बिहार : RSS विचारक विजय पी भटकर बने नालंदा विवि के चांसलर

पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विज्ञान शाखा विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध विचारक विद्वान डॉ. विजय पी भटकर को बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय का चांसलर बनाया गया है. भारत के राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक डॉ. भटकर 25 जनवरी 2017 के प्रभाव से अगले तीन सालों तक नालंदा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2017 4:59 PM

पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विज्ञान शाखा विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध विचारक विद्वान डॉ. विजय पी भटकर को बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय का चांसलर बनाया गया है. भारत के राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक डॉ. भटकर 25 जनवरी 2017 के प्रभाव से अगले तीन सालों तक नालंदा विवि के चांसलर के पद पर रहेंगे. जानकारी के मुताबिक भटकर प्रसिद्ध विद्वान और विचारक के रूप में स्थापित हैं. अबतक उन्होंने 12 किताबें और अस्सी से ज्यादा शोध पत्रों का प्रकाशन और लेखन किया है. डॉ. भटकर जार्ज यो के स्थान पर नियुक्त हुए हैं.

तीन सालों तक रहेंगे चांसलर

राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक भटकर अभी इंडिया इंटरनेशनल मल्टीयूनिवर्सिटी के कुलपति हैं. इसके अलावा वे ईटीएस के शोध लैब के अध्यक्ष भी हैं. भटकर 12 आइटी के चीफ मेंटोर और आरएसएस की विज्ञान भारती के अध्यक्ष भी हैं. वहीं दूसरी ओर भटकर के चांसलर बनने पर नालंदा विवि के प्रभारी कुलपति पंकज मोहन ने उन्हें बधाई दी है. नालंदा विवि की ओर से आधिकारिक रूप से जारी संदेश में भटकर की सराहना करते हुए लिखा गया है कि उनके निर्देश में विवि नये कीर्तिमान स्थापित करेगा. साथ ही भटकर के आने से विवि समृद्ध होगा.

नालंदा विवि में कई बार हुआ बदलाव

गौरतलब हो कि नालंदा विवि में कई बार पदों को लेकर बदलाव हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो नवंबर महीने में विवि के चांसलर जार्ज यो ने नेतृत्व में बदलाव से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद आनन-फानन में एक नयी गवर्निंग बॉडी बनायी गयी थी. उस नयी बॉडी से अचानक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन को हटा दिया गया था. बाद में लॉर्ड मेघनाद देसाई और सुगाता बोस को भी उस बॉडी से हटा दिया गया था.

नीतीश ने किया था विरोध

लगातार हुए विवादास्पद फैसलों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हो गये थे और उन्होंने इसके लिये केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था. नीतीश कुमार ने केंद्र से आग्रह किया था कि नालंदा विवि के मूल आइडिया और उसकी भावना से केंद्र सरकार छेड़छाड़ नहीं करे. उन्होंने विवि की स्वायतता कोबरकरार रखने के अलावा उसकी निरंतरता बनाये रखने की अपील की थी.

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