बिहार बजट 2017-18 : खर्च होंगे 80 हजार करोड़
पटना : बिहार के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 का नया बजट काफी बदला हुआ होगा. नये बजट में योजना और गैर-योजना आकार जैसे वर्गीकरण समाप्त हो जायेंगे. इनके स्थान नये प्रारूप में बजट को पेश किया जायेगा.योजना आकार के स्थान पर वार्षिक योजना और गैर-योजना आकार के स्थान पर स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय (एस्टैबलिसमेंट एंड […]
पटना : बिहार के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 का नया बजट काफी बदला हुआ होगा. नये बजट में योजना और गैर-योजना आकार जैसे वर्गीकरण समाप्त हो जायेंगे. इनके स्थान नये प्रारूप में बजट को पेश किया जायेगा.योजना आकार के स्थान पर वार्षिक योजना और गैर-योजना आकार के स्थान पर स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय (एस्टैबलिसमेंट एंड कमिटेड एक्सपेंडिचर) की श्रेणियों में बांट कर बजट को पेश किया जायेगा. वार्षिक योजना के अंतर्गत तीन श्रेणियों में सभी योजनाओं को रखा जायेगा. मौजूदा बजट में जहां योजना आकार के अंतर्गत सभी योजनाओं को शामिल किया जाता था.
वहीं, नये बजट में वार्षिक योजना की श्रेणी में सभी योजनाएं शामिल होंगी. इसके लिए इस बार करीब 80 हजार करोड़ रुपये निर्धारित करने की योजना है. फिलहाल वित्त विभाग इसे लेकर कसरत करने में जुटा हुआ है. बजट का यह बदलाव केंद्रीय बजट में भी देखने को मिलेगा.
बंटेंगी योजनाएं
नये बजट में योजना आकार को वार्षिक योजनाओं में परिवर्तित करने के अलावा इसके तहत आने वाली सभी योजनाओं को तीन श्रेणियों में बांटी जायेंगी. नये बजट में सभी योजनाओं के लिए निर्धारित राशि 80 हजार करोड़ रुपये का बंटवारा इन्हीं तीन योजनाओं के अंतर्गत होगा.
पंचवर्षीय योजना का युग समाप्त
केंद्र सरकार ने वित्तीय 2017-18 से पंचवर्षीय योजना के युग का अंत कर दिया है. वर्ष 1950 से अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं देश में चल चुकी हैं. 12वीं पंचवर्षीय योजना की समय अवधि 2016-17 में समाप्त हो गयी और इसके साथ ही यह सिलसिला भी बंद हो गया. इसके बंद होने से अब राज्यों को अपना वार्षिक प्लान तैयार करने की पूरी छूट रहेगी. जिस राज्य की जितनी आमदनी या रेवेन्यू संग्रह होगा, वह उसके आधार पर अपना वार्षिक प्लान तैयार कर सकता है. पहले केंद्र की तरफ से राज्यों के लिए यह निर्धारित किया जाता था और इसके आधार पर अलग से अनुदान भी मिलता था, जो इस बार से बंद हो जायेगा.
1. केंद्र प्रायोजित योजनाएं- इस श्रेणी में केंद्र की मदद से चलनेवाली सभी योजनाओं को रखा गया है. इसमें राज्यांश और केन्द्रांश दोनों को समाहित करके चलने वाली योजनाएं या पूरी तरह से केंद्रीय फंडिंग के आधार पर चलने वाली योजनाएं शामिल हैं. वर्तमान में राज्य में चल रही ऐसी योजनाओं की संख्या करीब 56 हैं. केंद्र अपनी योजनाओं में इसी श्रेणी के अंतर्गत रुपये जारी करेगा.
2. एक्सटर्नल एडेड स्कीम या बाह्य अनुदानित योजनाएं- इसमें वैसी योजनाओं को रखा गया है, जो विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, यूनडीपी जैसी विदेशी संस्थानों से सीधे अनुदान प्राप्त करके चलती हैं. कोसी पुनर्वास योजना, शिक्षक कार्य साधकता समेत अन्य योजनाएं शामिल हैं. ऐसी योजनाओं की संख्या बेहद कम करीब 10 ही हैं.
3. राज्य योजनाएं- इसमें राज्य सरकार की तरफ से चलायी जाने वाली इनकी अपनी योजनाओं को रखा गया है. सात निश्चय समेत अन्य सभी महत्वपूर्ण योजनाएं इसमें आती हैं.
वर्तमान में ऐसी योजनाओं की संख्या सबसे ज्यादा 150 के आसपास हैं.स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय (एस्टैबलिसमेंट एंड कमिटेड एक्सपेंडिचर)- इसके तहत वेतन, पेंशन, ब्याज अदायगी समेत वैसे सभी खर्चों को समाहित किया गया है.