नीतीश की पार्टी जदयू से निलंबित किये गये बिहार कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले के आरोपी मेवालाल
पटना : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी के मामले में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी का नाम आने के बाद उन्हें नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने छहसाल के लिए निलंबित कर दिया है. मेवालाल वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड से विधायक हैं. उनकेखिलाफविश्वविद्यालय के कुलपति रहने […]
पटना : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी के मामले में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी का नाम आने के बाद उन्हें नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने छहसाल के लिए निलंबित कर दिया है. मेवालाल वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड से विधायक हैं.
उनकेखिलाफविश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान नियुक्ति में हुईअनियमिततामामले में प्राथमिकी दर्जकीगयी थी. मेवालाल चौधरी2015के विधानसभा चुनाव में मुंगेर जिले के तारापुरसीटसे जदयू विधायक चुने गये थे.ध्यान रहे कि कल ही जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने बयान दिया था कि सबौर कृषि विश्वविद्यालयमामले में दोषियोंपरकार्रवाई होगी.
दो दिन पहले राज्यपाल के अादेश पर वर्तमान कुलपति डॉ अजय कुमार सिंह ने सबौर थाने में इस पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया था. केस के सूचक बीएयू के रजिस्ट्रार अशोक कुमार बने. इस कांडके अनुसंधानकर्ता डीएसपी मुख्यालय रमेश कुमार नियुक्त किये गये.
सबौर थाना कांड संख्या 35/2017 भादवि की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी, आदि के तहत मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच की जद में आनेवाले लोगों के बीच हड़कंप मच गया. मुख्य आरोपित पूर्व कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है.
20 साक्षात्कार कमेटियां तक जांच की आंच
तकरीबन 20 साक्षात्कार कमेटियों ने 161 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था, जिनमें विवि के 30 से ज्यादा वरीय पदाधिकारी शामिल हैं. जांच की आंच उन तक पहुंच सकती है. साक्षात्कार कमेटियों के प्रत्येक सदस्य से पुलिस पूछताछ करनेवाली है. कई अभ्यर्थी भी पुलिस जांच के दायरे में आ सकते हैं. बीएयू के कई वरीय पदाधिकारियों पर भी पुलिस अनुसंधान की गाज गिर सकती है.
इसके साथ ही तिलका मांझी भागलपुर विवि के दो लोग भी जांच के घेरे में आ सकते हैं. पुलिस यह भी जांच कर सकती है कि नियुक्त हुए कुछ अभ्यर्थियों की पहुंच की कड़ी कहां-कहां से जुड़ी है. हालांकि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मेवालाल ने कहा था कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया जा रहा है.
वीसी के पद से रिटायर होने के बाद बने विधायक
मुख्य आरोपी डॉ मेवालाल चौधरी फूल के वरीय वैज्ञानिक हैं. केंद्र सरकार के वरीय पद पर भी उन्होंने काम किया है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति रहे. जब ये कुलपति थे, तो इनकी पत्नी नीता चौधरी तारापुर की जदयू विधायक थीं. रिटायर होने के बाद डॉ मेवालाल ने 2015 में पत्नी की जगह खुद जदयू के टिकट पर तारापुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुए.
बीएयू में 2012 में 161 सहायक प्राध्यापक और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति की गयी, जिसमें इंटरव्यू में अनियमितता की बात सामने आयी थी. आरोप है कि नियुक्ति केलिए 15 से 20 लाख रुपये की बोली लगी थी, इसलिए कम योग्यता वाले अभियार्थियों की नियुक्ति कर दी गयी, जबकि योग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार और प्रोजेक्ट में बेहद कम अंक देकर अयोग्य करार दिया गया. इस मामले की जांच के लिए 21 जून, 2016 को राजभवन ने हाइकाेर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस महफूज आलम की अध्यक्षता में एक सदस्यीय कमेटी गठित की थी.
JDU MLA Mewa Lal Chaudhary expelled from the party over corruption charges. pic.twitter.com/UGHJAG8VsQ
— ANI (@ANI) February 23, 2017
कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में तत्कालीन कुलपति और नियुक्ति कमेटी के अध्यक्ष डॉ मेवालाल चौधरी को मुख्य रूप से दोषी ठहराया था और कानूनी कार्रवाई करने की अनुशंसा की. जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने बीएयू के कुलपति को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इस निर्देश के बाद कुलपति डॉ अजय कुमार सिंह ने कानूनी सलाह लेकर सोमवार को प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन थाने को दिया.