पटना : पिछले तीन साल के दौरान बिहार के मिल मालिकों पर सख्त कार्रवाईकरने के बावजूद उनसे 1241 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूल करने में सरकार अब तक खाली हाथ ही नजर आ रही है. हालांकि, राज्य सरकार के अधीनस्थ विभाग बिहार खाद्य निगम ने मिल मालिकों पर बकाया राशि की वसूली के लिए उन पर मुकदमा तक कर दिया और इसके बाद कईमिल मालिक जेल भी गये. फिर भी बकाया राशि की वसूली नहीं हो पा रही है. वसूली के लिए खाद्य निगम डाल-डाल पर पहुंचकर कायदे-कानूनों का डंडा चला रहा है, तो तो मिल मालिक अपने बचाव में पात-पात में लुकने-छिपने का खेल खेल रहे है.
स्थिति यह कि बिहार खाद्य निगम द्वारा बकाया वसूली के लिए किये गये मुकदमे के बाद जेल गये एक मिल मालिक ने बकाये के भुगतान के बजाय निगम के साथ एग्रीमेंट के जमीन को नीलाम कराने की शर्त पर जमानत ले लिया. अब निगम कैमूर जिले के कुदरा के इस मिलर की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया की कानूनी पहलू पर विचार कर रहा है. इस मिलर पर 1.27 करोड़ का बकाया है.उसने सरकार को एग्रीमेंट की जमीन की कीमत 1.60 करोड़ की जमीन को नीलाम करने की स्वीकृति पर हाइकोर्ट से जमानत ले लिया. ऐसे में कानून की अड़चन और मिलों की नयी रणनीति अपनाने के बाद वसूली के लिए राज्य खाद्य निगम बीच का रास्ता अख्तियार किया है.
अब बकायेदार मिलरों को बकाये की आधी राशि जमा करने पर कानूनी कार्रवाई बंद करने का निर्णय लिया है. कहा गया है कि शेष राशि तीन किस्तों में जमा करने की गारंटी करना होगा. राज्य खाद्य निगम के मुख्य दावा अधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि मिलरों को इसके लिए निगम को लिखकर देना होगा कि वे तीन किस्त का भुगतान कैसे करेंगे.
निगम के अधिकारी ने बताया कि 2011-12 से 2013-14 तक निगम द्वारा किसानों से खरीद धान राज्य के 2002 मिलरों को कुटाई के लिए दिया गया था. इनमें से अब तक मात्र 545 मिलर ही बकाये की पूरी राशि निगम को जमा कर सका है. यानी 1658 मिलरों से चावल के मूल्य की वसूली के लिए निगम द्वारा मुकदमा किया गया. इसमें 433पर गैर जमानतीय धारा के तहत गिरफ्तारी का वारंट जारी है. अब तक 218 मिलर गिराफ्तार कर जेल भेज दिये गये हैं. मुकदमा के बाद 948 मिलरों ने आत्मसमर्पण कर दिया. अब तक चार मिलरों की कुर्की तक हो चुकी है.
निगम के अधिकारी ने बताया कि मिलरों से सांठगांठ की वजह से इतनी बड़ी राशि सरकार को नहीं मिल सकी है. निगम द्वारा ऐसे 403 कर्मियों की पहचान कर कार्रवाई शुरू की. ऐसे कर्मियों पर निगम 107.23 करोड़ के वसूली का निर्धारण किया. अब तक कुल 124 कर्मियों ने सरकार द्वारा तय राशि का भुगतान कर दिया. अब भी 273 कर्मियों पर सरकार प्रपत्र का गठन कर कार्रवाई कर रही है. वसूली के लिए 204 कर्मियों पर एफआइआर दर्ज किया गया है. 46 को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. 55 कर्मचारी अब तक आत्मसमर्पण कर चुके हैं. कर्मियों से अब तक कुल 15.29 करोड़ की वसूली हो सकी है. ऐसे कर्मियों से सरकार 92 करोड़ की क्षति की वसूली में जुटी है.