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हादसे से उजड़े भरे-पूरे परिवार, टूटा मुसीबतों का पहाड़, परिजनों के चीत्कार से मातम, सबकी आंखें नम

पटना में शनिवार की शाम मंकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में हुए नाव हादसे के एक दिन बाद भी मातम पसरा हुआ है. हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है. बदहवास परिजनों के मुंह से आवाज नहीं निकल रही है. हादसे में किसी […]

पटना में शनिवार की शाम मंकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में हुए नाव हादसे के एक दिन बाद भी मातम पसरा हुआ है. हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है. बदहवास परिजनों के मुंह से आवाज नहीं निकल रही है. हादसे में किसी ने अपने बच्चे व पत्नी को खो दिया, तो किसी का पूरा परिवार ही उजड़ गया. मारे गये लोगों के अंतिम संस्कार के वक्त क्रंदन से पूरा माहौल गमगीन हो गया.
… अब हम कैसे रहवै सब बरबाद भई गेलई
पटना : बाबा हौ आब हम कैसे रहवै… सब बरबाद भई गेलई… फोन पर पिता की आवाज सुन कुंती देवी और जोर से रोने लगी. वहीं पास में बैठी उसकी सास सोनीपत देवी के आंख से बस आंसू बहे जा रहे थे. मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी. बस एक उम्मीद आंख में बेटे के वापस आ जाने की भरी हुई थी. कमाने वाला एक और परिवार में आठ लोग. नाव हादसे में अपनी जान गंवा चुके मेघू साह टेंपो चलाता था. पूरे परिवार में अकेला था जो कमाता था और परिवार का भरन पोषण करता था. उसके परिवार में दो बेटी, दो बेटा, मां,पत्नी और भाई हैं
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मेघू साह गंगा दियारा पहुंचने के बाद घर में फोन कर सही सलामत पहुंचने की सूचना दी. पत्नी से बात की, लेकिन फोन बीच में कट गया और बात नहीं हाे पायी. पत्नी दुबारा फोन का इंतजार करती रही. लेकिन उसने दुबारा फोन नहीं किया. शाम में नाव हादसे की घटना के बाद रात भी गंगा घाट पर मेघू साह का इंतजार होता रहा. रात के दो बजे मेघू साह तो नहीं आया, उसकी लाश परिवार वालों को मिली. गंगा स्नान करने गये कई लोगों को टेंपो से घाट तक पहुंचाया. इसके बाद दोपहर में खाना खा कर दोस्तों के साथ दो बजे गंगा दियारा गया.
गया था पतंग उड़ाने गंगा पार, कटी जीवन की डोर
वो एक सप्ताह पहले से ही लटाई, मंझा और पतंग की तैयारी कर रहा था. अपने भाइयों के साथ मिल कर उसने खुद मंझा भी तैयार किया था. शनिवार को मकर संक्रांति के मौके पर टीम बनाकर कइयों की पतंग काटने की मंशा लिए महेंद्रु के चौरसिया लॉज इलाके का रहने वाला नीरज दियारा में गया था. उसने आधे दर्जन के लोगों की पतंग काटी, लेकिन उसके जीवन की डोर गंगा हादसा में कट जायेगी, इस बात की भनक उसे नहीं थी. वो नाव हादसा में मर गया. नीरज क्षेत्र के ही एक स्थानीय स्कूल में पढ़ता था. परिजनों की मानें तो उसकी उम्र लगभग दस वर्ष रही होगी. हादसे के बाद शनिवार को उसकी लाश नहीं मिली. परिजन रात 12 बजे तक पीएमसीएच के इमरजेंसी में खोजते रहे और फिर लौट आये. फिर रविवार की सुबह चार बजे ही पीएमसीएच में पहुंचे, सुबह साढ़े सात बजे उसकी बॉडी मिली.
नीरज दो भाइयों में छोटा है. बड़े भाई का नाम रंजन है. वो 15 वर्ष का है. दोनों भाइयों के साथ 21 वर्षीय फुफेरा भाई राकेश भी गया था. पिता रामकृपाल बिजली मिस्त्री का काम करते है. घटना के बाद नीरज के घर अाये उसके मामा सतेंद्र कुमार ने बताया कि जैसे ही गंगा में नाव डूबने की सूचना मिली, हम लोग रंजन को फोन करने लगे. फोन नहीं लगा, तो गांधी घाट पहुंचे. फिर वहां से पीएमसीएच .शनिवार की रात कुछ पता नहीं चला. बॉडी रविवार की सुबह मिली, गुलबी घाट पर दाह संस्कार किया गया.
परीक्षा देने के लिए आया था पटना, गले पड़ी मौत

