16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नोटबंदी से बिहार सरकार को लगा करारा झटका, वाणिज्यकर की वसूली में हुआ 1000 करोड़ रुपये का नुकसान

पटना : पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में की गयी नोटबंदी की घोषणा के बाद से बिहार सरकार को करारा झटका लगा है. सरकार की ओर से जारी आकंड़ों में यह बताया जा रहा है कि नोटबंदी के दौरान बिहार सरकार को वाणिज्यकर वसूली में करीब 1000 करोड़ रुपये का […]

पटना : पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में की गयी नोटबंदी की घोषणा के बाद से बिहार सरकार को करारा झटका लगा है. सरकार की ओर से जारी आकंड़ों में यह बताया जा रहा है कि नोटबंदी के दौरान बिहार सरकार को वाणिज्यकर वसूली में करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बताया यह भी जा रहा है कि यह तो अभी नोटबंदी के असर का आरंभिक परिणाम है, वास्तविक नतीजे दो महीने बाद सामने आयेंगे.
बताया यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की नोटबंदी का असर राज्य सरकार की आय के मुख्य स्रोत वाणिज्यकर के संग्रह पर सीधे तौर पर पड़ा है. अब तक इसमें 1000 करोड़ से ज्यादा की कमी आयी है. चालू वित्तीय वर्ष के शेष दो महीनों में इसका असर ज्यादा बड़े स्तर पर दिखने की आशंका है. चालू वित्त वर्ष 2016-17 के लक्ष्य (22,000 करोड़) को हासिल करना तो बहुत दूर की बात है, पिछले वर्ष के 17,300 करोड़ के आंकड़े को छूना भी कठिन है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक मात्र 12,200 करोड़ वाणिज्यकर का संग्रह हुआ है.

उपभोक्ता सामानों की बिक्री पर पड़ा प्रभावी असर

आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद दिसंबर तक इस पर बहुत प्रभाव नहीं दिखा था, लेकिन जनवरी, 2017 के बाद से इसका असर साफ तौर पर दिखने लगा है. नोटबंदी से बाजार में उन सामान की बिक्री बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित हुई है, जिन पर राज्य में वैट लगता है. राज्य में वैट के दायरे में सीमेंट, छड़, पेंट, लकड़ी के फर्नीचर समेत करीब 52 तरह के सामान आते हैं. हालांकि, वाणिज्यकर विभाग इस कमी को न्यूनतम रखने की कोशिश में लगा हुआ है. व्यापक स्तर पर वैट वसूली की कवायद तेज कर दी गयी है.

पिछले वर्ष की तुलना में कुल 3500 करोड़ का नुकसान

पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना की जाये, तो चालू वित्तीय वर्ष में वाणिज्यकर संग्रह में कुल कमी 3,500 करोड़ की होगी. इनमें 1000 करोड़ नोटबंदी के कारण, जबकि 1500 करोड़ रुपये की कमी शराबबंदी के कारण होगी. इसमें उत्पाद विभाग को होनेवाला नुकसान शामिल नहीं है. इसके अलावा पिछले वित्तीय वर्ष में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बिहार को 1000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले थे. इन तीनों को मिला कर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार राज्य को 3,500 करोड़ का नुकसान होने जा रहा है.

पिछले वर्ष से कम संग्रह होने के आसार

चालू वित्तीय वर्ष में वाणिज्यकर संग्रह पिछले वित्तीय वर्ष से भी कम होने का अनुमान है. अब तक हुए संग्रह के आधार पर विभागीय जानकारों का यह आकलन है कि इस वर्ष 15,500 करोड़ से ज्यादा टैक्स जमा होने की उम्मीद नहीं है. पिछले वित्तीय वर्ष में 17,300 करोड़ का टैक्स संग्रह हुआ था. हालांकि, कुछ जानकार कहते हैं कि इस बार कुछ हद तक कोशिश करने पर यह संग्रह 17,000 करोड़ के आसपास पहुंच सकता है. फिर भी पिछले वित्तीय वर्ष यह कम ही रहेगा.

रजिस्ट्री से होने वाली आय पर भी पड़ा है असर

नोटबंदी का असर रजिस्ट्री से होनेवाली आय पर भी काफी पड़ा है. शहरी क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री की संख्या काफी कम हो गयी है. सेल डीड की संख्या में कमी आयी है, खासकर बड़े या ज्यादा मूल्य की जमीन की रजिस्ट्री बहुत प्रभावित हुई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में रजिस्ट्री से 3,800 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा गया है. इससे अब तक 2,200 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ है. अब दो माह में लक्ष्य को पूरा कर पाना मुश्किल लग रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में रजिस्ट्री से 3200 करोड़ राजस्व संग्रह के लक्ष्य को निबंधन विभाग ने तकरीबन हासिल कर लिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें