बिहार पुलिस के जांच के तरीके से पटना हाइकोर्ट नाराज

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पुलिस अनुसंधान के मौजूदा तरीके पर नाराजगी जाहिर की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में इस मसले पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर बात है कि साक्ष्य के अभाव में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2017 7:22 AM
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पुलिस अनुसंधान के मौजूदा तरीके पर नाराजगी जाहिर की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में इस मसले पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर बात है कि साक्ष्य के अभाव में मुजरिम कानून के शिकंजे से बच जाते हैं. कोर्ट ने सरकार से बताने को कहा कि पुलिस किस तरह से अनुसंधान करती है कि अपराधी बच जाते हैं. सीआरपीसी के प्रावधानाें के तहत क्यों नहीं अनुसंधान हो रही है.
वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी की लोक हित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी कई दिशा निर्देश दिया है, जिसका अनुपालन नहीं हो पा रहा है.
याचिकाकर्ता बसंत चौधरी ने बताया कि पुलिस जांच के क्रम में डायरी नहीं लिखती. कई दिनों बाद घर में बैठ कर डायरी लिखी जाती है. जिसके चलते बाथे नरसंहार जैसे नरसंहार के आरोपित भी बरी हो जा रहे है. चौधरी ने कोर्ट से यह भी कहा कि कुछ दिन पहले एस एसपी ने थानेदारों को लाइन में बिठा कर डायरी लिखवायी.
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में यह बताने को कहा कि किस प्रकार अदालतों में सरकारी मुकदमों की पैरवी के लिए वकील नियुक्त किये जाते हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि इस प्रकार की नियुक्तियों में गड़बड़ी होती है.

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