दिव्यांग दिलशाद नाव हादसे में चल बसा. अररिया जिले के भरगामा प्रखंड अंतर्गत बीरनगर पूरब पंचायत के छर्रापट्टी गांव का दिलशाद बड़ा ही मिलनसार था. उसका दोस्त कौलेन जो हादसे के समय उसके साथ था, उसकी चर्चा होते ही रोने लगता है. वह कहता है- दिलशाद अब कभी हमलोगों के साथ ठहाके लगाता नहीं दिखेगा. हमलोग उसे इस बात के लिए मिस करेंगे कि परीक्षा की तैयारी के लिए दिलशाद ने क्या-क्या पढ़ी है. शव के गांव आते ही उसकी मां सालेहा परवीन पहले तो यह मानने के लिए तैयार नहीं हुई कि मेरा जिगर का टुकड़ा दिलशाद इस जहां से रूखसत हो गया, बाद में लोगों के समझाने पर वह दिलशाद के चेहरे को देखने पहुंची और चीत्कार मार कर रो पड़ी. 19 वर्षीय दिलशाद के पिता मो रईश दिल्ली में मजदूरी करते हैं. दिलशाद पांच भाई व दो बहन में सबसे बड़ा था. वह स्नातक प्रथम खंड का छात्र था. वह रविवार को होने वाले एसएससी एलडीसी की परीक्षा देने के लिए अपने दोस्त कौलेन के साथ पटना गया हुआ था. शनिवार को छुट्टी होने के कारण वह नाव से गंगा नदी पार कर घूमने गया था, जहां से लौटते वक्त यह घटना घटी.

