सुरक्षा मानकों का जायजा लिया जायेगा, पत्र भेजा
जेलों का होगा औचक निरीक्षण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिये गये अहम निर्णय पटना : राज्य की जेलों में सुरक्षा के सभी मानकों की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू होने जा रहा है. इसके लिए सभी जिलों को जेल निदेशालय के स्तर पर पत्र भेज दिया गया […]
जेलों का होगा औचक निरीक्षण
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिये गये अहम निर्णय
पटना : राज्य की जेलों में सुरक्षा के सभी मानकों की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू होने जा रहा है. इसके लिए सभी जिलों को जेल निदेशालय के स्तर पर पत्र भेज दिया गया है. राज्य की सभी 57 जेलों में औचक निरीक्षण करने के लिए जिला स्तर पर डीएम की देखरेख में एक विशेष टीम बनायी जायेगी. इसके अलावा मुख्यालय के स्तर पर भी एक टीम का गठन करके संबंधित जिले में भेजा जायेगा.
इस तरह राज्य मुख्यालय और जिला स्तर की टीम संयुक्त रूप से जेलों का औचक निरीक्षण करेगी. सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील जेलों मसलन पटना, भागलपुर, आरा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा जेलों की जांच खासतौर से सुरक्षा के सभी तय मानकों पर किया जायेगा. जांच के दौरान अगर किसी जेल में मोबाइल समेत अन्य कोई आपत्तिजनक समाना बरामद किये गये, तो वहां के जेलर समेत अन्य संबंधित पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. हाल में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के स्तर पर जेलों की सुरक्षा को लेकर एक विशेष समीक्षा बैठक की गयी थी. इस बैठक में राज्य की जेलों खासकर उन जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को चौक-चौबंद बनाने को लेकर सभी पहलुओं पर विचार किया गया था, जिनमें आतंकी या कुख्यात नक्सली बंद हैं.
इसके बाद जेल आइजी ने सभी जिलों को पत्र लिखकर सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा था. 8 मार्च को गया-नवादा जिला की सीमा पर सिरदला थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ हुई एनकाउंटर में तीन कमांडर समेत चार नक्सली मारे गये थे. इसके नक्सलियों की गतिविधि काफी बढ़ गयी है. खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इनके निशाने पर जेल भी हैं. विशेषकर वे जेल जिनमें नक्सली नेता बंद हैं. इन जेलों में हमला करने के लिए नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. ऐसे में जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को हर कसौटी पर कसना बेहद जरूरी है. इसके लिए सुरक्षा ऑडिट और औचक निरीक्षण को व्यापक स्तर पर चलाने के लिए रणनीति तैयार की गयी है.
इन सुरक्षा मानकों की होगी खासतौर से जांच
किसी कैदी खासकर कुख्यात कैदियों के पास से मोबाइल, चाकू या अन्य कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं होना चाहिए.
गांजा, चरस या अन्य किसी तरह का मादक पदार्थ मौजूद नहीं हो.
कुख्यात नक्सलियों, आतंकियों या ऐसे बंदियों से अगर कोई मुलाकात करने आता है, तो मिलने वाले का पूरा रिकॉर्ड होना चाहिए.
साथ ही इन कुख्यातों की किसी से मुलाकात सहायक अधीक्षक या उपाधीक्षक की मौजूदगी में ही कराया गया है या नहीं.
जेल में मौजूद सीसीटीवी, मेटल डिटेक्टर, वॉकी-टॉकी, सायरन समेत अन्य सुरक्षात्मक उपकरण सही से काम कर रहे हैं या नहीं, इन उपकरणों को जिन स्थानों पर फोकस करना चाहिए, वहां की तसवीर कैद हो रही है या नहीं.
कारा की बाहरी सुरक्षा और पेट्रोलिंग ड्यूटी का पूरा रोस्टर समयवार सही होना चाहिए. संवेदनशील जेलों में बीएमपी या सैप के जवानों की तैनात है या नहीं