कौशिक रंजन
पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के विरोध में आइएएस एसोसिएशन ने अपना ज्ञापन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया है. प्राप्त सूचना के अनुसार, एसोसिएशन ने दो दिन पहले ही देर शाम को सीएम आवास पहुंच कर अपनी मांगों से जुड़ा यह ज्ञापन सौंपा है. इसमें उन्हीं बातों की मांग रखी गयी है, जो 26 फरवरी को राजभवन जाकर राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कही गयी थीं. हालांकि सीएम से मुलाकात करने के बाद आइएएस अधिकारियों ने काला बिल्ला लगाकर काम करने और मौखिक आदेश नहीं मानने जैसी अपनी मांगों को फिलहाल छोड़ दिया है. इसी वजह से पिछले दो दिनों से सचिवालय में काम करने वाले किसी भी रैंक के कोई भी अधिकारी काला बिल्ला लगाकर काम करते नहीं देखे गये हैं. इसके अलावा कैबिनेट समेत जितनी भी सरकारी बैठकें हुईं, उनमें अधिकारियों की उपस्थिति सामान्य देखी गयी. हालांकि एसोसिएशन अपनी विरोध के मूल बात पर अब भी कायम है. इसमें सुधीर कुमार को राहत देने और उनके ऊपर लगे गलत आरोपों को समाप्त करने की बात शामिल है. एसोसिएशन मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआइ से कराने की मांग पर कायम है. साथ ही सुधीर कुमार की रिहाई तुरंत करवाने के लिए राज्य सरकार को पहल करने की मांग की है.
एसोसिएशन ने सौंपा ज्ञापन
गौरतलब हो कि मीडिया की ओर से सवाल उठाये जाने के बाद सीएम ने सदन में कहा था कि उन्हें ज्ञापन का इंतजार है, वह ऐसा करेंगे कि वह आगे लिये नजीर होगा. आइएएस एसोसिएशन के सौंपे ज्ञापन के अनुसार, देर रात जिस तरह के सुधीर कुमार की गिरफ्तारी एसआइटी ने की है. इससे सभी अधिकारी काफी आहत और खफा हैं. यह सर्वविदित है कि पूर्व अध्यक्ष की गिरफ्तारी 23 फरवरी की रात को हजारीबाग से की गयी है. जबकि, पुलिस 24 फरवरी को उनकी गिरफ्तारी वेटनरी कॉलेज कैंपस से दिखा रही है. जो एफआइआर दर्ज की गयी है, उसमें सुधीर कुमार के इस पेपर लीक रैकेट में शामिल होने की ‘प्रबल संभावना’ की बात कही गयी है. इसमें उनके खिलाफ किसी तरह का कोई आरोप नहीं गठित किया गया है. फिर भी बिना किसी ठोस आधार पर उनकी गिरफ्तारी करना कहीं से उचित नहीं है. वह इस मामले की जांच में एसआइटी को लगातार सहयोग कर रहे थे. फिर भी उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिये बिना इस तरह से आनन-फानन में गिरफ्तार कर लेना, उचित नहीं है.
पहले दर्ज कराया था विरोध
एसोसिएशन ने जुलाई 2016 में कैमूर में एसडीओ के रूप में तैनात 2014 बैच के आइएएस अधिकारी डॉ. जितेन्द्र गुप्ता को घूस लेने के आरोप में निगरानी ब्यूरो की गिरफ्तारी का उल्लेख किया है. जांच के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि डॉ. गुप्ता की गिरफ्तारी इंट्री माफिया, दलालों और कर्मचारियों की मिलीभगत ने फंसाकर गिरफ्तार करवा दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को खारिज तक कर दिया है. एसोसिएशन का मानना है कि सुधीर कुमार के मामले में भी डॉ. जितेंद्र गुप्ता जैसी ही स्थिति है. इसकी जांच पूरी होने के बाद ही अध्यक्ष पर कार्रवाई करनी चाहिए थी. इस बात को दोहराया है कि एसोसिएशन उनके सारे अदालती मामलों समेत इससे जुड़े अन्य खर्चों का वहन करेगा.