अधूरी रह गयी विपुल की इंजीनियर बनने की आस
शनिवार को गंगा नदी के गांधी घाट पर हुए हादसा की खबर आते ही बिहटा प्रखंड के मीठापुर गांव में मातम छा गया. मृतक विपुल उर्फ गोलू की माता सीमा देवी, दादी लीलावती देवी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका लाल सदा के लिए उनका साथ छोड़ चुका है. मृतक के घर में सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीण इस घटना से गमगीन थे. मृतक के पिता मनोज शर्मा प्रखंड के रामतारी विद्यालय में शिक्षक हैं. दादा राम इकबाल सिंह भी रिटायर शिक्षक है. इस घटना से इन लोगों का रो-रो कर हाल बेहाल है. घटना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों का कहना था कि मृतक विपुल गांव का बहुत ही होनहार नौजवान था. पटना के स्कूल से प्लस टू करने के बाद वह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था. उसका चयन इंजीनियरिंग में हो गया था और वह एनआइटी पटना में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में द्वितीय वर्ष का छात्र था.
बेटी, पत्नी व साली को तो बचाया, पर खुद डूबे
शनिवार की शाम घटित गंगा दियारे नाव हादसे में कंकड़बाग के मुन्नाचौक का रहनेवाले ज्ञान शरण अपनी दो बच्ची पंखुरी व पीहू के साथ पत्नी पिंकी कुमारी को बचा कर दूसरे नाव पर चढ़ाया. फिर साली को बचाने के प्रयास में खुद गंगा में समा गये. ज्ञान शरण की मौत से विचलित पत्नी रविवार को बार-बार बेहोश हो रही थी. वहीं, मां के आंखों से आंसू सुख नहीं रहे थे. अबोध बच्ची पंखुरी और पीहू सिर्फ रोते-बिलखते चेहरे को देख रही थी. पिंकी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी और छोटी बेटी को गोद में लिए अचेत थी.
ज्ञान शरण चार भाइयों में दूसरे नंबर थे, जो अपनी मां और परिवार के साथ अलग रहते थे. प्राइवेट नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे. पिंकी जैसे ही होश में आती, चिल्ला-चिल्ला कर रोने लगती और रोते-रोते कह रही थी कि अब इस बच्ची को कौन संभालेगा. भगवान को मेरे ऊपर ही मुसीबत का पहाड़ गिराना था. अब आगे कैसे कटेगी जिंदगी. हे भगवान.
प्रशासन ने मार दिया मेरे बच्चे को : ज्ञान शरण की मां मालती देवी का रो-रो कर हाल बेहाल था. चीख-चीख कर वह कह रही थी बाबू मेरा दियारे में पतंग उड़ाने गया था. लेकिन, खुद पतंग बन गया. बच्ची का नहीं बाबा है और न ही नाना. कौन दोनों बच्ची की देखभाल करेगा.
हादसे ने छीना बुढ़ापे का सहारा, घर में पसरा मातम
बक्सर/ब्रह्मपुर/बगेनगोला.
मकर संक्रांति की शाम पटना में हुए नाव हादसे में बक्सर के भी एक युवक की मौत हो गयी. हादसे की खबर मिलते ही घर में मातमी सन्नाटा पसर गया. देर रात युवक का शव पटना से उसके गांव एकरासी लाया गया. बक्सर के चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया. बगेनगोला थाना क्षेत्र के एकरासी गांव निवासी रामचंद्र साह का पुत्र सोनू कुमार पटना से बीएससी कर रहा था. पिता उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे. सोनू पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल था. उसकी मौत की सूचना पर परिजनों में कोहराम मच गया. वहीं पूरे गांव में गम की चादर तन गयी. सोनू अपने साथी राजेश सिंह और रंजीत कुमार के साथ गंगा उस पार पतंगबाजी देखने गया था. उसके एक साथी ने फोन पर बताया कि वह खौफनाक मंजर याद कर पूरा शरीर सिहर जा रहा है. हम लोग साथ में लौट ही रहे थे कि ओवरलोड होने के कारण नाव गंगा में समा गयी. राजेश सिंह और रंजीत कुमार तैर कर बाहर निकल गये, लेकिन सोनू को तैरना नहीं आता था.
सोनू के पिता रामचंद्र साह ने एक दिन पहले फोन कर अपने बेटे को मकर संक्रांति के दिन गांव बुलाया था, लेकिन सोनू उनकी बात न मान कर अपने दोस्तों के साथ पतंग महोत्सव देखने गंगा के उस पार चला गया, जहां हादसे में उसकी जान चली गयी. सोनू घर का इकलौता वारिस था.
रूपा की हसरत रही अधूरी फिर न जा पायेगी दियारा
पटना. घर में सन्नाटा है. सब लोग गुलबी घाट पर दाह संस्कार में शामिल होने गये है. घर में बस भाभी है जो बार-बार बेहोश हो रही है. यह हाल गुलबी घाट, महेंद्रू के रहने वाली रूपा देवी के मायके का है. नाव हादसे में रूपा देवी और उसकी मां शांति देवी की मौत हो गयी है. पहली बार गंगा दियारा में पंतग उत्सव देखने की लालसा कई सालों से रूपा की थी. घर के लोगों से कई दिनों से चलने को बोल रही थी. कोई तैयार नहीं हुआ. अंत में मां शांति देवी को साथ लिया और रूपा चल गंगा दियारा चल पड़ी. 12 बजे नाव से गंगा दियारा गयी. लेकिन शाम में लौटते हुए नाव हादसे में उसकी मौत हो गयी. पीएमसीएच से लाश मिलने के बाद शांति देवी की लाश को गांव भेज दिया गया. वहीं रूपा देवी को गुलबी घाट ले जाया गया. रूपा देवी के पति विकास कुमार सेल्समैन का काम करते है.
पिता ने दिया बेटे की अरथी को कंधा
बुढ़ापे में मां-बाप का सहारा बनेगा इसी कामना के साथ अभिषेक पढ़ाई व नौकरी की तैयारी कर रहा था, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, तभी तो अभिषेक की अरथी काे पिता प्रमोद श्रीवास्तव को कांधा देना पड़ा. फफक उठे पिता कहते हैं कैसा मनहूस दिन देखा पड़ा.
पीएमसीएच से सुबह में ही पोस्टमार्टम करा पर शव को चौकशिकारपुर स्थित आवास पर लाया गया था. इंतजार था तो एकमात्र बहन प्रियंका श्रीवास्तव के कटक से आने का, जो इंडियन बैंक में सहायक मैनेजर के पद पर कार्यरत है. बहन के आने के बाद लगभग 11 बजे के आसपास में दाह-संस्कार के लिए शवयात्रा निकली. मुद्रा संग्रह के तौर पर अपनी पहचान बना चुके अभिषेक के बारे में पड़ोसियों ने बताया कि दादी उर्मिला श्रीवास्तव के विदेशी मुद्रा संग्रह के शौक को अपना कर मुद्रा संग्रह अभिषेक कुमार आगे बढ़ाता था. पिता प्रमोद श्रीवास्तव निजी संस्थान में एकाउंटेंट का काम करते हैं, तो मां करुणा श्रीवास्तव घर पर रहती हैं.
वाणिज्य महाविद्यालय से पढ़ाई-लिखाई कर चुके अभिषेक मां-पिता व बहन के साथ चौकशिकारपुर में स्थित केदार पंडित के मकान में किराये पर रहता था. वह मूल रूप से महुआ वैशाली का रहनेवाला था. खाजेकलां शमशान घाट पर उसका दाह-संस्कार किया गया. दाह-संस्कार में विधायक नंदकिशोर यादव, पूर्व उपमहापौर संतोष मेहता, भाजपा नेता राजेश साह, नवल किशोर सिन्हा आदि उपस्थित थे. सभी दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार को ढांढ़स बंधवा रहे थे.
मुंहबोले दादा-दादी के साथ गयी थी नैनसी

