यह कहना है लखनऊ एसजीपीजीआइ के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ यूके मिश्रा का. इंडियन एप्लेप्सी एसोसिएशन की ओर से इकॉन-2017 के आयोजन के दूसरे दिन डॉक्टरों ने मिरगी से होनेवाली परेशानी, रिसर्च और बचाव पर टिप्स दिये.
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मिरगी का इलाज ऑपरेशन से भी
पटना. दवा से कंट्रोल नहीं होनेवाली मिरगी (एपेलेप्सी) का इलाज अब ऑपरेशन से संभव है. मिरगी की सर्जरी अभी महानगरों व दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की राजधानी में होती है. पटना में भी इस तरह की सर्जरी की शुरुआत होनेवाली है. एपेलेप्सी सर्जरी के बाद मरीज को मिरगी रोग से छुटकारा मिल जाता है. […]
पटना. दवा से कंट्रोल नहीं होनेवाली मिरगी (एपेलेप्सी) का इलाज अब ऑपरेशन से संभव है. मिरगी की सर्जरी अभी महानगरों व दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की राजधानी में होती है. पटना में भी इस तरह की सर्जरी की शुरुआत होनेवाली है. एपेलेप्सी सर्जरी के बाद मरीज को मिरगी रोग से छुटकारा मिल जाता है.
70 प्रतिशत मिरगी दवा से नियंत्रित : पीएमसीएच न्यूरो के हेड डॉ अरुण अग्रवाल और आइजीआइएमएस के डॉ अशोक कुमार ने कहा कि 70 प्रतिशत मिरगी दवा से नियंत्रित हो जाती है. लेकिन 30 प्रतिशत मिरगी पर दवा का असर नहीं होता. उसकी एमआरआइ व इइजी कर कारण का पता लगाया जाता है. इसके बाद सर्जरी की जाती है. डॉ अशोक ने कहा कि ब्रेन में विकृति आने का पता लगाने में न्यूरोफिजिशियन का महत्वपूर्ण योगदान होता है. न्यूरोफिजिशियन लक्षणों और ब्रेन की तरंगों की तीन-चार दिन इइजी (रिकॉर्डिंग) जांच से पता लगा लेते हैं कि ब्रेन के किस हिस्से में विकृति है. उसी हिस्से पर छोटा चीरा लगा कर ऑपरेशन किया जाता है. दूसरे दिन श्रीलंका से आये डॉ जीतांगी बानसिंग, यूएसए के डॉ जयदीप कपूर, लंदन की डॉ सुषमा गोयल, डॉ गायिक ने अपने विचार रखे.
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