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‘सत्ताधारी दल के विधायकों के कारण सुर्खियों में रहा बिहार’
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार 2016 में राजद के शहाबुद्दीन, राजबल्लभ यादव और रॉकी यादव के साथ ही सत्ताधारी दल के सरफराज अहमद, गोपाल मंडल, विनय वर्मा समेत अन्य विधायकों की करतूतों के कारण सुर्खियों में रहा. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार के कथित कानून के राज […]
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार 2016 में राजद के शहाबुद्दीन, राजबल्लभ यादव और रॉकी यादव के साथ ही सत्ताधारी दल के सरफराज अहमद, गोपाल मंडल, विनय वर्मा समेत अन्य विधायकों की करतूतों के कारण सुर्खियों में रहा.
उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार के कथित कानून के राज को एक ओर जहां सूबे के बेखौफ, बेलगाम अपराधी तो दूसरी ओर सत्ताधारी दल के विधायक और नेता ही पूरे साल तार-तार करते रहे. साल की शुरुआत ही विशेश्वर ओझा, बृजनाथी सिंह व तीन इंजीनियरों की हत्या से हुई. टाॅपर घोटाले और दलित छात्रवृत्ति घोटालों से एक बार फिर बिहार बदनाम हुआ.
मुख्यमंत्री का सात निश्चय जुमला बन कर रह गया. उन्होंने कहा है कि राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन, विधायक राजबल्लभ यादव व रॉकी यादव को जिस तरह से सरकार के सहयोग से बेल मिली, उससे पूरे देश में सरकार की किरकिरी हुई.
कानून के राज की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री सहयोगी दलों के आगे लाचार-विवश बने रहे. एक साल में ही महागंठबंघन की चूलें हिल गयी और नोटबंदी, पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक आदि कई मुद्दों पर जदयू-राजद-कांग्रेस की राहें अलग-अलग रही. भाजपा के दबाव में सरकार को पूर्ण शराबबंदी लागू करनी पड़ी.
, मगर सरकार के इशारे पर शराबबंदी के तालिबानी कानून की आड़ में बचाने-फंसाने का खेल होता रहा. गुजरे साल में दलित हितों की न केवल अनदेखी की गयी, बल्कि जहां दलितों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति को बंद कर दिया गया वहीं प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति का भी भुगतान रोक दिया गया.
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