महेंद्रु के माता खुदी लेन में रहने वाली 12 वर्षीय नैनसी की मौत शनिवार को नाव हादसे में हो गयी. वह अपने बगल के मुंहबोले दादा दादी के साथ गंगा दियारा में मकर संक्रांति के मौके पर गयी थी. हादसे के एक दिन बाद रविवार को उसका शव मिला. नैनसी लिटिल किंग्डम स्कूल के कक्षा तीन में पढ़ती थी. वह दो बहनों में बड़ी थी. हादसे के बाद घर में कोहराम मचा था. उसकी बुआ बेबी कुमारी ने बताया कि बीते 24 नवंबर को उसका जन्म दिन मनाया गया था. छोटी बहन का नाम बेबो है.

फुलवारीशरीफ. बैरिया निवासी चंदन कुमार कुमार के डेढ़ साल के दुधमुंहे पुत्र आदित्य राज की मौत के बाद का उसके घर और ननिहाल का मातम पसरा है. आदित्य राज की मौत के 24 घंटे से अधिक गुजर जाने के बाद भी आसपास के घरों में भी चूल्हा नहीं जला है . घर में आदित्य की मां रोशनी देवी और नानी मंजू देवी बेड से उठ नहीं पा रही हैं. मां और नानी होश में आते ही रही रट लगाये रहती हैं कि कौन कसूरवा कईली हे गंगा मईया की दुधमुंहा के लील गईलअ …. रोते हुए चंदन ने बताया कि चार से पांच घंटे में ही उसकी हंसती खिलखिलाती दुनिया पतझड़ की तरह उजड़ गयी .
राजा को मौत ने दियारे में बुलाया दुबारा
भइया, सुबह में ही दियारा से घूम कर अा गया था. दोपहर में एक बजे के लगभग वो घर पहुंचा. मुझ से उसने जल्दी से खाना निकाले को कहा, मैंने उसे खाना दे दिया. वो खाना आया और फिर दादी से एक बार फिर मेला जाने के लिए पैसा मांगने लगा. भइया को दादी ने पैसा नहीं दिया, फिर भी वो अपने दोस्तों के साथ निकल गया. उसने इतना बताया और रोने लगी.
महेंद्रू के माता खुदी लेन में रहने वाले राजा की मौत के बाद जब रविवार को परिजनों का हाल जानने लिए प्रभात खबर की टीम पहुंची तो राजा की दस वर्षीय बहन पूजा ने कुछ इस तरह शनिवार को हुई तो उसने घटना के दिन हुई सारी बातें बतायीं, फिर वो रोते हुए बोली भइया तो एक बार घूम के आ गया था, दोबारा उसे मौत बुला ले गयी.
दोस्तों के कहने पर दोबारा गया था दियारा: राजा दो भाइयों में बड़ा है.एक छोटी बहन भी है. छोटे भाई का नाम दिवाकर है. राजा पीएन इंग्लो हाइ स्कूल में पढ़ता था और इस बार वो मैट्रिक की परीक्षा देने वाला था. पिता झप्सी महतो महेंद्रु के ही किसी मेस में काम करते है. माता घर का काम करती है. सुबह जब वो दियारा घूमने जा रहा था तो काम पर जाते हुए पिता उसे वहां जाने से मना कर गये था, लेकिन वो नहीं माना, पहली बार वो घूम आया. फिर दूसरी बार दोस्तों के कहने पर एक बार फिर से चला गया.
साथ जाने वाले मुहल्ले के दोस्त विजय कुमार व चंदन ने बताया कि जब हम लोग शाम को लौट रहे थे, तो राजा आगे-आगे था. वो पहले नाव पर चढ़ गया. हम लोग नाव पर अधिक भीड़ होने के कारण नहीं चढ़ पाये. नाव कुछ दूर ही आगे बढ़ी थी कि आंखों के सामने ही हादसा हो गया. शनिवार की रात साढ़े दस बजे पीएमसीएच में राजा की बॉडी मिली थी.

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