प्रभात खबर की महिला पत्रकार अनुपम कुमारी को इस वर्ष लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार जेंडर सेंसिटिविटी केटेगरी में "छात्राएं फिर से खुद के भरोसे" स्टोरी के लिए दिया गया है. यह अवार्ड पॉपुलेशन फर्स्ट की ओर से हर वर्ष दिया जाता है, जिसमें देश भर से प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं. अनुपम को जिस आलेख के लिए पुरस्कार मिला है, वह वर्ष 2015 में प्रभात खबर में प्रकाशित हुआ था. हम आपके लिए वह आलेख एक बार फिर लेकर आये आयें हैं.
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प्रभात खबर की महिला पत्रकार अनुपम को ‘लाडली मीडिया अवार्ड’, पढ़ें उनकी पुरस्कृत स्टोरी
प्रभात खबर की महिला पत्रकार अनुपम कुमारी को इस वर्ष लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार जेंडर सेंसिटिविटी केटेगरी में "छात्राएं फिर से खुद के भरोसे" स्टोरी के लिए दिया गया है. यह अवार्ड पॉपुलेशन फर्स्ट की ओर से हर वर्ष दिया जाता है, जिसमें देश भर से प्रविष्टियां आमंत्रित […]
छात्राएं अब फिर से खुद के ही भरोसे
-अनुपम कुमारी-
स्कूल से निकलते वक्त कॉलेज के गेट से कोचिंग क्लास तक. हर जगह लड़कियां घूरती निगाहों की शिकार हो रहीं हैं. स्कूल पहुंचने से लेकर घर लौटने तक लड़कों का ग्रुप लड़कियों का पीछा करता है. इससे लड़कियों का पढ़ाई करना दूभर हो गया है. इव टीजिंग की शिकार लड़कियां अक्सर डरी-सहमी स्कूल पहुंच रही हैं. बावजूद इसके सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. यहां तक कि इनकी सुरक्षा के लिए तैनात किये गये पुलिसकर्मी भी अब स्कूलों के पास दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं. इससे लड़कियों की परेशानी बढ़ गयी है.
प्रशासन द्वारा की गयी थी व्यवस्था
मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण कोषांग कमेटी द्वारा वर्ष 2013 में छात्राओं की सेफ्टी को देखते हुए स्कूल-कॉलेजों में महिला पुलिसकर्मी तैनात की गयी थीं. डीएम द्वारा गठित कोषांग के जरिये वैसे स्कूल-कॉलेज, जहां छात्राओं के साथ छेड़खानी की शिकायतें मिलती थीं, उन स्कूलों में महिला पुलिसकर्मी तैनात की गयी थीं. इससे गेट पर खड़े युवकों से पूछताछ की जाती थी, ताकि लड़कियों को किसी तरह की परेशानी ना हो. पिछले एक वर्ष से किसी स्कूल-कॉलेज के बाहर पुलिसकर्मी तैनात नहीं हैं, इससे लड़कियों के साथ छेड़खानी की शिकायतें बढ़ गयी हैं. महिला हेल्पलाइन की मानें तो हाल के दिनों में इस तरह की शिकायतें फिर से आनी शुरू हो गयी हैं. दो वर्षों में स्कूल-कॉलेज गेट पर पुलिसकर्मी की व्यवस्था होने के लड़कियों को राहत थी. कुछ दिनों में इसके विस्तार करने की बात थी. अचानक इसे बंद करने की कोई सूचना नहीं दी गयी.
इन स्कूलों में थी व्यवस्था
बालिका उच्च विद्यालय गर्दनीबाग, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय शास्त्रीनगर, अरविंद महिला कॉलेज, जेडी वीमेंस कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज, बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज, बांकीपुर गर्ल्स स्कूल के बाहर महिला पुलिसकर्मी की व्यवस्था थी, जिसे बाद में हटा दिया गया.
केस वन
बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा (परिवर्तित नाम) नेहा पिछले कुछ महीनों से परेशान थी. स्कूल के गेट पर कुछ लड़के अवसर उसका पीछा कर रहे थे. कई बार स्कूल की सहेलियों के सामने उसे शर्मिंदा भी होना पड़ता था. इस डर से वह कई दिनों तक स्कूल भी नहीं गयी. इससे कुछ दिनों तक स्थिति ठीक रही, लेकिन वापस उन लड़कों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया. नौबत यहां तक आ गयी कि उसे जबरन बाइक पर बिठाने की कोशिश करने लगे. तंग आकर उसने महिला हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करायी.
केस टू
हॉस्टल में रहने वाली( परिवर्तित नाम) कुसुम की भी यही स्थिति थी. कॉलेज के लिए हॉस्टल से निकलते के साथ लड़के पीछा करना शुरू देते. यहां तक कि उसके हॉस्टल से निकलने और दिन भर के समय की पूरी जानकारी लड़के के पास थी. कई बार लफंगों ने उससे बात करने की कोशिश भी की. इससे कुसुम डरी-सहमी रहने लगी. यहां कि हॉस्टल से निकलने के समय भी वह किसी के साथ का इंतजार करती थी. अकेले कॉलेज जाने से डरने लगी . अपनी दोस्त की मदद से उसने महिला हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करायी.
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