बजट में ऐसा कुछ नहीं, जिसकी लोग तारीफ करें : संजय सिंह

पटना. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि आम बजट से सिर्फ आइ-वाश किया गया है, इसमें ऐसा कुछ नही था जिसकी तारीफ की जाये. उन्होंने कहा कि हर राज्य के लिए नहीं लेकिन देश के हर क्षेत्र की चर्चा तो बजट में जरूर होती है, पर अफसोस की इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2017 7:33 AM
पटना. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि आम बजट से सिर्फ आइ-वाश किया गया है, इसमें ऐसा कुछ नही था जिसकी तारीफ की जाये. उन्होंने कहा कि हर राज्य के लिए नहीं लेकिन देश के हर क्षेत्र की चर्चा तो बजट में जरूर होती है, पर अफसोस की इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि बजट देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की उम्मीद जगाने वाला नहीं था. पिछले विधानसभा चुनाव के पहले बिहार को 1.65 लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज और विशेष दर्जा दिये जाने पर विचार करने का वादा किया गया था. पर, उसकी भी इस बजट में कोई चर्चा नहीं की गयी.
यही नहीं बीआरजीएफ के मद में बिहार के 6200 करोड़ रुपये बकाया रह गया था, इस बजट में यह भी जिक्र नहीं कि कब तक यह दिया जायेगा.
सिंह ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि कैशलेस और डिजिटल लेनदेन को लेकर जो तरह तरह की बातें की जा रही हैं बजट में इसके लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए कोई बात नहीं कही गयी. जो लोग कैशलेस इकोनॉमी या डिजिटल ट्रांजेक्शन की बात करते हैं उनको बताना चाहिए कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में पूरे तौर डिजिटल ट्रांजेक्शन होना संभव कैसे है. यहां विभिन्न क्षेत्रों में नकदी का जो उपयोग होता है यह लोगों की आदत है और इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
बिहार जैसे राज्य में जहां 8400 ग्राम पंचायत है जिनमें 2500 से भी ज्यादा ग्राम पंचायतों में एक भी बैंक की शाखा नहीं है. वित्त मंत्री टेलिकॉम की चर्चा कर रहे थे किन्तु टेलिकॉम प्रक्षेत्र में कॉलड्रॉप की समस्या के निदान हेतु कोई कदम नहीं उठाये गये हैं. सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 में किये गये वादे के अनुरूप किसानों के फसलों के लिये कृषि उपज के लागत पर पचास प्रतिशत जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के संबंध में कोई चर्चा बजट में नहीं की गयी है. पूर्वी क्षेत्र में हरित क्रांति की कोई चर्चा बजट में नहीं की गयी है. जबकि, कृषि विकास की असीम संभावना इसी क्षेत्र में है. रेल बजट को आम बजट में समाहित करके रेलवे की स्वायत्ता एवं कार्य कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version