अप्रैल से 20 फीसदी तक महंगी हो सकती है बिजली

बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग को भेजा दरों में इजाफे का प्रस्ताव, 17 से प्रमंडलों में जनसुनवाई पटना : राज्य में पहली अप्रैल से बिजली दर बढ़ जायेगी. पिछले साल बिजली दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी. अगले वित्तीय वर्ष की टैरिफ पर बिहार विद्युत विनियामक आयोग 17 फरवरी से प्रमंडलों में सुनवाई शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2017 7:32 AM
बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग को भेजा दरों में इजाफे का प्रस्ताव, 17 से प्रमंडलों में जनसुनवाई
पटना : राज्य में पहली अप्रैल से बिजली दर बढ़ जायेगी. पिछले साल बिजली दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी. अगले वित्तीय वर्ष की टैरिफ पर बिहार विद्युत विनियामक आयोग 17 फरवरी से प्रमंडलों में सुनवाई शुरू करेगा. बिजली कंपनियों ने जो प्रस्ताव नियामक आयोग को मंजूरी के लिए भेजा है उसके मुताबिक 20 फीसदी तक बिजली दर में बढ़ोतरी हो सकती है. बिजली कंपनियों ने पिछले साल पांच नवंबर को आयोग के समक्ष टैरिफ याचिका दायर की था. आयोग ने चालू वित्तीय वर्ष में बिजली दर में कोई इजाफा नहीं किया था.
बिजली कंपनियां इसके खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (एपटेल) में चली गयी थी. एपटेल ने आयोग के आदेश को खारिज करते हुए फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया. इस पर सुनवाई चल रही है. इधर बिजली कंपनियों ने अगले वित्तीय वर्ष की टैरिफ के लिए याचिका दायर की है. उसमें औसतन 35 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. लेकिन, कम से कम 20 फीसदी की मंजूरी तय मानी जा रही है.
पिछले साल कोई बढ़ोतरी नहीं करने के आदेश को एपटेल ने खारिज कर दिया था इसलिए इस बार बिजली दर बढ़ना तय माना जा रहा है. राज्य में बिजली के सेक्टर में सातों दिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति के कंसेप्ट पर काम चल रहा है. बिजली कंपनी ने टैरिफ का जो प्रस्ताव दिया है उसमें कुटीर ज्योति और घरेलू -1 की श्रेणी को छोड़कर सभी सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए मांग पर आधारित टैरिफ करने का है. समय सीमा के भीतर ऑनलाइन भुगतान पर उपभोक्ताओं को डेढ़ फीसदी अतिरिक्त लाभ देने का भी प्रस्ताव है.
बीपीएल उपभोक्ताओं को अनुदानित दर पर 30 यूनिट के खपत को बढ़ाकर 50 यूनिट करने का प्रस्ताव है. टैरिफ प्रस्ताव बिना अनुदान के 6.97 रुपये से 9.50 रुपये प्रति यूनिट करने का है. पिछले साल 21 मार्च को आयोग ने अपना निर्णय सुनाया था. वित्तीय वर्ष 2015-16 में ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 10 पैसा और शहरी तथा औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 15 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गयी थी.

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