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34686 करोड़ का नहीं मिला उपयोगिता प्रमाणपत्र

पटना: शुक्रवार को विधानमंडल में पेश एजी की रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय नियंत्रण पर सवाल खड़ा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय नियंत्रण की पुख्ता व्यवस्था नहीं की गयी, तो स्थिति भयावह हो सकती है. रिपोर्ट 31 मार्च, 2013 को समाप्त वित्तीय वर्ष में वित्त व राजस्व प्रक्षेत्र से संबंधित […]

पटना: शुक्रवार को विधानमंडल में पेश एजी की रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय नियंत्रण पर सवाल खड़ा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय नियंत्रण की पुख्ता व्यवस्था नहीं की गयी, तो स्थिति भयावह हो सकती है. रिपोर्ट 31 मार्च, 2013 को समाप्त वित्तीय वर्ष में वित्त व राजस्व प्रक्षेत्र से संबंधित है.

कम राजस्व वसूली : रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय नियंत्रण नहीं रहने के कारण खान, वाणिज्यकर, परिवहन और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में करोड़ रुपये के कम राजस्व की वसूली हुई है. वस्तुओं पर वास्तविक मूल्य पर कम टैक्स लगाये जाने के कारण 86.88 करोड़ रुपये की क्षति हुई है. वर्षो से लंबित समय से चले आ रहे एसी- डीसी विवाद के समाधान अब तक नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि अब भी 4606 करोड़ रुपये का डीसी बिल का सामंजन नहीं हो पाया. वहीं 34686. 57 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र एजी कार्यालय को नहीं मिला है. 298 योजनाओं के अपूर्ण रहने के कारण 1487 करोड़ रुपये खजाने में पड़े रह गये. खान विभाग के संबंध में एजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पत्थर खानों की बंदोबस्ती में अधिकारियों ने 6.38 करोड़ की कम रॉयल्टी की वसूली की. लघु खनिजों के लिए मॉडल राज्य खनिज नीति नहीं रहने के चले सरकार को बड़ी राशि का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सरकार इसे जल्द अंतिम रुप दे तथा उसका क्रियान्वयन जल्द करे. किसी भी खनन पट्टा को लीज पर देने के पूर्व पट्टाधारकों से माइन प्लानिंग व क्लोजर माइनिंग प्लान लिया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए. वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से व्यापारियों ने 74.88 करोड़ रुपये कम टैक्स दिये. 219.81 करोड़ रुपये के वस्तु के आयात मूल्य के छिपाये जाने के कारण सरकार को 86.88 करोड़ करोड़ के राजस्व से वंचित रहना पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 जिलों में जिला परिवहन पदाधिकारियों ने वाहनों से 185.47 करोड़ रुपये के टैक्स से सरकार को वंचित हो जाना पड़ा. एजी ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि सरकार विभागों में बजटीय नियंत्रण को दुरुस्त करे और वास्तविक बजट प्लान का निर्माण करे. अधिकांश मामलों में एजी आपत्तियों का उत्तर विभागों द्वारा नहीं दिये जाने की शिकायत सरकार से की गयी है.

इधर सरकार का दावा स्थिति नियंत्रण में
विधानसभा में शुक्रवार को हंगामे के बीच प्रभारी वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने चालू वित्त वर्ष 2013-14 की तीसरी तिमाही का वित्तीय रुझान पेश किया. वित्तीय रुझान में सरकार ने राज्य में वित्तीय स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के अंत यानी 31 मार्च तक 8769.45 करोड़ रुपये राजकोषीय घाटा होने का अनुमान है,जो निर्धारित सीमा तीन प्रतिशत से कम यानी 2.96 प्रतिशत तक रहने की बात कही गयी है. तृतीय तिमाही की समाप्ति तक 3457.74 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा रहा है.

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