हॉल मार्किंग में गोरखधंधा, कम कैरेट के सोने को खरा दिखाने का खेल

पटना: शुद्ध सोने की गारंटी देनेवाला हॉल मार्क ही नकली हो, तो ग्राहक किस पर भरोसा करेगा? सुनने में अटपटा जरूर लग रहा है, लेकिन ज्वेलरी बाजार में अवैध हॉल मार्किंग का धंधा जोरों पर है. इसका खुलासा तब हुआ जब भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने मोहन अलंकार ज्वेलर्स में छापा मारा और नकली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2017 7:45 AM
पटना: शुद्ध सोने की गारंटी देनेवाला हॉल मार्क ही नकली हो, तो ग्राहक किस पर भरोसा करेगा? सुनने में अटपटा जरूर लग रहा है, लेकिन ज्वेलरी बाजार में अवैध हॉल मार्किंग का धंधा जोरों पर है. इसका खुलासा तब हुआ जब भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने मोहन अलंकार ज्वेलर्स में छापा मारा और नकली हॉल मार्क के गहने जब्त किये.

डाकबंगला चौराहे पर संचालित हो रहे मोहन अलंकार ने नकली हॉलमार्क तैयार कराया था. ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रतिष्ठित दुकानों से नकली हॉलमार्क के गहने बरामद हुए हैं, तो छोटे दुकानदारों की क्या स्थिति होगी?

लो कैरेट के सोने पर पांच अंकों का खेल : पटना मानक ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार दुकानदार लो कैरेट सोने पर हायर फिटनेस नंबर डालते हैं. फर्जी तरीके से करायी गयी ज्यादातर हॉल मार्किंग में मुहरों की संख्या पांच से कम रखी जाती है. बीआइएस रजिस्टर्ड सेंटर से करायी गयी हॉल मार्किंग के तहत गहनों के हर पीस पर पांच तरह के मार्क छापे जाते हैं. पहला बीआइएस का लोगो, दूसरा शुद्धता नंबर यानी कैरेट का संकेत, तीसरा मार्किंग सेंटर का लोगो, चौथा वर्ष कोड और पांचवां बेचनेवाले ज्वेलर्स का लोगो या ट्रेड मार्क. बीआइएस सोने पर लेजर मशीन से अंक देते हैं.
इसके एवज में दुकानदार अपनी अलग तकनीक लगाते हैं.

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