हॉलीवुड में बिखेरी बिहारी मिट्टी की खुशबू

आज से नये साल की शुरुआत हो चुकी है. 2017 के पहले दिन आपको अपने बिहार की मिट्टी पर गर्व कराने के लिए हम ऐसे यूथ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पॉलीवुड नहीं, टॉलीवुड नहीं, बॉलीवुड नहीं, बल्कि सीधे हॉलीवुड में अपना पांव पसार चुके हैं. इनका नाम प्रभाकर शरण है.पटना : […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2017 5:08 PM

आज से नये साल की शुरुआत हो चुकी है. 2017 के पहले दिन आपको अपने बिहार की मिट्टी पर गर्व कराने के लिए हम ऐसे यूथ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पॉलीवुड नहीं, टॉलीवुड नहीं, बॉलीवुड नहीं, बल्कि सीधे हॉलीवुड में अपना पांव पसार चुके हैं. इनका नाम प्रभाकर शरण है.

पटना :
एक गरीब परिवार का लड़का अनजान देश में जाता है, जिसे रोजी रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. अपने बचपन का सपना पूरा करने के लिए वो अपनी सारी दौलत और ताकत लगा देता है. प्रभाकर की मेहनत का फल उन्हें मिला और जल्द ही उनकी फिल्म ‘एंटैंगल्ड : द कंफ्यूजन’ रिलीज होने वाली है. वे किसी लैटिन अमेरिकी फिल्म में काम करनेवाले पहले भारतीय अभिनेता हैं.

उनकी यह कहानी बॉलीवुड की कहानी से काफी मिलती जुलती है. बिहार के छोटे से शहर मोतिहारी में पैदा हुए प्रभाकर शरण बचपन से हीरो बनने का सपना देखते थे. उनकी ख्वाहिश जब बॉलीवुड में पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने अमेरिका का रुख किया. प्रभाकर ने सालों की लगन और मेहनत से हॉलीवुड तक का सफर तय किया. मोइन आजाद से हुए बातचीत में उन्होंने कई बातों को साझा किया.

एंटैंगल्ड: द कन्फ्यूजन में बॉलीवुड का तड़का

वे बताते हैं, यह फिल्म पहली ऐसी लैटिन फिल्म है, एक्टर प्रभाकर शरण जो टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल में है. इस फिल्म में कॉमेडी है, एक्शन है, बॉलीवुड स्टाइल डांस है. इसे आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. इस फिल्म में कोई बोल्ड सीन नहीं है. एक साफ सुथरी कहानी है. हीरो चोरी करने गया और वहां हिरोइन से मुलाकात हो गयी, हीरो-हिरोइन को एक दूसरे से प्यार हो गया. बीच-बीच में गोलियां भी चलती हैं और गाने भी आते हैं. इस फिल्म की कहानी मैंने अपने बुरे दिनों में लिखी थी. मुझे उम्मीद है कि लोग इसे पसंद करेंगे.

कोस्टारिका तक का सफर

प्रभाकर शरण बताते हैं, मैं मिडिल क्लास फैमिली से था. मुझे यहां आने के बाद 17 सालों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी. बस दिल में हौसला था कि कुछ करना है. यहां आने के बाद मुझे आर्थिक रूप से, मानिसक रूप से हर तरह से परेशानी उठानी पड़ी. यह सफर मेरे लिए काफी मुश्किल था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. बिहार से कोस्टारिका का सफर मेरे लिए काफी मुश्किल रहा, मुझे याद है कि पटना में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने सोनीपत में एडिमशन कराया. सोनीपत में मैंने रेसिलंग सीखी, मैं वहां अखाड़ों में जाता था और कुश्ती लड़ता था. उसी दौर में मैं अपने दोस्त राकेश से मिला, जिसने मुझे विदेश में पढ़ाई का सुझाव दिया.

कोस्टारिका में आकर मुझे काफी दिक्कत हुई, मुझे हरियाणा में बाजरे की रोटी, सरसों का साग और मक्खन खाने की आदत थी, लेकिन यहां तो रोटी भी नहीं मिलती थी. मुझे खाने से लेकर काम करने तक, हर चीज में दिक्कतें आयीं. कई बार वापस जाने का भी सोचा, लेकिन घरवालों के सपनों को तोड़ना नहीं चाहता था. मैंने कमाने के लिए हरियाणा की मिट्टी का सहारा लिया. वहां से 100 रुपयेकी मिट्टी मंगाकर यहां 1000 रुपये में बेचने लगा. धीरे-धीरे मेरा कारोबार बढ़ा और मैंने अपने कई स्टोर खोले. बिजनेस तो जम गया, लेकिन मेरा सपना था बॉलीवुड में चमकने का, तो धीरे-धीरे मैंने बॉलीवुड की फिल्में खरीदनी शुरू की. मैंने पहली बॉलीवुड की फिल्म यहां रिलीज करायी, हालांकि मुझे इससे कोई फायदा नहीं होता था बल्कि नुकसान ज्यादा होता था.

सिफारिश भी काम न आयी

जब मैं 10वीं में था तब मैं मुंबई गया और जब 12वीं में था, तब भी मैंने फिल्मों में किस्मत आजमाने की कोशिश की. मैंने एक बार मनोज वाजपेयी के पिता से सिफारिश के लिए चिट्ठी भी लिखवाई, लेकिन मनोज अपने कैरियर में बीजी थे, इसिलए उनसे कोई मदद नहीं मिली. फिल्मों में काम करने का मौका नहीं मिला, तो मैंने विदेश जाकर पढ़ाई करने का फैसला किया.

बिजनेस में हुआ नुकसान

एक वक्त ऐसा भी आया कि बॉलीवुड से प्यार के चक्कर में मेरा पूरा बिजनेस डूब गया, मेरी दुकानें तक बिक गयी. हालात ऐसे हुए कि मैं सड़क पर आ गया और मुझे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पंचकुला जाना पड़ा. पंचकुला में मैंने टिकवुड का बिजनेस शुरू किया. मैंने फिर से बॉलीवुड में किस्मत आजमाने की कोशिश की. मैं बहुत सारे नेताअों से भी मिला, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ. इस बीच मेरी पत्नी मेरी बेटी को लेकर मुझे छोड़कर चली गयी. एक वक्त ऐसा था जब मैं डिप्रेशन में चला गया, उसी दौरान मैंने सपने में अपनी बेटी को देखा जिसने मुझे कहा कि पापा यू आर माई हीरो. यह सपना देखने के बाद मैंने खुद को संभाला और फिर काम करना शुरू किया. वहीं मैंने अपनी फिल्म कीस्क्रीप्ट लिखनी शुरू की.

Next Article

Exit mobile version