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संविदाकर्मियों को नियमित नहीं करने की सरकार की मंशा : सुमो

पटना : विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विभिन्न विभागों में कार्यरत चार लाख संविदाकर्मियों को नियमित करने की सरकार की मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि नियमित करने को लेकर पूर्व मुख्य सचिव एके चौधरी की अध्यक्षता में विधानसभा चुनाव से पहले बनी त्रिस्तरीय कमेटी ने […]

पटना : विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विभिन्न विभागों में कार्यरत चार लाख संविदाकर्मियों को नियमित करने की सरकार की मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि नियमित करने को लेकर पूर्व मुख्य सचिव एके चौधरी की अध्यक्षता में विधानसभा चुनाव से पहले बनी त्रिस्तरीय कमेटी ने अभी तक रिपोर्ट नहीं दी है. कमेटी को तीन माह में रिपोर्ट देना था. सरकार की मंशा अगर साफ रहती तो अभी तक रिपोर्ट मिल जाती. चुनाव में केवल वोट हासिल करने के लिए हथकंडा अपनाया गया था. विधान परिषद स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से बातचीत में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि संविदा पर कार्यरत कर्मियों को नियमित भुगतान नहीं किया जा रहा है.
नियत वेतन के अलावा उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है. सरकार को इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के मानदेय में राज्य सरकार को बढ़ोतरी करना चाहिए. पूरे देश में सबसे कम बिहार सरकार राज्यांश दे रही है. केंद्र 3200 रुपये देती है. उन्होंने आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका पर पुलिस लाठीचार्ज का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पुरुष सिपाही द्वारा महिलाओं को पीटा गया है.
इससे पहले इस मामले को लेकर सदन में रजनीश कुमार ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया. कार्य स्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत करने पर विपक्ष वेल में पहुंच कर सरकार विरोधी नारा लगाया. हंगामे को लेकर सभापति ने ढाई बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने लाल बाबू प्रसाद के निलंबन पर कहा कि सत्ता पक्ष बहुमत की तानाशाही चल रही है. यह कोई पहली बार नहीं है. विधान सभा में भी लाल बाबू गुप्ता को लेकर सत्ता पक्ष के लोग वेल में आकर सदन की कार्यवाही स्थगित कराने का काम किये. सत्ता पक्ष के लोग अव्यवस्था पैदा करते हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री मस्तान की हरकत को लेकर कांग्रेस को यूपी में कीमत चुकानी पड़ी. अगर बिहार सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो महागंठबंधन को कीमत चुकानी पड़ेगी.

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