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सूबे में चिकित्सकों को 30 वर्षों से नहीं मिली प्रोन्नति

पटना : राज्य में करीब पांच हजार चिकित्सकों को पिछले 30 वर्षों से प्रोन्नति नहीं मिली है. चिकित्सक अपने ही वेतनमान में उच्चतर पदों पर काम कर रहे हैं. स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग में शीर्ष पांच पदों पर बैठाये गये निदेशक प्रमुखों को भी मूल वेतनमान में काम करना पड़ रहा है चिकित्सकों […]

पटना : राज्य में करीब पांच हजार चिकित्सकों को पिछले 30 वर्षों से प्रोन्नति नहीं मिली है. चिकित्सक अपने ही वेतनमान में उच्चतर पदों पर काम कर रहे हैं. स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग में शीर्ष पांच पदों पर बैठाये गये निदेशक प्रमुखों को भी मूल वेतनमान में काम करना पड़ रहा है
चिकित्सकों को सरकार द्वारा डीएसीपी के माध्यम से आर्थिक लाभ दिया गया. चिकित्सकों को फंक्शनल प्रोन्नति दी जाये तो मुख्यालय स्तर पर डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी, अपर सचिव और विशेष सचिव की शक्ति मिल जायेगी. साथ ही उन्हें पेंशन में भी लाभ हाेगा. लेकिन, अपने ही वेतनमान में काम करने से यह शक्ति किसी भी चिकित्सक को नहीं मिली है. स्वास्थ्य विभाग ने 21 जुलाई, 2014 को बिहार स्वास्थ्य सेवा का पुनर्गठन किया. इसमें 4480 मूल कोटि के चिकित्सकों का पद, 2045 प्रथम प्रोन्नति का पद, दूसरी प्रोन्नति से 1065 पदों पर उप निदेशक एवं समकक्ष के पदों को भरा जाना है. तीसरी प्रोन्नति के तहत 231 पदों पर अपर निदेशक एवं समकक्ष पदों पर भरना है.
चौथी प्रोन्नति से निदेशक स्तर के 21 पदों को भरना है. पांचवें स्तर पर पांच निदेशक पदों को प्रोन्नति दी जानी है. सभी पदों पर चिकित्सकों की तैनाती की गयी है पर उनका वेतनमान मूल कोटि का ही मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर चिकित्सक को उसकी सेवा अवधि में कुल तीन एसपी दिया जाना है. चिकित्सकों को यह छह-छह साल में वेतनमान में आर्थिक लाभ दिया जाता है. इससे आर्थिक लाभ होता है. पर इसे प्रोन्नति नहीं मानी जाती.
स्वास्थ्य विभाग फरवरी 2008 में चिकित्सकों की वरीयता का निर्धारण किया. इस वरीयता के आधार पर सभी चिकित्सकों को अपने ही वेतनमान में वरीय पदों पर काम करने की जिम्मेवारी दी गयी है. निदेशक प्रमुख के पद तक पहुंचनेवाले पांच वरीयतम चिकित्सकों को तीन एसीपी का लाभ तो मिला है पर अभी तक उनको पदनाम के अनुसार निर्धारित वेतनमान नही मिलता है.
प्रोन्नति मिलने पर मिलनेवाली शक्ति
चिकित्सकों को स्थायी प्रोन्नति दी जाये तो राज्य मुख्यालय के 10 उप निदेशकों के पद डिप्टी सेक्रेटी का हो जायेगा. इसके अलावा सचिवालय के 29 अपर निदेशकों का पद संयुक्त सचिव का हो जायेगा. इसी तरह से मुख्यालय स्तर का 21 निदेशकों का पद अपर सचिव का जबकि एक निदेशक प्रमुख को विशेष सचिव का दर्जा मिल जायेगा. विभाग में इस मामले पर कोई भी पदाधिकारी बात करने को तैयार नहीं है. इधर बिहार राज्य हेल्थ सर्विस एसोसिएशन के महासचिव डा रणजीत कुमार ने बताया कि किसी भी चिकित्सक को फंक्शनल प्रोन्नति 1980 के बाद नहीं दी गयी है. विभाग चिकित्सकों की उच्चे पदों पर ड्यूटी अगले आदेश तक जारी करके करा रहा है. नियमित निदेशक प्रमुख होने से फाइलों का निबटारे की शक्ति मिल जायेगी. यह शक्ति अधिकारी देना नहीं चाहते हैं.
किस कोटि के कितने पद और क्या है ग्रेड-पे
मूल कोटि के चिकित्सकों के लिए सरकार द्वारा ग्रेड-पे 5400 रुपये निर्धारित किया गया है. इसी तरह से प्रथम प्रोन्नति के बाद उनका वेतनमान बदलकर 6600 रुपये हो जायेगा. दूसरी प्रोन्नति के स्तर पर उप निदेशक व समकक्ष पद पर नियुक्त चिकित्सक का वेतनमान बढ़कर 7600 रुपये होगा. तीसरी प्रोन्नति उपर निदेशक व समकक्ष पद पर की जायेगी. जहां पर उनका ग्रेड-पे 8700 रुपये होगा. चतुर्थ स्तर पर प्रोन्नति मिलने पर उनका पदनाम निदेशक का होगा जिनका ग्रेड-पे बदलकर 8900 रुपये हो जायेगा.

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