कर 203 यूनिट प्रति व्यक्ति हो गया है.
सेंट्रल पूल से भी पूरी आवंटित बिजली नहीं मिलती है. 2942 मेगावाट की जगह अभी औसतन 1700 मेगावाट बिजली मिल रहा है. बिजलीघरों का कोल लिंकेज इसीएल से है. इसीएल से कोयला लाना महंगा पड़ता है, इसलिए उत्पादन खर्च भी अधिक आता है. बिहार ने सीसीएल से कोल लिंकेज का मांग की थी, जिसे केंद्र ने मान लिया है. जल्द ही सीसीएल से कोयला मिलने लगेगा. इससे उत्पादन में एक रुपये प्रति यूनिट खर्च में कमी आने की संभावना हैं. विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पावर जनेरेशन कंपनी का मंतव्य मिलने के बाद यह तय होगा कि कर्मियों को वेतन व अन्य सुविधाएं कहां से मिलेगा.
बरौनी बिजलीघर
250 मेगावाट की दो इकाइयों का चला रहा निर्माण
110 मेगावाट की दो इकाइयों का भेल कर रहा जीर्णोद्धार
जुलाई, 2014 में ही जीर्णोद्धार का काम पूरा होना था, पर आज तक पूरा नहीं हो पाया
कांटी बिजलीघर
110 मेगावाट की दो इकाइयां चालू
195 मेगावाट की दो इकाइयों का हो रहा निर्माण
खपत व आपूर्ति बढ़ी
साल के अंत तक बिजली की मांग 4500 मेगावाट तक हो जायेगी
राज्य में बिजली की खपत 168 यूनिट से बढ़ कर 203 यूनिट प्रति व्यक्ति
सेंट्रल पूल से 2942 की जगह औसतन 1700 मेगावाट बिजली मिलती है
एनटीपीसी ताप बिजली घर चलाने में अधिक अनुभवी है. कांटी और बरौनी बिजलीघरों काे संचालन के लिए उसे देने पर विचार चल रहा है. कांटी के संचालन में उसकी भागीदारी है.
बिजेंद्र प्रसाद यादव
ऊर्जा मंत्री बिहार

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