अब गरदन में लगेगा पेसमेकर, नहीं पड़ेगा मिरगी का दौरा
पटना: बार-बार आ रही मिरगी से अब लोगों को निजात मिल सकती है. क्योंकि, बेल्जियम के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में मिरगी के दौरे से निजात पाने का एक आसान तरीका खोज निकला है. शोधकर्ताओं के अनुसार, ब्रेन में विशेष फैट के स्तर को बढ़ा कर इस समस्या से निबटा जा सकता है. इंडियन […]
पटना: बार-बार आ रही मिरगी से अब लोगों को निजात मिल सकती है. क्योंकि, बेल्जियम के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में मिरगी के दौरे से निजात पाने का एक आसान तरीका खोज निकला है. शोधकर्ताओं के अनुसार, ब्रेन में विशेष फैट के स्तर को बढ़ा कर इस समस्या से निबटा जा सकता है.
इंडियन एप्लेप्सी एसोसिएशन की ओर से आयोजित इकॉन-2017 में शामिल होने पहुंचे केरल के डॉ विनयन ने कहा कि अपने रिसर्च में शोधकर्ताओं ने स्काइवाकर नामक एक प्रोटीन की पहचान की है, जो कि फैट नर्व सेल्स को जोड़े रखने में मदद करती है. इसके जुड़ने से मिरगी का दौरा आना बंद हो जाता है.
कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने किया. उन्होंने न्यूरो से होनेवाली बीमारी का सफल इलाज करनेवाले डॉक्टरों को उनकी सफलता पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि न्यूरो साइंस बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इलाज की नयी पद्धति सामने आ रही है, इसे निरंतर आगे बढ़ाने का प्रयास जारी रखना चाहिए. वहीं, आयोजन समिति के सचिव और आइजीआइएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ अशोक कुमार और पीएमसीएच न्यूरो के हेड डॉ अरुण कुमार अग्रवाल ने कहा कि 17 से 19 फरवरी तक आयोजित इस सेमिनार में विदेशों से 10, भारत से 150 व बाकी 450 डॉक्टर बिहार से भाग लिये हैं.
पेसमेकर से भी ठीक होगी मिरगी : अमेरिका से आये डॉ सोलोमन मोसे ने कहा कि दिल की तरह मिरगी रोग से निजात पाने में भी पेसमेकर लगाने का काम शुरू हो गया है. अमेरिका और यूरोप के डॉक्टरों ने पेसमेकर लगाने शुरू कर दिये हैं. मिरगीवाले मरीजों को पेसमेकर दिल में नहीं, बल्कि गरदन के पीछे लगाये जाते हैं. ह्रदय के पेसमेकर की तुलना में इसका साइज थोड़ा छोटा होता है. गरदन के पेसमेकर का तार ब्रेन से जोड़ दिया जाता है, जो सुचारु रूप से संचालित होता है. पेसमेकर की बैटरी पांच साल तक काम करेगी. यानी मरीज को पांच साल तक मिरगी आने से छुटकारा मिल सकेगा. वहीं, बैटरी खत्म होने के बाद छोटी से सर्जरी के माध्यम से पेसमेकर को निकाल को पुन: बैटरी डाल दी जाती है. डॉ सोलोमन ने कहा कि अब इंडिया में भी यह तकनीक बहुत जल्द शुरू होने वाली है. इसकी तैयारी दिल्ली आदि महानगरों में चल रही है.
बार-बार पलक झपकना मिरगी का लक्षण
जयपुर से आयी न्यूरो विशेषज्ञ डॉ नीतू राय ने कहा कि अगर आंख की पलक बार-बार झपक रही हैं, तो मिरगी हो सकता है. उन्होंने कहा कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना पड़ेगा. आम तौर पर लोग तब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तब अंतिम स्टेज होता है. मिरगी जानलेवा भी हो सकती है. सम्मेलन में भाग लेनेवालों में डॉ सतीश जैन, डॉ गोपाल सिन्हा, डॉ बीबी नादकर्णी, डॉ मनमोहन मेंहदीरत्ता, डॉ वी थॉमस, डॉ जीटी सुभाष आदि शामिल हैं.