9वें गुरु तेगबहादुर बिहार के सासाराम में 21 दिनों तक ठहरे थे, यह था कारण
पटना : प्रकाश पर्व के अवसर पर राजधानी पटना श्रद्धालुओं से सरोबार है. जानकार कहते हैं कि गुरु नानक पातिशाही जी ने ‘सरबत का भला’ के लिए चार ‘उदासी’ (आध्यात्मिक, सामाजिक एवं वैचारिक यात्रा) की थी. पहली उदासी सन् 1500 से 1506 तक की थी. इसी क्रम में वाराणसी से गया जाने के समय सासाराम […]
पटना : प्रकाश पर्व के अवसर पर राजधानी पटना श्रद्धालुओं से सरोबार है. जानकार कहते हैं कि गुरु नानक पातिशाही जी ने ‘सरबत का भला’ के लिए चार ‘उदासी’ (आध्यात्मिक, सामाजिक एवं वैचारिक यात्रा) की थी. पहली उदासी सन् 1500 से 1506 तक की थी. इसी क्रम में वाराणसी से गया जाने के समय सासाराम रुक कर उन्होंने आगे की यात्रा की थी. तीसरे नानक गुरु अमरदास जी ने जगतगुरु गुरुनानक देव महाराज की यात्रा के दौरान उनके ठहराव वाली जगहोंको चिह्नित कर वहां पक्के तौर पर संघत की स्थापना की और संचालन के लिए मसंद (धार्मिक प्रचारक सेवादार) की नियुक्ति की थी.
सासाराम में ठहरे थे 9वें गुरु
इसी क्रम में संत चाचा फग्गुमल साहेब को सासाराम के लिए मसंद बना कर फगवाड़ा (पंजाब) से भेजा था. वह अपना संपूर्ण जीवन यहीं बिताये. सिख धर्म के इतिहास में दो महापुरुषों में एक, संत चाचा फग्गुमल ऐसे थे, जिन्हें छह गुरुओं के दर्शन का सौभाग्य मिला था. नौवें गुरु हिंद की चादर गुरुतेग बहादुर महाराज सन् 1666 में अपनी पूरब दिशा की उदासी यात्रा के दौरान बिहार के प्रवेश द्वार सासाराम में संत चाचा फग्गुमल साहेब के अरदास पर परिवार सहित पधारे. गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के जत्थेदार सर्वजीत सिंह खालसा के मुताबिक, गुरु तेगबहादुर जी महाराज 21 दिनों तक सासाराम में रहे थे.
प्रकाशोत्सव पर पहुंचा है जत्था
चाचा फग्गुमल गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रधान सरदार सर्वजीत सिंह खालसा के मुताबिक प्रकाशोत्सव पर पांच रथों व जत्थे पटना पहुंचे हैं.