किसानों ने पीएम का पुतला फूंका

पटना सिटी : आलू की उपज से किसानों को नुकसान हो रहा है. किसानों को आलू की खेती का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.नेफेड से आलू खरीदारी हो, इसके लिए किसानों ने बुधवार को चौकशिकारपुर नाला पर से जुलूस निकाला, जो गुरु गोबिंद पथ होते हए झाऊगंज थाना मोड़ तक आया. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2017 7:07 AM

पटना सिटी : आलू की उपज से किसानों को नुकसान हो रहा है. किसानों को आलू की खेती का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.नेफेड से आलू खरीदारी हो, इसके लिए किसानों ने बुधवार को चौकशिकारपुर नाला पर से जुलूस निकाला, जो गुरु गोबिंद पथ होते हए झाऊगंज थाना मोड़ तक आया. इसके बाद शहीद भगत सिंह चौक वापस पहुंचा और किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका.

आंदोलन में जल्ला किसान संघर्ष समिति व माले के लोग शामिल थे. आंदोलन पर उतरे नेताओं व किसानों ने आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, खाद-बीज पर सब्सिडी देने, बैंक कर्ज माफ करने, नेफेड से आलू की खरीदारी करने,जल्ला में कायम जलजमाव को दूर करने आदि मांगों को उठाया. आंदोलन में किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष व माले नेता शंभुनाथ मेहता, किसान संघर्ष समिति के मनोहर लाल, माले सचिव नसीम अंसारी, अनय मेहता,दीनानाथ मेहता , देवानंद महतो, श्रवण कुमार सिंह, मनोज तिवारी, सुखाड़ी महतो आदि थे.

इन लोगों ने किसानों की मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में सरकार को चेतावनी दी है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो एनएच 30 पर आलू व हरी सब्जी फेंक कर जाम करेंगे. इन लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार ने नेफेड का गठन किसानों के घाटे में चल रही फसल को खरीद कर मुनाफा वाले मार्केट में बेचने को हुआ, लेकिन खेत में ही किसान 100 रुपये मन आलू बेच रहे हैं. स्थिति यह है कि लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा. जल्ला में इस बार लगभग दो हजार बीघा में आलू की खेती हुई है.

किसान नेता विजय कुमार यादव ने कहा कि खेती का रकबा घट रहा है. बची जमीन पर किसान कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं. प्याज की खेती में लिए कर्ज से उबर भी नहीं पाये कि अब आलू की खेती में घाटा हो रहा है. पंकज कुशवाहा ने आलू-प्याज की कीमत बढ़ने पर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा होता, अब घाटा में क्यों चुप है केंद्र व राज्य सरकार.

किसान बृजनंदन कुमार मेहता ने कहा कि किसानों को लगातार हो रहे घाटे ने विचलित कर दिया है. सरकार के स्तर पर भी किसी तरह की सहायता नहीं मिल रही. अब खेती से मन उचटने लगा है.

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