सरकारी हलफनामे से संतुष्ट नहीं हुआ कोर्ट

सात निश्चय मामले पर 16 को दोबारा सुनवाई पटना : सरकार के सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल और शौचालय योजना पर सरकार के हलफनामे से पटना उच्च न्यायालय संतुष्ट नजर नहीं आयी. साेमवार को कौशल कौशिक की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2017 7:08 AM
सात निश्चय मामले पर 16 को दोबारा सुनवाई
पटना : सरकार के सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल और शौचालय योजना पर सरकार के हलफनामे से पटना उच्च न्यायालय संतुष्ट नजर नहीं आयी. साेमवार को कौशल कौशिक की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव चेतन्य प्रसाद के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने इसे अपर्याप्त मानते हुए 16 फरवरी को दोबारा तैयार कर लाने को कहा. इसी दिन इस मामले की अगली सुनवाई भी होगी.
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि स्थानीय निकायों को जो योजनाएं दी गयी थी, उसे सात निश्चय के तहत ले लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को यदि इन योजनाओं को सात निश्चय में लागू करना है तो कानूनी प्रावधानों को बदल देना चाहिए. इसके पहले नगर विकास आयुक्त ने सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया, जिसे कोर्ट ने अधूरा बताया. अब इस मामले की सुनवाई 16 फरवरी को होगी.
पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि पासवान जाति को दलित से महादलित वर्ग में क्यों नहीं शामिल किया गया. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई की और सरकार से तीन सप्ताह में यह बताने को कहा कि किस आधार पर पासवान छोड़ सभी दलित जातियों को महादलित कोटि में शामिल कर लिया गया. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दलित वर्ग में शामिल जातियों के लिए महादलित कोटि बनाया जिसमें पासवान जाति को छोड़ सभी दलित जातियों को इसमें शामिल किया गया.
महादलित कोटे के लिए विकास की कई योजनाएं भी शुरू की गयी.

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