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महिला को तीन साल बाद मिला न्याय

बीमा कंपनी ने की चीटिंग, तो महिला ने उपभोक्ता फोरम का लिया सहारा अक्सर लोग परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर कई बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसी ले लेते हैं. लेकिन उन पॉलिसियों की जब जरूरत पड़ती हैं, तो बीमा कंपनियों द्वारा कई कागजी प्रक्रिया में फंसा दिया जाता है. इससे कई बार उसका लाभ […]

बीमा कंपनी ने की चीटिंग, तो महिला ने उपभोक्ता फोरम का लिया सहारा
अक्सर लोग परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर कई बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसी ले लेते हैं. लेकिन उन पॉलिसियों की जब जरूरत पड़ती हैं, तो बीमा कंपनियों द्वारा कई कागजी प्रक्रिया में फंसा दिया जाता है. इससे कई बार उसका लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं.
जिला उपभोक्ता फोरम में कुछ ऐसे ही एक मामले में नालंदा निवासी को मशक्कत करनी पड़ी. नालंदा जिले के बिहारशरीफ के कपड़ा व्यवसायी मृतक मुकेश कुमार ने कई अलग-अलग बीमा कंपनी की पॉलिसी ले रखी थी. पॉलिसी कुछ शादी से पहले की थीं, तो कुछ शादी के बाद की. इसमें कई पॉलिसियों में मृतक ने पत्नी का नाम भी डाल रखा था. दो साल बाद व्यवसायी की मृत्यु हो गयी. कुछ पॉलिसी में व्यवसायी ने अपने माता-पिता को नॉमनी बनाया था. उन पॉलिसियों का लाभ उसके ससुरालवालों ने तो ले लिया, लेकिन जिसमें पॉलीसी में व्यवसायी ने पत्नी को नॉमनी बनाया था. उसे ससुराल वाले और बीमा कंपनीवाले कागजी प्रक्रिया के तहत देने से इनकार कर रहे थे. इसके बाद व्यवसायी की विधवा पत्नी ने वर्ष 2013 में जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करायी.
मामले में पूरे तीन साल तक बहस चली. इसके बाद जिला जज ने महिला को बीमा का लाभ दिलाते हुए 10 लाख रुपये ब्याज के साथ राशि भगुतान करने का निर्णय सुनाया.
जिला उपभोक्ता फोरम के जिला जज निशा नाथ ओझा ने बताया कि फोरम में सबसे अधिक मामले बीमा कंपनी के खिलाफ दर्ज किये जाते हैंं. पॉलिसी देने के समय कंपनियों द्वारा बिना कागजी प्रक्रिया पूरी किये बगैर पॉलिसी बेच दी जाती हैं. लेकिन वहीं, जब दुर्घटना के बाद उसके नॉमनी को इसका लाभ देने की बात आती है, तो हजार कागजी प्रक्रिया में उसे उलझा दिया जाता है.
ऐसे में उन मामलों में सुनवाई करने के बाद उपभोक्ताओं को इसका लाभ प्रदान किया जाता है. अधिवक्ता मोहनलाल ने बताया कि पॉलीसी लेते वक्त कागजी प्रक्रिया पूरी करना जरूरी है. साथ ही पॉलिसी की पूरी जानकारी और नॉमनी के नाम में पूरी स्पेलिंग का भी ध्यान रखने की जरूरत है. कई बार नॉमिनी के सर्टिफिकेट में कोई और स्पेलिंग और पॉलेसी में कोई और स्पेलिंग डाल दी जाती है. इससे भी उपभोक्ताओं को परेशानी होती है.

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